Thursday, May 15, 2025
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आजादी के समय से ही चालू हो गई थी नेशनल हेराल्ड में गड़बड़ी, सरदार पटेल ने की थी रिश्वत की बात: बड़ौदा के महाराज से लिए गए थे ₹2 लाख, बाद में लौटाए भी नहीं

नेशनल हेराल्ड का उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देना था। लेकिन इस पर नेहरू के जमाने में ही रिश्वत के आरोप लगने लगे। 1947-48 में बड़ौदा के महाराजा से नेशनल हेराल्ड के लिए पूरे दो लाख रुपये की रिश्वत मांग ली गई... जिसकी शिकायत सरदार पटेल ने नेहरू से की, फिर भी वो रिश्वत वापस नहीं की गई।

नेशनल हेराल्ड केस में कॉन्ग्रेस नेता सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी समेत कई लोगों पर ईडी ने चार्जशीट दायर की है। ये चार्जशीट 988 करोड़ रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग मामले को लेकर दायर की गई है।

9 सितंबर 1938 को जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड अखबार शुरू किया. अखबार शुरू करने में करीब 5 हजार स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना अहम योगदान दिया। अखबार का प्रकाशन तीन भाषाओं हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू में होता था। अंग्रेजी में ‘नेशनल हेराल्ड’, उर्दू में ‘कौमी आवाज’ और हिन्दी में ‘नवजीवन’ के नाम से प्रकाशित होता था। इसका संचालन एसोसिएट जर्नल यानी एजीएल करता था। लेकिन इसके सर्वेसर्वा नेहरू थे क्योंकि उनके इशारों पर ही नेशनल हेराल्ड चला करता था।
1942 से 1945 यानी 3 सालों तक नेशनल हेराल्ड पर अंग्रजों ने प्रतिबंध लगा दिया था।

फिरोज गाँधी को बनाया मैनेजिंग डायरेक्टर

प्रधानमंत्री बनने के बाद नेहरू ने बोर्ड के चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया। नेहरू ने बेटी इंदिरा गाँधी के पति फिरोज गाँधी को बोर्ड का मैनेजिंग डायरेक्टर बनवाया। आजादी के बाद से कांग्रेस का मुखपत्र बन गया,लेकिन धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति खराब होने लगी।

डीडी न्यूज के पत्रकार पंकज श्रीवास्तव के मुताबिक नेहरू के निजी सचिव ओ. एम. मथाई ने नेशनल हेराल्ड और एजीएल को लेकर कई खुलासे किए। मथाई के मुताबिक फिरोज गाँधी कंपनी चलाने में सक्षम नहीं थे।

इस वजह से बोर्ड को काफी नुकसान हुआ। आर्थिक संकट से उबारने के लिए जनहित निधि ट्रस्ट बनाया गया। इस ट्रस्ट में प्रधानमंत्री नेहरू की बेटी इंदिरा गाँधी की बड़ी भूमिका थी। मथाई ने नेशनल हेराल्ड के लिए रिश्वत लेने के आरोप लगाए थे।

नेहरू के निजी सचिव ने रिश्वत की बात कही

पत्रकार पंकज श्रीवास्तव बताते हैं कि मथाई ने कहा था कि नेशनल हेराल्ड के लिए बड़ौदा के राजा प्रताप सिंह से 2 लाख रिश्वत ली गई थी। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने नेशनल हेराल्ड रिश्वत कांड की शिकायत नेहरू से की थी। शिकायत के बाद भी रिश्वत की रकम महाराजा बड़ौदा को नहीं लौटाई गई। सरदार पटेल ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि ये स्वतंत्रता सेनानियों का अखबार है, लेकिन इससे सरकारी लोग जुड़े हैं। सरदार पटेल ने ये भी कहा था कि वो इसे चैरिटी का विषय नहीं मानते।

नेहरू के दौर में कई बिजनेस घरानों ने नेशनल हेराल्ड को आर्थिक मदद की। इनलोगों ने अखबार को विज्ञापन देना शुरू किया। मफतलाल ग्रुप, टाटा ग्रुप और बिड़ला ग्रुप ने कई विज्ञापन दिए। इन विज्ञापनों के माध्यम से बोर्ड को 1956 से 1957 के बीच 842000 रुपए जमा हुए

1962 में जब प्रधानमंत्री के तौर पर पंडित नेहरू विराजमान थे। उस वक्त दिल्ली में नेशनल हेराल्ड को जमीन मिली। ये जमीन बहादुर शाह जफर मार्ग पर 15 हजार स्क्वायर फीट का प्लॉट दिया गया। इसके बाद आर्थिक तंगी के बीच 2008 तक इसका प्रकाशन चला। गाँधी परिवार का इस पर वर्चस्व बना रहा। इसमें घोटाले का आरोप सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी पर है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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