Sunday, October 13, 2024
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कन्हैया कुमार और उसके साथियों पर चलेगा देशद्रोह का केस: टुकड़े-टुकड़े गैंग पर कसा शिकंजा

कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को यह फैसला रास नहीं आया है। उन्होंने नाराजगी जताते हुए ट्वीट किया है, "देशद्रोह कानून के बारे में केंद्र सरकार की तरह ही दिल्ली सरकार की भी समझ कम है। मैं कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ राजद्रोह का केस चलाने की मँजूरी देने का कड़ा विरोध करता हूँ।"

जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार की मुश्किलें बढ़ गई है। हाल में गृह राज्य बिहार में उन्हें लगातार भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। जन गण मन यात्रा के तहत राज्य के जिस शहर में भी कन्हैया कुमार गए वहीं उन्हें विरोध झेलना पड़ा। उन पर अंडे, मोबिल, पत्थर, चप्पल तक फेंके गए।

अब 2016 में जेएनयू परिसर में लगे देश विरोधी नारे के मामलों में भी उन पर और उनके साथियों पर शिंकजा कस गया है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कन्हैया और अन्य पर देशद्रोह का केस चलाने को मॅंजूरी दे दी है। केजरीवाल सरकार सालभर से ज्यादा समय से इससे संबंधित फाइल पर कुंडली मारे बैठी थी। शुक्रवार (फरवरी 28, 2020) को भारत विरोधी नारे लगाने और नफरत भड़काने के आरोप में देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मँजूरी दी गई।

इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए सीपीआई नेता कन्हैया कुमार ने ट्वीट किया, “दिल्ली सरकार को सेडिशन केस की परमिशन देने के लिए धन्यवाद। दिल्ली पुलिस और सरकारी वकीलों से आग्रह है कि इस केस को अब गंभीरता से लिया जाए, फॉस्ट ट्रैक कोर्ट में स्पीडी ट्रायल हो और TV वाली ‘आपकी अदालत’ की जगह कानून की अदालत में न्याय सुनिश्चित किया जाए। सत्यमेव जयते।”

एक अन्य ट्वीट में कन्हैया कुमार ने लिखा, “सेडिशन केस में फास्ट ट्रैक कोर्ट और त्वरित कार्रवाई की जरूरत इसलिए है ताकि देश को पता चल सके कि कैसे सेडिशन कानून का दुरुपयोग इस पूरे मामले में राजनीतिक लाभ और लोगों को उनके बुनियादी मसलों से भटकाने के लिए किया गया है।”

कन्हैया कुमार समेत अन्य लोगों को देशद्रोह का मुकदमा चलाने की इजाजत मिलने के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है। भाजपा ने इस मामले में आम आदमी पार्टी पर देर से और दबाव में फैसले का आरोप लगाया है। वहीं कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को कन्हैया के खिलाफ देशद्रोह का केस चलाना रास नहीं आया है। उन्होंने इस पर नाराजगी जताते हुए ट्वीट किया, “देशद्रोह कानून के बारे में केंद्र सरकार की तरह ही दिल्ली सरकार की भी समझ कम है। मैं भारतीय दंड सहिंता की धारा 124ए और 120बी के तहत कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ राजद्रोह का केस चलाने की मँजूरी देने का कड़ा विरोध करता हूँ।”

भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “लोगो के दबाव के कारण आखिर दिल्ली सरकार को JNU मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति देनी पड़ी। 3 साल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यह अनुमति टालते रहे लेकिन आखिर उन्हें जनता के आगे झुकना पड़ा। भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह, भारत की बर्बादी तक…जंग चलेगी..जंग चलेगी, एक अफ़ज़ल मारोगे तो हर घर से अफ़ज़ल निकलेगा, अफजल हम शर्मिंदा है, तेरे कातिल जिंदा है यह नारे देशद्रोही है। अब न्याय होगा।”

वहीं दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा, “केजरीवाल सरकार ने मौजूदा राजनीतिक हालात को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया है। हम इसकी माँग करते आ रहे थे कि केजरीवाल सरकार इसकी मँजूरी दे और कानून को अपना काम करने दे।”

सीपीआई नेता कन्हैया कुमार पर वर्ष 2016 में जेएनयू परिसर में लगे भारत विरोधी नारे और नफरत फैलाने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने साल भर पहले आरोप-पत्र दाखिल किया था। कन्हैया कुमार पर देशद्रोह समेत 8 धाराएँ लगाई गई हैं। कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की इजाजत देने संबंधी फाइल दिल्ली सरकार के गृह विभाग के पास पड़ी हुई थी।

गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार के अलावा जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, अनिर्बान और सात अन्‍य लोगों के खिलाफ पिछले साल 14 जनवरी को देशद्रोह, दंगा भड़काने और आपराधिक साजिश के तहत आरोप-पत्र दायर किया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सरकार से मुकदमा चलाने की इजाजत माँगी थी।

दिल्ली सरकार ने उस समय कहा था कि दिल्ली पुलिस ने नियमों का उल्लंघन किया है। उनसे बगैर अनुमति के आरोप-पत्र दाखिल किया गया है। बाद में दिल्ली सरकार ने कहा था कि इस मामले में कानूनी राय ली जा रही है। हाल ही में संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इस मामले को उछाला था और आम आदमी पार्टी को घेरने की कोशिश की थी।

इस मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पटियाला हाउस के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुमित आनंद की कोर्ट में 1200 पन्नों का आरोप-पत्र दायर किया था। हाल ही में दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली सरकार से स्टेटस रिपोर्ट माँगते हुए पुलिस को निर्देश दिया था कि वह दिल्ली सरकार को इस मामले में रिमाइंडर भेजे। अदालत ने इसकी अगली सुनवाई के लिए 3 अप्रैल की तारीख तय की थी।  

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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