कनाडा के वैंकूवर में एक बड़े गुरुद्वारे खालिस्तानी आतंकियों ने हमला कर दिया। उन्होंने रात के अँधेरे में गुरुद्वारे पर भारत विरोधी नारे लिखे। वैंकूवर के ही एक हिन्दू मंदिर पर भी ऐसे ही भड़काऊ नारे लिखे गए। आरोप है कि कुछ दिन पहले इस गुरुद्वारे ने खालिस्तानियों को अपने नगर कीर्तन में शामिल नहीं होने दिया था, इसलिए यह घटना हुई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वैंकूवर के रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारे पर शनिवार (19 अप्रैल, 2025) को सुबह तीन बजे हमला हुआ। इस दौरान एक ट्रक में बैठ कर आए कुछ लोगों ने गुरुद्वारे की दीवाल पर ‘किल मोदी’, ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ समेत बाकी भारत विरोधी नारे लिखे। यह लोग इसके बाद भाग गए।
डराने के लिए किया हमला
सुबह गुरुद्वारे का प्रबन्धन करने वाल खालसा दीवान सोसायटी को इस विषय में पता चला। उसने पुलिस को इस मामले में सूचना दी है। पुलिस अब इस घटना की जाँच कर रही है। खालसा दीवान सोसायटी ने इसे कट्टरपंथियों का काम बताया है।
सोसायटी ने हमले के बाद जारी एक बयान में कहा, “खालिस्तान की वकालत करने वाले सिख अलगाववादियों के एक छोटे समूह ने ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ जैसे विभाजनकारी नारे लिखकर हमारे गुरुद्वारे की पवित्र दीवारों को खराब कर दिया।” सोसायटी ने कहा कि यह घटना ऐसे समय में तब और दुखद है जब वह खालसा सजना दिवस मनाने वाले हैं।
गुरुद्वारे से जुड़े लोगों ने कहा कि खालिस्तानी यह काम इसलिए कर रहे हैं ताकि वह लोगों के दिमाग में डर बैठा सकें और सिखों में विभाजन पैदा कर सकें। बताया गया है कि इस हमले से एक सप्ताह पहले बैसाखी के मौके पर इस गुरुद्वारे ने नगर कीर्तन का आयोजन किया था, इसमें खालिस्तानियों को आने से रोक दिया गया था। यह गुरुद्वारा 1906 में स्थापित किया गया था।
मंदिर पर भी हमला
माना जा रहा है कि इसी के चलते खालिस्तानी भड़के हुए थे। वैंकूवर में सिर्फ गुरुद्वारा ही नहीं बल्कि एक मंदिर पर भी ऐसा ही हमला शनिवार को ही किया गया। मंदिर से जुड़े लोगों ने बताया है कि यह हमले पूर्व नियोजित हो सकते हैं ताकि सिख और हिन्दू आपस में बंट जाएँ।
मामले में पुलिस को भी सूचना दे दी गई है। वैंकूवर पुलिस के प्रवक्ता स्टीव एडिसन ने कहा है कि अभी वह किसी की पहचान इस मामले में नहीं कर पाए हैं। उन्होंने कहा है कि पुलिस इस मामले में जाँच कर रही है और जल्द ही इस विषय में सूचना देगी।
लगातार हो रहे हमले
कनाडा में मंदिर और गुरुद्वारों पर हमले का यह कोई पहला मामला नहीं है। 4 नवम्बर को भी कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर में श्रद्धालुओं पर खालिस्तानी समर्थकों की भीड़ द्वारा हमला किया गया था। इस दौरान, मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं पर लाठी-डंडे बरसाए गए और महिलाओं व बच्चों को भी नहीं बख्शा गया था।
इससे पहले जुलाई 2024 में भी कनाडा के एडमॉन्टन के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में तोड़-फोड़ की गई थी। यहाँ के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर पर सुबह-सुबह भारत विरोधी नारे लिखे गए थे। अगस्त, 2023 कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में खालिस्तानियों द्वारा एक बार फिर हिंदू मंदिर को निशाना बनाया गया था।
सितम्बर, 2023 में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में दुर्गा मंदिर पर खालिस्तानी हमला हुआ था। कनाडा में इससे पहले रही जस्टिन ट्रूडो की सरकार लगातार खालिस्तानियों को इन हमलों के बाद बचाती आई थी। वर्तमान में भी उनकी ही पार्टी की सरकार है और खालिस्तानियों को प्रश्रय मिला हुआ है, जिससे ऐसी घटनाएँ हो रही हैं।
भारत ने लगातार ऐसे मामलों को कनाडा के सामने उठाया है। हालाँकि, सिख वोटों के लिए पार्टियों के दबाव में पुलिस भी कार्रवाई नहीं करती है।