Saturday, April 27, 2024
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‘भारत माता की जय’ नारे के साथ गुलाम नबी ने बनाई नई पार्टी, ‘डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी’ रखा नाम: कहा- वापस नहीं आ सकता अनुच्छेद-370

साल 1973 में डोडा जिले के भलेसा ब्लॉक कॉन्ग्रेस कमेटी के सचिव के रूप में राजनीति की शुरुआत करने वाले गुलाम नबी आजाद आगे चलकर युवा कॉन्ग्रेस अध्यक्ष बने और साल 1980 में पहली बार महाराष्ट्र से संसदीय चुनाव लड़कर जीते। साल 1982 में वे केंद्रीय मंत्री बने और फिर 2005 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री भी बने।

कॉन्ग्रेस (Congress) से अलग होकर अपना रास्ता तय वाले जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद (J&K Ex-CM Ghulam Nabi Azad) ने सोमवार (26 सितंबर 2022) को अपनी नई राजनीतिक पार्टी के नाम और झंडे का ऐलान कर दिया। गुलाम नबी के नए राजनीतिक दल का नाम ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ (DAP) है।

जम्मू में ‘भारत माता की जय’ के नारों के साथ नई पार्टी की घोषणा करते हुए आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी की विचारधारा उनके नाम की तरह होगी और इसमें सभी धर्मनिरपेक्ष लोग शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि नई पार्टी के एजेंडे में जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा और भूमि व नौकरियों के अधिकार स्थानीय लोगों के लिए सुरक्षित करने का संघर्ष शामिल है।

पार्टी के नाम को लेकर पत्रकारों से बात करते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पार्टी के नाम के लिए उन्हें जम्मू-कश्मीर से 1500 से अधिक सुझाव भेजे गए थे। इनमें उर्दू से लेकर संस्कृत तक के नाम शामिल थे। उन्होंने कहा कि सब यही चाहते थे कि पार्टी का नाम लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण और स्वतंत्र हो। इसीलिए इसका नाम ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ रखा गया।

पार्टी में आजाद शब्द के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि यह उनके नाम से नहीं जुड़ा है। इसका मतलब स्वतंत्रता से है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी स्वतंत्र लोकतांत्रिक पार्टी होगी, जो आम लोगों से जुड़ी होगी। उन्होंने कहा कि राजनीति में कोई दुश्मन नहीं होता, बल्कि नीतियों पर मतभेद होते हैं।

बता दें कि गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर से हटाए गए अनुच्छेद 370 पर अपनी राय पहले ही दे चुके हैं। वे कह चुके हैं कि यह अनुच्छेद फिर से वापस नहीं आ सकता, क्योंकि इसके लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत चाहिए। वे कश्मीरी विस्थापितों के पुनर्वास की बात भी कह चुके हैं।

गौरतलब है कि इसी साल 26 अगस्त को वे पार्टी के साथ अपने पाँच दशक पुराने रिश्ते को तोड़ लिया था। पार्टी से इस्तीफा देते हुए उन्होंने कॉन्ग्रेस की दुर्दशा के लिए राहुल गाँधी को जिम्मेदार बताया था। गुलाम नबी आजाद को इसी साल मार्च में पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया था।

साल 1973 में डोडा जिले के भलेसा ब्लॉक कॉन्ग्रेस कमेटी के सचिव के रूप में राजनीति की शुरुआत करने वाले गुलाम नबी आजाद आगे चलकर युवा कॉन्ग्रेस अध्यक्ष बने और साल 1980 में पहली बार संसदीय चुनाव महाराष्ट्र से लड़कर जीते। साल 1982 में वे केंद्रीय मंत्री बने और फिर 2005 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री भी बने।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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