Monday, October 7, 2024
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स्वीडन को ‘मजहब का सम्मान’ सिखा रहा चीन, खुद उइगर मुस्लिमों को पानी के लिए तरसाता है, सूअर का माँस खाने को करता है मजबूर…

स्वीडन के मसले पर मानवाधिकारों का पैरोकार चीन ऐसे वक्त में बना है, जब संयुक्त राष्ट्र की एक टीम शिनजियांग प्रांत का दौरा करने वाली है।

यूरोप के उत्तर में बसा स्वीडन दुनिया के सबसे शांतिप्रिय देशों में से एक है। लेकिन बीते कुछ दिनों से हिंसक घटनाओं और सांप्रदायिक दंगों के कारण इस देश में अशांति फैली हुई है। स्वीडन में 14 अप्रैल को लिंकोपिन शहर में अप्रवासी और इस्लाम विरोधी पार्टी ‘स्ट्राम कुर्स (Stram Kurs)’ द्वारा कुरान की प्रतियाँ जलाने के ऐलान के बाद कट्टरपंथी इस्लामवादियों की उन्मादी भीड़ ने जमकर दंगा और हिंसा की। नकाबपोश उन्मादी भीड़ ने ‘अल्लाहु अकबर’ के नारे लगाते हुए पुलिस की कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया और पत्थरबाजी भी की। इसके बाद से स्वीडन अंतरराष्ट्रीय मीडिया में चर्चा में हैं।

अब चीन ने स्वीडन में हुई हिंसक घटना को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। जी हाँ, वही चीन जो दुनिया भर में मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के लिए जाना जाता है। उइगर मुस्लिमों (Uighur Muslims in China) पर क्रूर अत्याचार करने वाली चीन की कम्युनिस्ट सरकार (Chinese Communist Government) ने कहा है, “स्वीडन को अपने देश में रह रहे मुस्लिमों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की ‘धार्मिक आस्था’ का सम्मान करना चाहिए। उनकी हितों की रक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए।”

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने 20 अप्रैल को स्वीडन में कुरान की प्रतियाँ जलाने की आलोचना करते हुए इस घटना को शर्मनाक बताया था। चीनी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, “उन्होंने यूरोपीय देश से मुस्लिमों और अन्य अल्पसंख्यक समूहों की धार्मिक मान्यताओं का ईमानदारी से सम्मान करने, उनके अधिकारों की रक्षा करने को कहा था।”

खैर, स्वीडन को मुस्लिमों के हितों की रक्षा और उनके मजहब का सम्मान करने का ज्ञान देने के ठीक पाँच दिन बाद ही चीन का विदेश मंत्रालय काफी घबराया हुआ नजर आया, क्योंकि उसे खबर मिली कि मई में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की आयुक्त मिशेल बाचेलेट चीन की यात्रा पर आने वाली हैं। दरअसल, चीन के शिनजियांग प्रांत का दौरा करने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र की एक टीम चीन पहुँच गई है। ये टीम यहाँ संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार आयुक्त के चीन दौरे के लिए जरूरी तैयारियाँ कर रही है। मानवाधिकार आयुक्त मिशेल बैशलेट अगले महीने शिनजियांग का दौरा करेंगी। संयुक्त राष्ट्र के किसी मानवाधिकार आयुक्त ने 2005 के बाद से शिनजियांग की यात्रा नहीं की है। इस बात को लेकर चीन बेहद डरा हुआ है।

ह्यूमन राइट्स वॉच द्वारा चीन को दुनिया में मानवाधिकारों का हनन करने वालों में सूचीबद्ध किया गया है। मानवाधिकार समूहों और कुछ पश्चिमी सरकारों का आरोप है कि चीनी सरकार शिनजियांग में उइगर मुस्लिम का नरसंहार और उन पर अत्याचार कर रही है। चीन शिनजियांग में न केवल उइगर, बल्कि तुर्की मुस्लिमों की सांस्कृतिक पहचान को भी मिटा रहा है। सऊदी अरब, पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे कई मुस्लिमों देशों समेत पूरी दुनिया यह बात जानती है कि चीन जो स्वीडन को ‘धार्मिक मान्यताओं के सम्मान’ का पाठ पढ़ रहा है, वह खुद उइगर मुस्लिमों के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार करता है।

मजहब छोड़ने के लिए प्रताड़ित किया जाता है

एक रिपोर्ट के अनुसार, 1 मिलियन से 2 मिलियन यानी 10 से 20 लाख उइगर मुस्लिमों और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय को शिनजियांग के विभिन्न शिविरों में रखा गया है। यहाँ उन्हें अपना मजहब छोड़ने, मार्क्सवाद का अध्ययन करने और कारखानों में काम करने के लिए प्रताड़ित किया जाता है। जबकि मध्य एशिया और अफ्रीका के अशांत क्षेत्रों से बड़ी संख्या में मुस्लिम आकर स्वीडन समेत अन्य यूरोपीय देशों में बसे हैं। यहाँ की सरकारों ने इन पर रहम दिखाते हुए, उन्हें सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराई हैं, जिससे कभी शरणार्थी रहे ये मुस्लिम धीरे-धीरे स्वीडन के नागरिक बन गए। करीब एक करोड़ की जनसंख्या वाले शांतिप्रिय लोकतंत्र स्वीडन को ऐसे शरणार्थियों के लिए सुरक्षित स्थान माना जाता है। इसके बावजूद चीन उस पर ऊँगली उठा रहा है, जबकि आए दिन उइगर मुस्लिमों पर चीन के अत्याचारों की खबरें अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छाई रहती हैं।

