तेज प्रताप यादव के फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट आया, जिसमें उन्होंने एक नई लड़की को इंट्रोड्यूस करते हुए बताया कि ये अनुष्का यादव हैं और दोनों 12 वर्षों से रिलेशनशिप में हैं। कुछ घंटे बाद ही अकाउंट हैक होने और AI से छेड़छाड़ की बात कही गई। तबतक बात दूर तलाक जा चुकी थी – तेज प्रताप यादव और अनुष्का की कई तस्वीरें वायरल हो चुकी थीं। लालू यादव ने सोशल मीडिया के जरिए उन्हें पार्टी व परिवार से निष्कासित करने का ऐलान कर दिया था। उधर निशु यादव के रूप में तीसरी किरदार आ गईं, अनुष्का यादव के कथित चैट्स में उनका नाम आया।
ऑपइंडिया पर ही प्रकाशित पिछले लेख में हमने समझाया था कि कैसे अनुष्का यादव मानती हैं कि तेज प्रताप यादव को तेजस्वी यादव ने मालदीव भेजा था, निशु यादव के साथ ‘बेबी प्लानिंग’ के लिए। उसी लेख में हमने ये भी बताया था कि कैसे अनुष्का के भाई आकाश यादव छात्र RJD के अध्यक्ष बने थे, फिर उनका प्रभाव बढ़ने लगा तो उन्हें पार्टी से निकाल बाहर किया गया। आकाश यादव ही तेज प्रताप का फेसबुक अकाउंट भी देखा करते थे, ये भी हमने बताया था। हम हम इस खेल के पीछे के सियासी खिलाड़ियों के हिसाब-किताब को देखेंगे।
एक बार फिर से मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मैं या संस्थान किसी भी दावे की पुष्टि नहीं करते हैं। सियासी हिसाब-किताब इसीलिए, क्योंकि RJD में बड़े स्तर पर परिवर्तन होने जा रहा है। प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक के चुनाव होने जा रहे हैं। ‘बिजुलिया बाबा’ जगदानंद सिंह पिछले 6 वर्षों से बिहार में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं, लेकिन अब वो बिस्तर पकड़ चुके हैं। स्वास्थ्य कारणों से वो सक्रिय नहीं हैं। कमोबेस यही स्थिति लालू यादव की भी है, जो राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इतना तो स्पष्ट है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष परिवार से होगा और प्रदेश अध्यक्ष परिवार का कोई क़रीबी।
RJD में होना है बड़ा परिवर्तन, प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक के चुनाव
शेड्यूल कुछ यूँ है कि 21 जून को प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव, 24 जून तक राष्ट्रीय परिषद की सूची की तैयारी, और 5 जुलाई को राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है। तेजस्वी यादव के पुराने क़रीबी और हरियाणा से बिहार में जाकर राज्यसभा सांसद बन बैठे संजय यादव का पूरा ज़ोर इसपर है कि पार्टी की कमान आधिकारिक रूप से तेजस्वी यादव के पास आ जाए। यानी, वो राष्ट्रीय अध्यक्ष बनें। हालाँकि, पार्टी के अंदरूनी सूत्र मानते हैं कि परिवार में ही एक और शक्ति का उदय हो गया है।
लालू यादव के 9 बेटे-बेटियों में फ़िलहाल 4 ऐसे हैं जो बिहार में सक्रिय हैं – दो बेटे और दो बेटियाँ। उनमें से एक हैं – मीसा भारती। मीसा 2 बार राज्यसभा सांसद रह चुकी हैं और 2024 लोकसभा चुनाव में पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुनी गई हैं। इससे पहले 2019 और 2024 में इसी सीट पर उन्हें हार मिली थी। पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि फ़िलहाल मीसा भारती अपने भाई तेज प्रताप यादव को फोन कर-करके समझा रही हैं और शांत रहने के लिए कह रही हैं। ये भी सामने आया है कि पार्टी की कमान दिए जाने के लिए तेज प्रताप यादव की पसंद तेजस्वी न होकर मीसा हैं।
