पाकिस्तान में एक दंपति ने आठ साल की जोहरा शाह की पीट-पीटकर हत्या कर दी। जोहरा उनके घर में काम करती थी। घटना रावलपिंडी के एक पॉश इलाके की है।
बच्ची का गुनाह यह था कि उसने गलती से पिंजड़ा खोल दिया और उसमें बंद तोते उड़ गए। सोशल मीडिया पर घटना के तूल पकड़ने के बाद पुलिस ने आरोपित हसन सिद्दीकी और उसकी बीवी को गिरफ्तार कर लिया है।
Viz case of domestic child maid Zohra abused & killed – MOHR is in touch with police. Our lawyer is following case.Husband & wife on 4 day remand. Mohr proposed amend to add domestic labour as hazardous occupation in Schedule 1 of Employment of Children Act1991 @RabiyaJaveri
— Shireen Mazari (@ShireenMazari1) June 3, 2020
जानकारी के मुताबिक जोहरा शाह को आरोपित हसन सिद्दीकी ने करीब चार महीने पहले अपने एक वर्षीय शिशु की देखभाल करने के लिए रखा था। साथ ही सिद्दीकी ने उसके माता-पिता से लड़की की पढ़ाई-लिखाई का खर्चा देने का वादा किया था।
दरअसल दक्षिणी पंजाब के मुजफ्फरगढ़ के कोट अडू गाँव की रहने वाली लड़की हसन के घर में पिजड़ों की सफाई कर रही थी। इसी बीच उसने गलती से दरवाजा खोल दिया और उसमें बंद दो महॅंगे तोते उड़ गए। इसी बात को लेकर सिद्दीकी और उसकी पत्नी उम्म कुलसुम ने लड़की को बेरहमी से पीटा।
एफआईआर के मुताबिक शाह के चेहरे, पैर, पसलियों और हाथों पर चोट के निशान थे। उसे बेगम अख्तर रुखसाना मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद उसका शव परिजनों को सौंप दिया गया।
सोशल मीडिया पर घटना के वायरल होने के बाद पुलिस ने आरोपित दंपति को गिरफ्तार कर लिया। पाकिस्तान के मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है और आरोपितों को 4 दिन की रिमांड पर भेज दिया गया है। मंत्रालय ने बाल श्रम कानून 1991 में संशोधन का भी प्रस्ताव दिया है।
मामले की जाँच करने वाले पुलिस अधिकारी मुख्तार अहमद ने बताया, “हमने दंपति को गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने अपना अपराध कबूल कर लिया है।” उन्होंने कहा कि बच्ची को उसके निजी अंगों में भी लात मारी गई थी और उससे खून बह रहा था।
पाकिस्तान में श्रम कानून बच्चों और कम उम्र के लोगों के काम करने पर रोक लगाता है। इसके बाद भी घरों में काम करने वालों की दुर्दशा चिंताजनक है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के मुताबिक पाकिस्तान में 8.5 मिलियन से अधिक घरेलू कामगार हैं, जिनमें कई महिलाएँ और बच्चे शामिल हैं। कथित तौर पर, उन्हें मासिक या वार्षिक आधार पर रखा जाता है, और पाकिस्तान में उनके खिलाफ हिंसा से जुड़े कई मामले सामने आए हैं।
पिछले साल जनवरी में लाहौर में 16 साल की उज्मा की हत्या उसके नियोक्ताओं ने सिर्फ इसलिए कर दी थी, क्योंकि उज्मा ने उनका कुछ खाना खा लिया था। इस घटना के बाद पंजाब प्रांत की सरकार ने घरेलू कामगारों के लिए पंजाब घरेलू कामगार अधिनियम बनाया।
घरेलू कामगार यूनियन के महासचिव आरूमा शहजाद ने कहा, “इस कानून के बावजूद पंजाब में अभी भी बड़ी संख्या में घरेलू कामगार बिना किसी पंजीकरण के अवैतनिक काम कर रहे हैं और बच्चों को मरने तक प्रताड़ित किया जा रहा है।” उन्होंने कहा कि श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा कार्ड नहीं मिले हैं और सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए।