भारत में बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ मोदी सरकार ने ऑपरेशन पुश-बैक चलाया हुआ है। इस ऑपरेशन के तहत त्वरित कार्रवाई करते हुए घुसपैठियों को उनके मुल्क चुन-चुनकर वापस भेजा रहा है। करीबन 1000+ बांग्लादेशी अब तक वापस भेजे जा चुके हैं। इसी तरह रोहिंग्याओं पर भी सरकार सख्त है। जाहिर ये कार्रवाई इस्लामी कट्टरपंथियों को और उन लोगों को पसंद नहीं आ रही जिनपर एक्शन हो रहा है। इसी क्रम में भारतीय सेना और सरकार दोनों को बदनाम करने के प्रयास भी पूरे हैं।
हाल में डेली स्टार ने एक खबर प्रकाशित जी है जिसमें उन लोगों के दुखड़ा बताया गया जिन्हें पकड़कर भारत से वापस भेजा गया। इनमें एक 41 साल की सेलिना बेगम का जिक्र है। बताया गया है कि सेना ने हरियाणा से पकड़ा था। वहाँ वह मजदूरी करती थी। बाद में उन्हें त्रिपुरा सीमा के नजदीक फेनी नदी में कमर पर खाली बोतलें बाँधकर फेंक दिया और वो पूरी रात नदी में बस तैरती रहीं। अंत में उन्हें उनके बांग्लादेश सीमा गार्ड ने बचाया। उनके मुताबिक उनके साथ उनकी बच्चियाँ भी थीं।
रिपोर्ट में दिखाया गया है कि कैसे भारतीय प्रशासन ने उन्हें प्रताड़ना दी। उन्हें भूखे रखकर अपनी कैद में रखा और फिर सीमा पार फेंक दिया। इसमें बीजीबी (बांग्लादेश बॉर्ड गार्ड) के महानिदेशक मेजर जनरल मोहम्मद अशरफज्जमां सिद्दीकी का कहना है कि वो बार-बार ऐसी घटना का विरोध कर रहे हैं, मगर फिर भी ऐसा हो रहा है। बीएसएफ उनकी सुन रही है।
इसी रिपोर्ट के मुताबिक 7 मई तक करीबन 1053 लोगों को सीमा पार वापस भेजा गया है। इनमें खगराछारी में 111 लोगों को, कुरीग्राम में 84 लोगों को, सिलहट में 103 लोगों को, मौलवीबाजार में 331 लोगों को, हबीगंज में 19 लोगों को, सुनामगंज में 16 लोगों को, दिनाजपुर में दो लोगों को, चपैनवाबगंज में 17 लोगों को, ठाकुरगाँव में 19 लोगों को, पंचगढ़ में 32 लोगों को, लालमोनिरहाट में 75 लोगों को, चुआडांगा में 19 लोगों को, झेनैदाह में 42 लोगों को, कुमिला में 13 लोगों को, फेनी में 39 लोगों को, सतखीरा में 23 लोगों को और मेहरपुर में 30 लोगों को सीमा पार कर भेजा गया है।
ऑपरेशन पुश बैक से क्या समस्या
दिलचस्प बात ये है कि जिस ऑपरेशन पुश बैक के नाम पर मोदी सरकार को घेरने का प्रयास हो रहा है और ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे इससे मानवाधिकार हनन हो रहा है, वही मीडिया ये नहीं बता रहा है कि कैसे ये बांग्लादेशी भारत में चोरी-छिपे अवैध रूप से घुसे और उसके पास इन्होंने फर्जी आधार कार्ड, पहचान पत्र बनवाकर यहाँ सालों तक रहते रहे। अब जब इनके विरुद्ध कोई सरकार आई है और एक्शन ले रही है तो समस्या ये है कि ऐसा क्यों हो रहा है। क्यों देश में अवैध रूप से घुसे लोगों पर दया नहीं दिखाई जा रही है या उन्हें उन्हें डिटेंशन सेंटर में अच्छा भोजन क्यों नहीं कराया जा रहा।
क्या है ऑपरेशन पुश बैक?
‘ऑपरेशन पुश-बैक’ भारत सरकार की एक नई रणनीति है, जिसका उद्देश्य पूर्वी सीमा पर पकड़े जाने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं से त्वरित रूप से निपटना है। ये वे लोग हैं जो कई वर्षों से अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं।
इस ऑपरेशन के तहत अब उस पारंपरिक प्रक्रिया जैसे पुलिस को सौंपना, FIR दर्ज करना, अदालत में पेश करना, मुकदमा चलाना और फिर निर्वासन प्रोटोकॉल के तहत वापस भेजना को किनारे कर दिया गया है। अब भारतीय सुरक्षाबल घुसपैठियों को तुरंत सीमा पार बांग्लादेश की ओर धकेल रहे हैं। यह इसलिए हो रहा है ताकि समय और संसाधनों की बचत हो और अवैध घुसपैठ पर तुरंत प्रभाव डाला जा सके।