पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता और बलूच यकजहती समिति (BYC) की लीडर महरंग बलोच को गिरफ्तार कर लिया गया है। शनिवार (22 मार्च 2025) को पाकिस्तान पुलिस ने महरंग और उनके 150 साथियों के खिलाफ आतंकवाद के गंभीर इल्जाम लगाते हुए FIR दर्ज की। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर क्वेटा डिस्ट्रिक्ट जेल में डाल दिया गया।
ये मामला तब शुरू हुआ जब BYC के सदस्यों पर क्वेटा के सिविल हॉस्पिटल के मुर्दाघर से जफ्फर ट्रेन हादसे में मारे गए 5 लोगों के शव जबरन ले जाने का इल्जाम लगा। पुलिस का कहना है कि महरंग और उनके साथियों ने न सिर्फ शव चुराए, बल्कि हिंसा भड़काई, पुलिस पर गोलीबारी की और सड़कें जाम कर देश-विरोधी नारे लगाए। लेकिन BYC और महरंग के समर्थक इसे सरकार की साजिश बता रहे हैं, जिसका मकसद बलूचों की आवाज को दबाना है।
महरंग बलोच पिछले कई सालों से बलूचिस्तान में गायब लोगों के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ रही हैं। इस बार भी वो अपने साथी बीबर्ग बलोच, उनके भाई और बोलन मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल डॉ. इलियास बलोच की गिरफ्तारी के खिलाफ धरने पर थीं। 21 मार्च को क्वेटा में सरियाब रोड पर उनका प्रदर्शन शुरू हुआ। BYC का कहना है कि पुलिस ने शांतिपूर्ण धरने पर बर्बर कार्रवाई की, जिसमें 3 लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए। संगठन ने दावा किया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई, जबकि क्वेटा कमिश्नर हमजा शफकात ने इसे खारिज करते हुए कहा कि मौतें BYC के सशस्त्र लोगों की फायरिंग से हुईं। इस घटना के बाद 22 मार्च को पुलिस ने सुबह-सुबह छापा मारा और महरंग समेत 17 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने महरंग के खिलाफ 3 FIR दर्ज कीं। पहली FIR सरियाब पुलिस स्टेशन में हुई, जिसमें उन पर मुर्दाघर से शव ले जाने, आतंकवाद, हत्या, हत्या की कोशिश और संपत्ति को नुकसान पहुँचाने का इल्जाम है। दूसरी FIR सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई, जिसमें कहा गया कि BYC के 100-150 लोगों ने हॉस्पिटल में तोड़फोड़ की और एक एम्बुलेंस छीनकर ड्राइवर को पीटा। तीसरी FIR ब्रूअरी पुलिस स्टेशन में हुई, जिसमें वेस्टर्न बाइपास रोड जाम करने और देश-विरोधी नारे लगाने का आरोप है। इन इल्जामों में एंटी-टेररिज्म एक्ट और पाकिस्तान पीनल कोड की कई धाराएँ जोड़ी गई हैं। BYC के कई बड़े नेता जैसे बीबो बलोच, गुलजादी सतकजई, सबीहा बलोच और गुलजार दोस्त भी इन FIR में नामजद हैं।
गिरफ्तारी के बाद महरंग बलोच को क्वेटा डिस्ट्रिक्ट जेल में रखा गया है। उनकी कजिन अस्मा बलोच ने बताया कि परिवार को उनसे मिलने या खाना देने की इजाजत नहीं दी जा रही। अस्मा ने कहा, “24 घंटे से ज्यादा हो गए, न उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, न वकील से मिलने दिया गया। हम जेल के बाहर 2 घंटे खड़े रहे, खाना-कपड़े लेकर गए, पर सब वापस कर दिया।” BYC ने इसे मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन बताया और लोगों से सड़कों पर उतरने की अपील की।
महरंग की बहन ने उनके एक्स अकाउंट से पोस्ट कर कहा, “जब तक महरंग को रिहा नहीं किया जाता, मैं ये अकाउंट चलाऊँगी और उनकी हालत की जानकारी देती रहूँगी।”
Hello, everyone,
— Mahrang Baloch (@MahrangBaloch_) March 22, 2025
I am Dr. Mahrang Baloch’s sister. As long as she remains unlawfully detained by the state of Pakistan, I will be managing this account and providing updates on her situation.