द हॉन्ग कॉन्ग पोस्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट की 2020 (Australian Strategic Policy Institute’s 2020) की रिपोर्ट के अनुसार, उइगर चीनी सरकार की नीति के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल और ऑटोमोटिव सहित स्पलाई चेन की एक रेंज में काम करते हैं, जिसे ‘शिनजियांग एड’ (Xinjiang Aid) के रूप में जाना जाता है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि उइगर सिर्फ शिनजियांग में ही काम नहीं कर रहे हैं। वे नौ चीनी प्रांतों में फैले 27 कारखानों में भी काम करते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में उइगर मुस्लिमों को अक्सर उनकी इच्छा के विरुद्ध काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।

यह भी बताया जाता है कि चीनी डिटेंशन सेंटर में उइगर मुस्लिमों के मुँह में पाइप डालकर हाथ-पैर बाँध दिए जाते हैं। इतना ही नहीं पानी माँगने पर चीनी सैनिक उइगर मुस्लिमों के मुँह में पानी के बोतल का ढक्कन तक कस देते हैं। एक चीनी पुलिस अधिकारी के शब्दों में, “उइगरों को चीन के सैनिक मालगाड़ी में भरकर डिटेंसन सेंटर्स लाते हैं। इन्हें कई दिनों तक भूखा मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। ज्यादा विरोध करने पर चीनी सैनिक एक ही हथकड़ी में दो-दो लोगों को बाँध देते हैं। कभी-कभी तो इन अल्पसंख्यक समुदाय को पीट-पीटकर मार भी दिया जाता है। भागने के डर से उइगरों को शौचालय तक नहीं जाने दिया जाता है।”

‘देह-व्यापार का शिकार, खिलाता है सूअर का मांस’

अक्टूबर 2021 में खुलासा हुआ था कि चीन उइगर मुस्लिमों के अंगों को बेच रहा है। ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न स्थित अख़बार ‘द हेराल्ड सन’ ने चीन के ऑर्गन ट्रैफिकिंग का खुलासा किया था। रिपोर्ट में बताया गया था कि उइगर मुस्लिम के स्वस्थ लिवर को चीन 1,60,000 डॉलर्स (1.20 करोड़ रुपए) में बेच रहा है। अख़बार के मुताबिक, इन धंधों से चीन को 1 बिलियन डॉलर (7492 करोड़ रुपयों) की कमाई हो रही है। 2017-19 के बीच 80,000 उइगर मुस्लिमों को देह-व्यापार का शिकार बनाया गया था। खास बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) को भी चीन के इस गोरखधंधे की जानकारी है। उसी साल चीन के शिनजियांग क्षेत्र में आधी रात को गिरफ्तार हुई उइगर महिला हसिएत अहमत (57) को उसके पड़ोस के युवाओं को इस्लामिक शिक्षा देने और कुरान की प्रतियाँ छिपाने के लिए 14 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। ये भी खबर आई थी कि शिनजियांग में मुस्लिम महिलाओं की जबरन नसबंदी कराई जाती है, उन्हें सूअर का मांस खाने और शराब पीने के लिए भी मजबूर किया जाता है।

3 साल में 16000 मजहबी स्थल ध्वस्त

चीन में उइगर मुस्लिमों का होता दमन कई वर्षों से चर्चा में बना हुआ है। उनकी संस्कृति, सभ्यता, मजहबी रिवाज, तौर-तरीके, घर की बनावट, साज-सजावट का तरीका सब बदला जा रहा है। इसके अलावा डिटेंशन कैंप में रख कर महिलाओं के साथ रेप, अबॉर्शन समेत तमाम अमानवीयता की जा रही है। इमाम और मौलवियों को भी कैद में रखा जा रहा है। यही नहीं उइगरों की मस्जिद को गिरा कर होटल बनाने की तैयारी में रहने वाला चीन 3 साल में 16000 मजहबी स्थल ध्वस्त कर चुका है।

दूसरी ओर चीन इन सभी दावों को खारिज करता रहता है। उसका कहना है कि उन्होंने कोई मजहबी स्थल जबरन गिराया ही नहीं, जबकि मीडिया खबरें बताती हैं कि 2017 से 2020 के बीच में शिनजियांग के 900 क्षेत्रों में करीब 16000 मस्जिदें या तो आधी या फिर पूरी ध्वस्त हुई हैं। मीनारों को मस्जिद से हटा दिया गया है। रॉयटर्स समाचार एजेंसी की मानें तो हाल ऐसा है कि जब उनका पत्रकार रमजान के माह में उइगर गया तो उसने भी मस्जिदों को या तो पूरा गिरा हुआ या फिर आधा ध्वस्त पाया।

‘हिजाब पहनी लड़कियों को जेल’

फरवरी 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उइगर मुस्लिमों के साथ होते अत्याचार की खबरों के बीच ये खबर आई थी कि चीन की नजर अब सान्या क्षेत्र के उत्सुल मुस्लिमों पर भी है। इस क्षेत्र में 10 हजार से भी कम संख्या में ये समुदाय रहता है। मगर, वहाँ ‘चीनी सपने’ को साकार करने की आड़ में इस समुदाय पर अप्रत्यक्ष रूप से हमले होने शुरू हो गए थे। जानकारी के अनुसार, सान्या में अब मुस्लिम घरों व दुकानों के बाहर लिखे मजहबी नारों जैसे अल्लाह-हू-अकबर को स्टिकर्स की मदद से ढका गया था। हलाल खाने के बोर्ड को भी रेस्त्रां आदि से हटाया गया था। इस्लामी स्कूलों को बंद कर दिया गया और हिजाब पहनने वाली लड़कियों को जेल भेजने की कोशिश की गई थी।

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