Saturday, July 27, 2024
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‘द कश्मीर फाइल्स को रोको, टूट रही गंगा-जमुनी तहजीब’: सपा सांसद एसटी हसन ने रखी फिल्म बैन करने की माँग, कहा- ‘इससे हिन्दू-मुस्लिमों में बढ़ी नफरत’

"कश्मीरी पंडितों का दर्द हमारे दिल में भी है। अपने ही देश में वह रिफ्यूजी हो गए हैं, लेकिन इसको इतना हाइलाइट करना हमारी गंगा जमुनी तहजीब को तोड़ने का काम करती है। नफरतों को बढ़ावा देती है इसलिए इस पर रोक लगनी चाहिए।"

विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स जब से रिलीज हुई है, तभी से इसको लेकर रोकने की काफी कोशिशें की जा रही है। मुस्लिमों को यह कहते हुए देखा जा रहा है कि ये फिल्म साम्प्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुँचा रही है। इसी क्रम में अब समाजवादी पार्टी के नेता समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन का नाम जुड़ गया है। उन्होंने भी इस फिल्म पर रोक लगाने की माँग करते हुए इसे दो बड़े समुदायों के बीच नफरत फैलाने वाला करार दिया है।

बता दें कि हाल ही में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस फिल्म पर ऐतराज किया था और कहा था कि लखीमपुर फाइल्स भी बनानी चाहिए। इसके बाद अब सपा सांसद एसटी हसन ने कहा है कि इस इस पर रोक लगानी चाहिए।

मुरादाबाद से सपा के सांसद ने कहा, “कश्मीरी पंडितों का दर्द हमारे दिल में भी है। अपने ही देश में वह रिफ्यूजी हो गए हैं, लेकिन इसको इतना हाइलाइट करना हमारी गंगा जमुनी तहजीब को तोड़ने का काम करती है। नफरतों को बढ़ावा देती है इसलिए इस पर रोक लगनी चाहिए। अगर इस फिल्म को अनुमति दी गई तो कल मुरादाबाद, भागलपुर और गुजरात पर भी फिल्म बन सकता है। ये सिलसिला कब खत्म होगा।”

सपा सांसद ने ये भी कहा कि अगर दो समुदायों के बीच नफरत की सौदागिरी शुरू हो गई तो हिंदुस्तान कहाँ जाएगा? कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की माँग करते हुए सपा सांसद ने फिल्म पर तत्काल रोक लगाने की माँग सरकार से की। एसटी हसन के मुताबिक, अभी केवल दो समुदायों के बीच सिनेमाघरों में लड़ाइयाँ हो रही हैं, लेकिन इससे कितनी नफरत बढ़ रही है।

गौरतलब है कि इस फिल्म की रिलीज के बाद से ही देशभर से तमाम कश्मीरी हिंदू खुलकर सामने आ रहे हैं औऱ अपने साथ हुई बर्बरता को दुनिया के सामने रख रहे हैं। एक टीवी कार्यक्रम में द कश्मीर फाइल्स के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने बताया था कि इस फिल्म के लिए रिसर्च करते वक्त उन्होंने 700 से अधिक कश्मीरी हिंदुओं का इंटरव्यू लिया, जिनमें से सभी की कहानियाँ एक ही तरह की थीं।

उन्होंने कहा था, “मेरा मानना ​​​​है कि लोगों के लिए अपना दर्द और उनके चोट को बताने का समय बीत चुका है। अगर इस दर्द को दबा दिया जाए तो कोई इलाज नहीं होगा।” गिरिजा टिक्कू के साथ हुई क्रूरता का जिक्र करते हुए कहा कि यह फिल्म देश और दुनिया के हर बच्चे को दिखाई जानी चाहिए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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