प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्तापलट करके सत्ता में आए मोहम्मद यूनुस की सच्चाई अब उनकी ही सरकार के लोग खोलने लगे हैं। किस तरह आतंकियों के सहारे शेख हसीना को सत्ता से हटाया और अब बांग्लादेश में हिन्दुओं की हालत क्या है, इसका हाल मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत ने बताया है। उन्होंने यूनुस को तानाशाह कहा है।
मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारून अल रशीद ने सारे आरोप अपनी सरकार पर जड़े हैं। उन्होंने कहा है कि बांग्लादेश गर्त में जा रहा है और पश्चिमी देश इस पर चुप हैं। रशीद ने कहा है कि बांग्लादेश में सत्ता पाने के लिए भारत विरोधी भावना पैदा की गई है।
आतंकी अभियान था हसीना का तख्तापलट
राजदूत रशीद ने आरोप लगाया है कि बांग्लादेश में 5 अगस्त, 2024 को सत्ता में हुआ फेरबदल एक आतंकी अभियान का परिणाम था। उन्होंने कहा, “5 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश ने अपने इतिहास में से एक सबसे काले दिनों में से एक का अनुभव किया- एक सुनियोजित आतंकवादी हमले से प्रधानमंत्री शेख हसीना की वैध सरकार को उखाड़ फेंककर इसकी नींव हिला दी गई। जब देश जल रहा था और सारी व्यवस्थाएँ जार-जार हो रहीं थी, तब मोहम्मद यूनुस सत्ता हथियाने आया था।”
रशीद ने कहा है कि यह विश्व इतिहास के सबसे सफल आतंकी अभियान में से एक कहा जाएगा। रशीद ने कहा कि इस आतंकी अभियान की शुरुआत कुछ लोगों ने इंटरनेट पर हसीना सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार से की। उन्होंने कहा कि शेख हसीना के शासन में बोलने की आजादी का फायदा उठाते हुए मुस्लिमों को भड़काया गया और उनके मन में भारत के प्रति घृणा भारी गई। इसके अलावा हिन्दुओं के खिलाफ भी हिंसा भड़काई।
यूनुस सरकार के मंत्री आतंकी
हारून रशीद ने कहा है कि मोहम्मद यूनुस की सरकार में हिज़्ब उत-तहरीर, आईएस और अल-कायदा के आतंकी खुले आम घूम रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जुलाई-अगस्त में शेख हसीना के खिलाफ हिंसा करने वाले लोग भी इन्हीं संगठनों ने आए थे।
रशीद ने कहा कि इन पर कार्रवाई के बजाय यूनुस सरकार ने इनकी बचा कर रखा है, उन्हें सरकार में जगह दी है और उन्हें मंत्री बनाया है। रशीद ने आरोप लगाया कि यूनुस की सरकार में बांग्लादेश पहचान मिटाई जा रही है। हिन्दू मंदिर तोड़े जा रहे हैं। महिलाओं और हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे हैं।
हसीना नहीं, यूनुस ने किए अत्याचार
रशीद ने कहा है कि शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट करने के बाद यूनुस सरकार लोगों को प्रताड़ित करने में लगी है। उन्होंने लिखा, “अगर मानवाधिकार उल्लंघन की सही मायने में जाँच की जाए, तो एक भयावह सच्चाई सामने आएगी। यूनुस के संरक्षण में सिर्फ़ 15 दिनों में किए गए अत्याचार शेख हसीना के पूरे कार्यकाल में किए गए अत्याचारों से कहीं ज़्यादा थे।”
रशीद ने लिखा, “उन दो हफ़्तों में बांग्लादेश में आतंक का बोलबाला हो गया। भीड़ ने सैकड़ों पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी- गर्भवती महिलाओं ने दया मांगी, लेकिन उन्हें भी मार दिया गया। सैकड़ों अवामी लीग समर्थकों को पीट-पीटकर मार डाला गया, उनके शवों को चेतावनी के तौर पर छोड़ दिया गया। ऐसी बर्बरता सदियों में नहीं देखी गई।”
मोहम्मद यूनुस है तानाशाह
रशीद ने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस स्वयं एक तानशाह है। उन्होंने कहा कि यूनुस ने सत्ता में आते ही शेख हसीना के काल में अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोप हटवा लिए। रशीद ने कहा है कि मोहम्मद यूनुस ने अपना मुखौटा उतार फेंका है और वह कोई सुधार नहीं बल्कि एक तानाशाह है।
रशीद के अनुसार, यूनुस ने हाल ही में आरोप लगाया कि शेख हसीना ने बांग्लादेश को गाजा की तरह छोड़ा है, इस बात में रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है। रशीद ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश में बीते कुछ सालों में हुए विकास को मिटाने की कोशिश यूनुस कर रहे हैं।
उन्होंने मोहम्मद यूनुस पर पश्चिमी देशों की चुप्पी को लेकर भी प्रश्न उठाए हैं। रशीद ने कह़ा कि मोहम्मद यूनुस ने स्वयं ही अमेरिका में एक आतंकी की प्रशंसा की। उन्होंने यूनुस की ग्रामीण बैंक पर भी देश के लोगों के शोषण का आरोप जड़ा है।
रशीद ने कह़ा है कि उन्होंने बंगबंधु मुजीबुर रहमान के ऊपर एक किताब लिखी, इसलिए वह प्रताड़ित किए जा रहे हैं। रशीद ने कहा कि उनका देश उनसे चुरा लिया गया है। उन्होंने स्वयं को एक प्रताड़ित राजनयिक बताया है।
हारुन रशीद 2023 में मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत नियुक्त किए गए थे। वह काफी लम्बे अनुभव वाले राजनयिक हैं और इससे पहले कई देशों में बड़ी जिम्मेदारियाँ संभाल चुके हैं। उन्होंने ही अब बांग्लादेश की यूनुस सरकार के खिलाफ बगावत कर दी है और उसकी सच्चाई बता दी है।
तख्तापलट को क्रान्ति बताने की होती रही है कोशिश
गौरतलब है कि जुलाई-अगस्त महीने में बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार के खिलाफ प्रदर्शन चालू हुए थे। प्रदर्शन का कारण पहले आरक्षण बताया गया था। शेख हसीना सरकार ने यह मुद्दा सुलझा दिया था। हालाँकि, इसका असल मकसद हसीना का तख्तापलट था।
कुछ ही दिनों में यह प्रदर्शन हिंसक हो चुका था और इसमें इस्लामी आतंकी भी शामिल हो चुके थे। उन्होंने ही बांग्लादेश में पुलिस, हिन्दू और आवामी लीग के लोगों पर हमले किए और अंत में शेख हसीना को निशाना बनाया। शेख हसीना को मजबूरी में देश छोड़ना पड़ा।
इस हिंसक कार्यवाही को लगातार क्रान्ति बताकर पेश किया जाता है। हालाँकि, शेख हसीना समर्थक बार बार कह चुके हैं कि पश्चिमी देशों के दबाव में आने के चलते उनका तख्तापलट हुआ है। बीते दिनों यह भी स्पष्ट हुआ था कि इस तख्तापलट में सेना के हाथ संयुक्त राष्ट्र ने बाँध दिए थे।