उन्नाव रेप केस मामले में प्रियंका गाँधी एक बड़ी गलती कर बैठीं। ‘सबसे तेज’ चैनल की तरह वो ‘सबसे तेज’ नेता बनना चाह रही थीं लेकिन दाँव उल्टा पड़ गया। दरअसल उन्होंने उन्नाव रेप केस मामले में दर्ज हुई एफआईआर की हालिया कॉपी को अपने ट्विटर पर ट्वीट कर दिया। इस FIR कॉपी में पीड़िता के नाम का भी उल्लेख है।
ऐसी घटना पर गुस्सा और नाराजगी जायज है लेकिन चुनावों में महिलाओं को उनके अधिकारों से रू-ब-रू करवाने वाली प्रियंका गाँधी ये भूल गईं कि किसी भी रेप पीड़िता का नाम उगाजर करना न केवल मना है बल्कि कानूनन यह एक जुर्म भी है। प्रियंका गाँधी को एक राजनेता के तौर पर विपक्षी पार्टी पर हमला करते हुए, राजनीतिक पॉइंट बटोरते हुए यह ख्याल रखना चाहिए कि कहीं इससे किसी की निजता या सम्मान को ठेस न पहुँचे। लेकिन शायद अभी इन बातों से ये कोसों दूर हैं!
एक ओर जहाँ प्रियंका गाँधी को उनकी पार्टी के शीर्ष नेता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के लिए सबसे बेहतर दावेदार बता रहे हैं तो वहीं सरेआम एक रेप पीड़िता का नाम सोशल मीडिया पर उछालकर उन्होंने गैर-जिम्मेदाराना परिचय दिया है।
उन्होंने अपने ट्वीट में कुलदीप सेंगर जैसे लोगों को मिलने वाली राजनैतिक ताकतों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “हम क्यों कुलदीप सेंगर जैसे लोगों को राजनैतिक ताकत और सुरक्षा दे देते हैं और पीड़िता को पूरी जिंदगी लड़ने के लिए अकेला छोड़ देते हैं।”
उन्होंने पीड़िता के नाम वाली प्राथमिकी को शेयर करते हुए हवाला दिया कि ये एफआईआर स्पष्ट बता रही है कि पीड़िता के परिवार वालों को धमकाया और डराया गया। साथ ही इसमें योजनाबद्ध दुर्घटना की संभावना का भी उल्लेख है।
अपनी गलती का अहसास होने पर प्रियंका गाँधी ने ट्वीट डिलीट कर दिया लेकिन तब तक स्क्रीनशॉट और उनके पूरे ट्वीट का वीडियो बनाया जा चुका था।