Please raise your voice for the safe release of Mahrang Baloch, Beboo Baloch, Bebagar… pic.twitter.com/1u2X7R7HYi
इस घटना के बाद बलूचिस्तान में हड़ताल और प्रदर्शन शुरू हो गए। 23 मार्च को BYC के आह्वान पर कई शहरों जैसे केच, पंजगुर, नोशकी और कलात में दुकानें बंद रहीं। क्वेटा में हालात रविवार को सामान्य हुए, पर इंटरनेट 4 दिन तक बंद रहा, जिससे लोग परेशान रहे। PTCL ने दावा किया कि सर्विस बहाल हो गई, पर यूजर्स को अब भी दिक्कत थी। 24 मार्च को BYC ने कराची और क्वेटा में फिर से प्रदर्शन का ऐलान किया। कराची में प्रेस क्लब के बाहर और क्वेटा में भी धरने का ऐलान किया गया है। संगठन ने इसे ‘महरंग और बीबर्ग की गैरकानूनी हिरासत के खिलाफ आवाज’ बताया।
Crackdown on BYC Lasbela Sit-in: Tear Gas, Firing, and Arrests
— Baloch Yakjehti Committee (@BalochYakjehtiC) March 23, 2025
In response to the central call of the Baloch Yakjehti Committee, the BYC Lasbela Region staged a sit-in at Hub Bawani. Early this morning, police and security personnel launched a crackdown on the protest camp,… pic.twitter.com/q6k0V3SnlI
महरंग की गिरफ्तारी पर दुनिया भर से रिएक्शन आ रहे हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा, “38 घंटे से ज्यादा हो गए, महरंग को वकील और परिवार से मिलने नहीं दिया जा रहा। पाकिस्तान को उन्हें तुरंत रिहा करना चाहिए।” बलोच ह्यूमन राइट्स काउंसिल ने UN से दखल देने की माँग की।
PAKISTAN: More than 38 hours since Mahrang Baloch's unlawful detention, she is still being denied access to her lawyers and family. There are also worrying reports of continued arbitrary arrests and detentions across Balochistan province.
— Amnesty International South Asia, Regional Office (@amnestysasia) March 23, 2025
Pakistani authorities must immediately… pic.twitter.com/fsWYwSdv3W
UN की मानवाधिकार अधिकारी मैरी लॉलर ने भी इसकी निंदा की। पाकिस्तान की PTI, BNP-M और नेशनल पार्टी ने सरकार पर हमला बोला। PTI के शेख वकास अकरम ने कहा, “ये क्रूरता देश को तोड़ रही है। महरंग और बाकियों को फौरन छोड़ो।” उन्होंने बचोल प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग की भी निंदा की।
जाफर ट्रेन पर हमले से जुड़ी गिरफ्तारी
उनकी गिरफ्तारी जाफर एक्सप्रेस ट्रेन पर हमले से जुड़ी है। बीते 11 मार्च को बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने ट्रेन पर हमला किया था, जिसमें 26 फौजी और 33 बलोच राष्ट्रवादी लड़ाके मारे गए थे। BYC का कहना है कि सरकार ने मारे गए लोगों के शव बिना पहचान के दफनाने की कोशिश की, जिसके खिलाफ वो प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस का दावा है कि BYC ने शव चुराकर हिंसा फैलाई। ये हादसा बलूचिस्तान में चल रहे तनाव का एक हिस्सा है, जहाँ BLA जैसे संगठन आजादी की माँग कर रहे हैं और पाकिस्तान के साथ ही चीन के खिलाफ भी उन्होंने जंग छेड़ी हुई है।
बलोच प्रदर्शनकारियों से डरी पाकिस्तानी सरकार
पाकिस्तान सरकार महरंग और BYC से इतना क्यों डर रही है? बलूचिस्तान में सालों से आजादी की माँग चल रही है। वहाँ के लोग कहते हैं कि उनकी जमीन का शोषण हो रहा है, उन्हें हक नहीं मिलता। BLA जैसे संगठन हिंसा करते हैं, पर BYC शांति से लड़ाई लड़ता है। महरंग की अगुआई में लाखों लोग सड़कों पर उतरे हैं। हाल में उनके एक मार्च में 2 लाख लोग शामिल हुए थे। सरकार को लगता है कि अगर ये आंदोलन फैला, तो उसका कंट्रोल खतरे में पड़ सकता है। इसलिए वो इंटरनेट बंद कर रही है, नेताओं को जेल में डाल रही है और प्रदर्शनों को कुचल रही है।
कौन हैं महरंग बलोच? जिनके नाम से भी खौफ खाता है पाकिस्तान
31 साल की महरंग बलोच पेशे से डॉक्टर हैं, पर उनकी असली पहचान बलूचिस्तान की आवाज की है। 1993 में जन्मीं महरंग ने 2006 से बलोचों के हक की लड़ाई शुरू की। उनके पिता एक राष्ट्रवादी नेता थे, जिनका 2009 में अपहरण हुआ और 2011 में शव मिला। 2017 में उनके भाई को भी अगवा किया गया, जिसके बाद वो पूरी तरह आंदोलन में कूद पड़ीं। उनके प्रयासों से 2018 में भाई वापस आया। 2019 में उन्होंने BYC बनाया और छोटी-छोटी सभाओं से लोगों को जोड़ा। आज उनके साथ बुजुर्ग महिलाएँ, युवा और बच्चे तक जुड़ गए हैं। वो कहती हैं, “मौत से अब डर नहीं लगता। अपने लोगों के लिए लड़ती रहूँगी।”
महरंग का असर बलूचिस्तान पर गहरा है। उनके मार्च में लाखों लोग शामिल होते हैं। पुलिस की लाठियाँ, आंसू गैस और गिरफ्तारियाँ भी उन्हें रोक नहीं पाईं। उनकी हिम्मत ने युवाओं और महिलाओं को प्रेरित किया है। लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं। सरकार उन्हें आतंकवादी बताकर बदनाम करने की कोशिश कर रही है। फिर भी महरंग और उनके समर्थक हार नहीं मान रहे। उनकी लड़ाई इंसाफ और हक की है, जो बलूचिस्तान के हर घर की कहानी बन गई है।