Saturday, July 27, 2024
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महाराष्ट्र के 12 BJP विधायकों का निलंबन सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया, विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को बताया- असंवैधानिक और मनमाना

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा भाजपा के 12 विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव असंवैधानिक और अवैध ही नहीं, बल्कि विधानसभा की शक्तियों से भी परे है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र भाजपा (Maharashtra BJP) को शुक्रवार (28 जनवरी 2022) को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने राज्य विधानसभा के पीठासीन अधिकारी द्वारा भाजपा के 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित करने का आदेश खारिज कर दिया। इन विधायकों को पिछले साल 5 जुुलाई को पीठासीन अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार के आरोप में निलंबित किया गया था। इन विधायकों ने अपने निलंबन को शीर्ष कोर्ट में चुनौती दी थी।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि विधायकों को एक साल तक निलंबित करने का पीठासीन अधिकारी का फैसला असंवैधानिक व मनमाना है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि निलंबन सिर्फ जुलाई 2021 में हुए विधानसभा के मानसून सत्र के लिए किया जा सकता था। कोर्ट ने माना कि सत्र के बाद भाजपा के 12 विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव असंवैधानिक, अवैध और विधानसभा की शक्तियों से परे है।

इससे पहले सुनवाई के दौरान जस्टिस एएम खानविलकर (Justice AM Khanwilkar) ने कहा था कि विधायकों को एक साल तक निलंबित करना निष्कासन से भी बदतर है और ये पूरे निर्वाचन क्षेत्र को सजा देने जैसा होगा। उन्‍होंने कहा, “कोई भी इन निर्वाचन क्षेत्रों का सदन में प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता, क्योंकि क्षेत्र के विधायक सदन में मौजूद नहीं होंगे। यह सदस्य को नहीं, बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र को सजा देने के बराबर है।” 

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट किया, “सत्यमेव जयते! मानसून सत्र के दौरान OBC के लिए आवाज उठा रहे हमारे 12 विधायकों के निलंबन को रद्द करने के ऐतिहासिक निर्णय के लिए हम माननीय सुप्रीम कोर्ट का स्वागत और धन्यवाद करते हैं।”

उन्होंने अगले ट्वीट में कहा, “हम शुरू से कह रहे थे कि कृत्रिम बहुमत बनाने के लिए हमारे विधायकों को इतनी लंबी अवधि के लिए निलंबित करना पूरी तरह से असंवैधानिक और सत्ता का घोर दुरुपयोग था और वह भी बिना किसी वैध कारण के। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हमारे रुख को बरकरार रखा है। सवाल सिर्फ 12 विधायकों का नहीं, बल्कि इन 12 निर्वाचन क्षेत्रों के 50 लाख से अधिक नागरिकों का था।”

इन विधायकों को मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भाजपा के इन 12 विधायकों- संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भटखालकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, राम सातपुते, जयकुमार रावल, योगेश सागर, नारायण कुचे व कीर्ति कुमार बागडिया को राहत मिली। 

उल्लेखनीय है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान भी तल्ख टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार के वकील ए सुंदरम के सत्र की अवधि से आगे निलंबन की तार्किकता पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि ये फैसला तर्कहीन ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र के लिए खतरनाक भी है। 

पीठ ने कहा था कि कार्रवाई तर्कसंगत होनी चाहिए और निलंबन का कुछ उद्देश्य होना चाहिए। यह उस सत्र से आगे के लिए नहीं होना चाहिए। निलंबन के पीछे कोई वाजिब और ठोस कारण होना चाहिए। पीठ ने कहा था कि एक वर्ष के लिए निलंबन का निर्णय तर्कहीन है, क्योंकि संबंधित निर्वाचन क्षेत्र को छह महीने से अधिक समय के लिए प्रतिनिधित्व से वंचित नहीं किया जा सकता।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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