Friday, April 19, 2024
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1980 में गिरा विमान, उससे पहले 3 बार हुआ था संजय गाँधी की हत्या का प्रयास: विकीलीक्स ने किया था उजागर

सितंबर 1976 में अमेरिकी दूतावास ने एक केबल में बताया था कि 'एक सोची-समझी साजिश के तहत' प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के छोटे बेटे संजय को एक अज्ञात हमलावर ने निशाना बनाने की कोशिश की।

संजय गाँधी को कभी उनकी माँ इंदिरा गाँधी का उत्तराधिकारी माना जाता था। आपातकाल के दौरान हुए अधिकतर फैसलों पर संजय की छाप थी। लेकिन, जून 23, 1980 को मात्र 33 वर्ष की आयु में एक विमान हादसे में उनकी संदेहास्पद मौत हो गई। उनकी पत्नी मेनका गाँधी और बेटे वरुण गाँधी भाजपा से सांसद हैं। क्या आपको पता है कि विकीलीक्स ने दावा किया था कि संजय गाँधी की हत्या के लिए 3 बार प्रयास हो चुके था?

अप्रैल 2013 में विकीलीक्स ने एक यूएस केबल के हवाले से दावा किया था कि 3 बार संजय गाँधी की हत्या की कोशिश की गई थी। एक बार जब वो उत्तर प्रदेश के दौरे पर थे, तब एक हाई-पॉवर्ड राइफल का इस्तेमाल कर के उन्हें मारने की कोशिश की गई थी। सितंबर 1976 में अमेरिकी दूतावास ने एक केबल में बताया था कि ‘एक सोची-समझी साजिश के तहत’ प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के छोटे बेटे संजय को एक अज्ञात हमलावर ने निशाना बनाने की कोशिश की।

हालाँकि, ये कोशिश असफल रही थी। तारीख देख कर पता चलता है कि ये घटना आपातकाल के दौरान हुई होगी। एक गुप्त सूत्र के हवाले से उस यूएस केबल में कहा गया था कि अगस्त 30-31, 1976 को संजय गाँधी पर तीन गोलियाँ चली थीं। संजय गाँधी गंभीर रूप से घायल नहीं हुए और किसी तरह बच कर निकल गए। ये उनकी हत्या का तीसरा प्रयास था। यूएस केबल में ये भी दावा किया गया था कि इस हमले का आरोप बाहर से संचालित होने वाले ‘क्रांतिकारी शक्तियों’ पर मढ़ा जाएगा।

ये दिलचस्प है कि अमेरिकी केबल ने भारतीय ख़ुफ़िया विभाग के सूत्रों को ही अपनी जानकारी का स्रोत बताया था। इसमें कहा गया था कि अगर संजय गाँधी जख्मी हुए भी तो उनकी स्थिति क्या थी, इस बारे में कुछ साफ़ नहीं है। उस समय की ख़बरों में इस हमले को लेकर जानकारी नहीं मिलती और कॉन्ग्रेस नेताओं का कोई बयान भी नहीं आया था। संजय गाँधी की जिस तरह की छवि थी, इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उनके कई दुश्मन रहे होंगे।

आपातकाल के दौरान भेजी गई इस जानकारी में अमेरिकी दूतावास ने कहा था कि इस घटना से जुड़ी सूचनाओं को दबा कर रखा जा रहा है। आपातकाल का ही नुकसान था कि 1977 के चुनाव में इंदिरा गाँधी की हार हुई थी। जनता पार्टी सत्ता में आई, लेकिन संजय गाँधी की हत्या की कोशिश के सम्बन्ध में कोई जाँच नहीं हुई। संजय गाँधी की जब हत्या हुई, उससे 6 महीने पहले ही उनकी माँ के नेतृत्व में फिर से कॉन्ग्रेस की सरकार सत्ता में लौट आई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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