राजस्थान के राजगढ़ में थाना प्रभारी विष्णुदत्त विश्नोई के ‘आत्महत्या’ का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। कोई ये मानने को तैयार ही नहीं है कि अपराधियों के छक्के छुड़ाने वाले एक दबंग और ईमानदार पुलिस अधिकारी ने इस तरह आत्महत्या की होगी। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे और वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता कुलदीप विश्नोई ने भी आशंका जताई है कि ये आत्महत्या नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस सम्बन्ध में पत्र भी लिखा है।
कुलदीप विश्नोई ने अपने पत्र में लिखा है कि विष्णुदत्त विश्नोई की ‘कथित आत्महत्या’ की सीबीआई जाँच कराई जाए। उन्होंने विष्णुदत्त को ईमानदार, कर्तव्यपरायण और जाँबाज पुलिस अधिकारी बताते हुए कहा कि 1997 में नियुक्ति के बाद वो जहाँ भी रहे, अपनी कर्त्तव्य निष्ठा से आमजनों और पुलिस विभाग के प्रति हमेशा से जवाबदेह रहे। उन्होंने कहा कि वो मान ही नहीं सकते कि विष्णुदत्त जैसे ऑफिसर ने आत्महत्या की है। उन्होंने लिखा:
“उन्होंने क़ानूनी रूप से आमजनों को न्याय दिलाने, सभी वर्गों के बीच सौहार्द कायम करने, और अपराधियों, सट्टेबाजों और नशाखोरों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई को हमेशा से अपनी प्रथम प्राथमिकता माना। उन्होंने लोगों के मन में क़ानून के प्रति विश्वास उत्पन्न किया। उन्होंने विकास कार्यों में जन भागीदारी सुनिश्चित की। बीकानेर के जिन भी क्षेत्रों में वो पदस्थापित रहे, वहाँ उन्होंने अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुँचाने के लिए अपनी जान लगा दी।”
उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से गुहार लगाई कि अगर इस मामले में सीबीआई जाँच नहीं होती है तो सच्चाई सामने नहीं आए पाएगी। विश्नोई ने लिखा कि अगर विष्णुदत्त ने आत्महत्या की है, तो इसके पीछे किसका दबाव था और कौन से कारण थे, इसका पता लगाने के लिए निष्पक्ष जाँच आवश्यक है। उन्होंने इस हत्या प्रकरण के खुलासे के लिए सीबीआई जाँच की माँग की।
बता दें कि इस मामले में एथलीट से कॉन्ग्रेस विधायक बनीं कृष्णा पूनिया पर आरोप लग रहे हैं। अपने वकील मित्र के साथ व्हाट्सअप पर बात करते हुए विष्णुदत्त विश्नोई ने विधायक को बकवास बताया था। जबकि विधायक कृष्णा पूनिया ने उनकी मौत पर दुःख जताते हुए कहा है कि वो कभी उनसे अकेले में मिली ही नहीं। नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का कहना है कि राजनीतिक-आपराधिक गठजोड़ का साथ न देने की क़ीमत विष्णुदत्त विश्नोई को चुकानी पड़ी।
राठौड़ ने कहा कि पुलिस के आला अधिकारी भी संवेदनहीन होकर इस हत्याकांड की सच्चाई पर पर्दा डालने में लगे हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि शव को 12 घंटों तक फंदे से लटकते हुए ही छोड़े रखा गया। राठौड़ ने साक्ष्यों से छेड़छाड़ की आशंका जताते हुए आरोप लगाया कि पीड़ित परिवार को भी TV पर विश्नोई की मौत की सूचना मिली। राठौड़ ने कहा कि सुसाइड नोट के 3 पन्ने के होने की बात कही जा रही थी लेकिन अंत में दो पन्ने ही बताए गए।
विष्णुदत्त विश्नोई की लोकप्रियता का आलम ये था कि पूरे राजगढ़ में उनकी आत्महत्या के बाद गम का माहौल है। पुलिस विभाग के लोग सड़कों पर ड्यूटी के दौरान ही रोते हुए दिखे। अब पूरा राजगढ़ थाना ही तबादला माँग रहा है। पुलिसकर्मियों ने कॉन्स्टेबलों के तबादले की बात करते हुए कहा कि उनका मनोबल टूट गया है। आईजी को लिखे पत्र में 39 पुलिसकर्मियों ने कहा कि विधायक द्वारा छोटी-छोटी बातों पर उच्चाधिकारियों से उनकी झूठी शिकायत कर दी जाती है।
सीएम @ashokgehlot51 जी चुरू जिले के राजगढ़ थाने में कार्यरत थाना अधिकारी विष्णुदत्त जी विश्नोई ने आत्महत्या कर ली,यह सिस्टम पर बहुत बड़ा सवालिया निशान है,जांच @CBItweets को देकर मामले में आप वक्तव्य जारी करे क्योंकि गृह विभाग भी आपके पास है
— अखिल भारतीय बिशनोई महासभा (@abbmsindia) May 23, 2020
ईश्वर दिवगंत आत्मा को शांति प्रदान करे pic.twitter.com/pp3xQGsoEq
सवाल उसी तरह के हैं, जिनसे 2011 में राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार और उसके नेताओं को जूझना पड़ा था। 2011 में भंवरी देवी नाम की एक नर्स के गायब होने से राजस्थान की सियासत गरम हो गई थी। ठीक उसी तरह जैसे आज विष्णुदत्त विश्नोई की आत्महत्या पर सियासी उफान दिख रहा है। डीजीपी भूपेंद्र सिंह ने कहा था कि उनकी नज़र में विष्णुदत्त राज्य के शीर्ष 10 एसएचओ में शामिल थे।