भगवान राम और भगवा पर अमर्यादित ट्वीट करने वाले कॉन्ग्रेस नेता नेता पंकज पुनिया को को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट (SC) ने शुक्रवार (मई 29, 2020) को पुनिया के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के नोएडा और लखनऊ तथा मध्य प्रदेश के सिवनी में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने से इनकार कर दिया।
बता दें कि पंकज पुनिया को सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से हिंदुओं के “धार्मिक भावनाओं को आहत करने” के आरोप में हरियाणा के करनाल में दर्ज FIR के आधार पर गिरफ्तार किया गया था।
पुनिया ने गिरफ्तारी का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में दर्ज FIR रद्द की माँग की थी। परन्तु सुप्रीम कोर्ट ने FIR खारिज करने से इनकार कर दिया। पुनिया की तरफ से ये याचिका वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, “हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर इस याचिका पर विचार करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है।” हालाँकि सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि पुनिया चाहें तो इस मामले पर हाई कोर्ट में अर्जी लगा सकते हैं।
पंकज पुनिया के खिलाफ “धार्मिक भावनाओं को आहत करने” के आरोप में हरियाणा के करनाल के अलावा उत्तर प्रदेश के नोएडा और लखनऊ एवं मध्य प्रदेश में भी FIR दर्ज है। पुनिया को 20 मई को गिरफ्तार किया गया था।
गौरतलब है कि कॉन्ग्रेस नेता पंकज पुनिया ने मंगलवार (मई 19, 2020) को ट्वीट करके ‘संघियों’ को बलात्कारी बताया था। साथ ही भगवान राम के नाम का गलत इस्तेमाल किया और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की आलोचना करते हुए उनके खिलाफ बेहद ही आपत्तिजनक शब्द लिखे थे।
पुनिया ने यूपी सरकार की आलोचना करते हुए लिखा था, “कॉन्ग्रेस सिर्फ़ मजदूरों को अपने खर्च पर उनके घरों तक पहुँचाना चाहती थी। बिष्ट सरकार ने राजनीति शुरू की। भगवा लपेटकर नीच काम संघी ही कर सकते हैं। ये कब्र से निकालकर लाशों का बलात्कार करने वाले लोग हैं। बेटियों के सामने पैंट उतारकर जय श्रीराम के नारे लगाने वाले हस्तमैथुन करने वाले लोग हैं।”
इसको लेकर उनकी तीखी आलोचना हुई और गिरफ्तारी की माँग की जाने लगी। पंकज पुनिया के खिलाफ उत्तर प्रदेश के हजरतगंज और नोएडा पुलिस ने आईटी एक्ट सहित कई मामलो में FIR दर्ज की गई। ये मुकदमा धारा 295ए, 500, 505, 153ए और 66 आईटी एक्ट के तहत दर्ज किया गया है।