मीसा भारती के पति शैलेश कुमार के बारे में कहा जाता है कि उनकी छवि कुलीन है, लालू परिवार के विपरीत है। उनसे मिलने-जुलने वाले लोग उनके व्यवहार की तारीफ़ करते हैं, साथ ही उनका 4 वर्ष पूर्व तारापुर उपचुनाव में शैलेश को काउंटिंग एजेंट बनाया गया था। वो कम्प्यूटर इंजीनियर हैं, ऐसे में पार्टी ने उनकी इस क्षमता का भी इस्तेमाल किया था और IT वॉररूम उनसे तैयार करवाया था। 2018 में 8000 करोड़ रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ED ने शैलेश से पूछताछ की थी, उनका फार्महाउस भी सीज किया गया था।
मीसा भारती और रोहिणी आचार्य – दोनों बहनें अलग-अलग खेमों में
लोकसभा में मीसा भारती की जीत और उनके पति की बुद्धिजीवी वाली छवि से क्या तेजस्वी परेशान हैं? या फिर तेजस्वी यादव के लिए पार्टी में बल्लेबाजी करने वाली ताक़तें परेशान हैं? 2024 लोकसभा चुनाव की तरफ एक बार फिर चलते हैं। याद कीजिए, लालू-राबड़ी की दो बेटियाँ चुनाव लड़ी थीं। पाटलिपुत्र से मीसा और सारण से रोहिणी आचार्य। रोहिणी को हार का सामना करना पड़ा। उन्हें हराने वाले राजीव प्रताप रूडी इससे पहले उनकी माँ राबड़ी देवी को भी हरा चुके हैं। पिता को किडनी डोनेट करने के कारण रोहिणी को सहानुभूति का भी लाभ मिलेगा, पार्टी में ऐसी भी चर्चा थी।
लालू यादव किडनी प्रत्यर्पण के लिए रोहिणी आचार्य के सिंगापुर स्थित आवास पर जाकर कई दिनों तक चुके थे। इस दौरान रोहिणी आचार्य अपने बच्चों की नाना के साथ तस्वीरें भी साझा करती थीं। परिवार ने उनके लिए सारण में एक तरह से डेरा डाल दिया था। ख़ुद लालू यादव कार्यकर्ताओं से वन-टू-वन मुलाक़ात कर रहे थे, RJD दफ्तर का उद्घाटन करने पहुँचे थे। लालू यादव ने सारण में घूम-घूमकर कहा था कि ये उनका अंतिम चुनाव प्रचार है। लेकिन, पाटलिपुत्र में मीसा भारती की जीत ने उनका क़द बढ़ा दिया। जबकि रोहिणी आचार्य सिर्फ़ सोशल मीडिया तक ही सिमट कर रह गईं।
ध्यान दीजिए, जैसे ही लालू यादव के आधिकारिक ‘X’ हैंडल से तेज प्रताप यादव को पार्टी से 6 वर्ष के लिए निष्कासित किए जाने का ऐलान किया गया, रोहिणी आचार्य ने खुलकर इसका समर्थन किया। तेज प्रताप यादव ने भी मीडिया के सामने आकर इसका समर्थन किया। लेकिन, मीसा भारती की तरफ से अबतक कोई बयान नहीं आया है। उनपर दबाव है बयान देने का, लेकिन माना जा रहा है कि मीसा भारती इस लड़ाई में तेज प्रताप यादव के साथ हैं। कारण – मामला अब तेज प्रताप यादव बनाम संजय यादव का है, पहले भी था।
जो परिवेश , परंपरा , परिवार और परवरिश की मर्यादा का ख्याल रखते हैं , उन पर कभी सवाल नहीं उठते हैं , जो अपना विवेक त्याग कर मर्यादित आचरण व् परिवार की प्रतिष्ठा की सीमा को बारम्बार लांघने की गलती – धृष्टता करते हैं, वो खुद को आलोचना का पात्र खुद ही बनाते हैं ..
