महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के बाद सरकार बनने से पहले राजनैतिक गलियारे में बहुत उठा-पटक देखने को मिली। आरोप-प्रत्यारोपों के अलावा कई बैठकों में मनाने-रूठने की प्रक्रिया इस दौरान आम रही। लेकिन अब जब तस्वीर साफ हो गई कि एनसीपी-शिवसेना-कॉ़न्ग्रेस के गठबंधन से राज्य में सरकार बनने वाली है, उस समय एक और जानकारी सामने आई है। जानकारी ऐसी जिसे फिलहाल भाजपा पर निशाना साधने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन हकीकत में ये दिखाती है कि सत्ता पलटते ही अवसरवादी लोग चाहे किसी भी पार्टी से हों, वे खुद को बचाने के लिए जुगत-जुगाड़ में लग ही जाते हैं।
दरअसल, पता चला है कि शिवसेना के साथ गठबंधन बनाने से पहले कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और मल्लिकार्जुन खड़गे जिस गाड़ी में बैठकर एनसीपी चीफ शरद पवार के घर बुधवार (27 नवंबर 2019) को उच्च स्तरीय बैठक करने गए थे, उस बीएमडब्ल्यू का ताल्लुक भाजपा नेता से है। अब मन में ये सवाल लाजिमी है कि कॉन्ग्रेस नेताओं को बैठक में भाजपा नेता की कार से कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता क्यों गए? तो आइए बताते हैं… आखिर इस बैठक में भाजपा का नाम क्यों और किस कारण से उछला? और ये कहाँ तक उचित था।
Mumbai: Senior Congress leaders Ahmed Patel and Mallikarjun Kharge arrive at NCP Chief Sharad Pawar’s residence pic.twitter.com/c05lIEYw43
— ANI (@ANI) November 27, 2019
इंडिया टुडे की खबर के अनुसार, जिसे प्रभास के. दत्ता ने रिपोर्ट की है, जिस BMW कार में बैठकर दोनों वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता बैठक में पहुँचे, वे झारखंड के जमशेदपुर से पंजीकृत है और जिसका मालिकाना अधिकार केबीजे गोल्ड ऑर्नामेंट्स लिमिटेड के पास है। अब रिपोर्ट के अनुसार इस गोल्ड कंपनी के डायरेक्टर भाजपा नेता दीपक कम्बोज हैं। जो साल 2014 में भाजपा लहर होने के बाद भी दिनदोशी सीट से 580 वोटों से हार गए थे। और तो और, कम्बोज उस समय महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे अमीर दावेदार थे।
कम्बोज की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। कम्बोज की कुछ विशेष पहचान भी है, जो उन्हें कई सवालों के घेरे में घेरती हैं। जानकारी के अनुसार कम्बोज एक बैंक डिफॉल्टर हैं। उन पर बैंक का 30 करोड़ रुपया बकाया है और जिसके कारण भाजपा के सत्ता में रहने के बाद भी साल 2015 में बैंक ने उनका एक फ्लैट कब्जाया था। वहीं, कमला मिल में लगी आग के आरोपित के साथ फोटो खिंचवाकर साल 2018 में भी वो विवादों का हिस्सा रह चुके हैं। और, इसी वर्ष जून में बैंक ऑफ बड़ोदा ने उन्हें एक विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया है, जिस कारण उनके ख़िलाफ कार्रवाई जारी है।
अब चूँकि महाराष्ट्र में सत्तापलट हो रहा है तो कम्बोज जो अब तक देवेंद्र फडणवीस के करीबी कहे जा रहे थे, वो अब महाराष्ट्र की भावी सरकार को खुश करने में लगे हैं। माना जा रहा है कि वे चाहते हैं कि शिवसेना को समर्थन देकर सत्ता में बैठाने वाली कॉन्ग्रेस पार्टी उनसे खुश रहे और उनके ख़िलाफ़ चल रहे विवाद कभी विपक्षी पार्टी के लिए राजनीति का विषय न बने। अब इससे जाहिर है कि कॉन्ग्रेस नेताओं को भेजी गई बीएमडब्ल्यू कार का ताल्लुक किसी भाजपा नेता से नहीं बल्कि एक बैंक डिफॉल्टर से है, जो चाहता है कि उसके ख़िलाफ़ चल रही कार्रवाई शांत हो सके और ये मामले कभी तूल न पकड़ें।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के बाद महाराष्ट्र की उथल-पुथल ने भी इस बात को साफ कर दिया है कि राजनीति में दुश्मनी सिर्फ़ तब तक होती है, जब तक उससे कोई फायदा न हो, अगर फायदा मिला तो विरोधी भी सहयोगी और दुश्मन भी दोस्त होता। इसी नीति को अपनाकर दीपक कम्बोज कॉन्ग्रेस के हितैषी बनना चाहते हैं, ताकि वे उस बदले के भाव से बचे रहें, जो पार्टियाँ सत्ता कब्जाने के बाद दिखाती हैं।
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