बांग्लादेश में तख्तापलट के सहारे सत्ता में आई मोहम्मद यूनुस सरकार लगातार दमन चक्र चला रही है। उसने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग को खत्म करने की कसम खा ली है। आवामी लीग के कार्यकर्ताओं और नेताओं को पकड़ने के लिए विशेष ओपरेशन चलाया जा रहा है। शेख हसीना की सरकार में हिंसा रोकने वाले पुलिसकर्मियों को भी जेलों में भरा जा रहा है।
शेख हसीना की पार्टी में रहे लोगों पर भी यूनुस सरकार दमनचक्र चला रही है। उन्होंने पकड़ने के लिए यूनुस सरकार ने ‘ओपरेशन डेविल हंट’ नाम का एक अभियान चलाया है। इसके तहत अब तक 4790 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इनमें से अधिकांश आवामी लीग और ऐसे ही संगठनों से जुड़े हुए लोग हैं।
मोहम्मद यूनुस की सरकार नहीं चाहती कि आवामी लीग के कार्यकर्ता उसकी कारस्तानियों को उजागर करें। इसके लिए देश भर में इन्हें पकड़ने के लिए सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों को लगाया गया है। मोहम्मद यूनुस की सरकार ने दावा किया है कि यह अभियान अपराधियों को पकड़ने और कानून व्यवस्था सुधारने के लिए चलाया गया है।
आवामी लीग के आम कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि पूर्व सांसद और मंत्री भी निशाने पर हैं। आवामी लीग के लगभग 100 सांसदों और पूर्व मंत्रियों को अब तक मोहम्मद यूनुस की सरकार अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार करके जेल में डाल चुकी है। इनमें महिला नेता दीपू मोनी भी शामिल हैं।
शेख हसीना के अलावा लगभग 200 नेता, अलग-अलग देशों को भाग चुके हैं। उन्होंने यह कदम यूनुस सरकार के दमनचक्र से बचने को उठाया है। देश में कथित अपराधियों को पकड़ रही यूनुस सरकार, शेख हसीना का घर दिनदहाड़े गिरा देने वाले एक भी कट्टरपंथी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।
बांग्लादेश में जुलाई-अगस्त के दौरान हुई हिंसा को रोकने का काम करने वाले 1059 पुलिसकर्मी भी अब यूनुस सरकार के निशाने पर हैं। तख्तापलट के सहारे सत्ता में आई यूनुस सरकार इनको गिरफ्तार कर रही है। 41 को गिरफ्तार किया भी जा चुका है।
शेख हसीना की सरकार के दौरान बांग्लादेश में पुलिस के मुखिया रहे IGP अब्दुल्लाह अल मामून को भी गिरफ्तार किया गया है। उन पर मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाया गया है। इसके अलावा ढाका के पुलिस कमिश्नर रहे असदुज्ज्मान मियाँ को भी यूनुस सरकार ने गिरफ्तार किया है। उन पर ही यही आरोप लगाए गए हैं।
गिरफ्तारियाँ सिर्फ शीर्ष पुलिस अधिकारीयों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि शेख हसीना की सरकार के दौरान बांग्लादेश के बड़े शहरों के पुलिस कमिश्नर रहे अधिकांश पुलिस अधिकारी जेलों में ठूंस दिए गए हैं। आलोचकों का कहना है कि यूनुस सरकार उनसे इस्लामी कट्टरपंथियों पर कार्रवाई करने का बदला निकाल रही है।