— Rohini Acharya (@RohiniAcharya2) May 25, 2025
हमारे लिए पापा… https://t.co/8ANl4AN718
संजय यादव की ‘हैंडलिंग’ के खिलाफ पार्टी में आक्रोश
तेज प्रताप यादव किसी भी तरह संजय यादव को पटना से बेदखल करना चाहते हैं। कोई व्यक्ति हरियाणा से आकर न केवल राज्यसभा सांसद बन जाए बल्कि परिवार व पार्टी के निर्णयों को भी प्रभावित करने लगे, तो अलग-थलग पड़े तेज प्रताप यादव को परेशानी होनी आश्चर्यजनक नहीं है। यही कारण है कि ये पूरा खेल मीसा बनाम तेजस्वी के रूप में भी परिवर्तित हो रहा है। जब से आकाश यादव को निकाला गया, तभी से तेज प्रताप बागी बने हुए हैं। लालू परिवार के करीबियों ने ये भी खुलासा किया है कि तेज प्रताप के पीछे निशु सिन्हा को मालदीव भेजने वाले तेजस्वी यादव अकेले नहीं थे। इसके पीछे पूरा राबड़ी देवी का दिमाग था।
परिवार के क़रीबी सूत्रों द्वारा हमें ये बताया गया है कि निशु सिन्हा को मालदीव भेजा गया और फिर उसके बाद किसी ने तेज प्रताप व निशु सिन्हा की तस्वीरें वहाँ से अनुष्का को भेज दी और इसके बाद अनुष्का ने बग़ावती तेवर अपना लिए। तो क्या तेज प्रताप यादव ने लड़ाई-झगड़े के बाद अपने प्यार को साबित करने के लिए फेसबुक से अनुष्का के साथ तस्वीर डालकर रिलेशनशिप की बात स्वीकार कर ली? लेकिन, इसके बाद जो तस्वीरें और वीडियो एक-एक करके वायरल हुए, उनके पीछे किनका हाथ था फिर? उनका ही, जिनकी पूरी ‘प्लानिंग’ थी?
जहाँ तक आकाश यादव की बात है, उनसे मिलने-जुलने वाले बताते हैं कि उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएँ तो हैं, लेकिन उतनी नहीं जितनी सुभाष यादव या साधु यादव की थी। फ़िलहाल उन्होंने भी चुप्पी ही साध रखी है। उधर तेज प्रताप यादव अब भी परिवार के साथ सबकुछ ठीक करने में लगे हुए हैं, अगर वो असफल रहते हैं तो जल्द ही उनका भी बयान आएगा। इंतज़ार कीजिए!
बिहार चुनाव को देख रहे पक्ष-विपक्ष के राजनीतिक खिलाड़ी
राजद में अब भी कन्फ्यूजन की स्थिति है कि मीडिया में इस पूरे प्रकरण को कैसे पेश किया जाए। वहीं भाजपा की रणनीतिक तैयारी शुरू हो गई है। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के सहारे तेज प्रताप यादव को ‘कर्ण’ साबित करने की तैयारी है – उन्हें जितनी सहानुभूति मिलेगी आम जनता में, लालू यादव का परिवार उतना ही कमज़ोर होगा, तेजस्वी यादव उतने ही मजबूत होंगे। यहीं काव्य ‘रश्मिरथी’ की एंट्री होती है और ‘दे दो केवल पाँच ग्राम’ वाली पंक्तियाँ भाजपा के काम आ सकती हैं। तेज प्रातओ यादव BJP में नहीं जा रहे न पार्टी उन्हें ले रही, लेकिन वो अब एक असेट हैं – हर एक लालू परिवार विरोधी के लिए।
दिल्ली में बैठे राजद के बड़े प्रवक्ता भी कह रहे हैं कि मामला अब बिगड़ चुका है। लालू यादव के हैंडल से पोस्ट आना किसी को रास नहीं आ रहा। सबको पता है लालू यादव के हैंडल से किसने पोस्ट किया है, इस ‘बाहरी दखल’ के खिलाफ भीतर ही भीतर राजद में आक्रोश है। परिवार ही नहीं, पार्टी भी दो गुट हो गई है। सोशल मीडिया के कुछ आईटी ट्रॉल्स को छोड़ दें तो पार्टी के भीतर जो एकाध बुद्धिजीवी हैं वो बहुत नाराज़ बताए जा रहे हैं।
ये भी बताया जा रहा है कि लालू यादव का स्वास्थ्य फ़िलहाल वैसा नहीं है कि वो ख़ुद से कोई बड़ा फ़ैसला ले सकें। फिर तेज प्रताप को निष्कासित करवाने में क्या उसी ‘बाहरी ताक़त’ का हाथ था? ख़बर है कि फ़िलहाल लालू परिवार कोलकाता का रुख कर सकता है, जहाँ तेजस्वी यादव की पत्नी राचेल गोडिन्हो (नया नाम – राजलक्ष्मी यादव) अपने दूसरे बच्चे को जन्म देने वाली हैं। दिल्ली छोड़कर कोलकाता क्यों चुना गया, ये भी राजद के आंतरिक सर्कल में चर्चा का विषय बन रहा है। ख़ैर, ये परिवार का निजी मसला है।