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Tuesday, April 15, 2025
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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की ₹18000 करोड़+ की फंडिंग पर रोक, कैंपस में इस्लामी कट्टरपंथ के उभार को देख ट्रंप ने लिया फैसला

अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को मिलने वाला 2.2 अरब डॉलर का फंड ट्रंप प्रशासन ने रोक दिया है। यह फैसला हार्वर्ड प्रशासन की यहूदी विरोधी नीतियों के चलते लिया गया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की 2.2 अरब डॉलर (लगभग ₹18 हजार करोड़) की फंडिंग रोक दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ये फैसला यूनिवर्सिटी में लगातार बढ़ते इस्लामी कट्टरपंथ के चलते किया है। यूनिवर्सिटी में लगातार यहूदियों के खिलाफ घृणा फ़ैलाने की शिकायतें सामने आ रहीं थी।

ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यूनिवर्सिटी में हमास के समर्थन में प्रदर्शन हुए है और यूनिवर्सिटी का प्रशासन इन्हें रोक नहीं पाया है। ट्रम्प प्रशासन ने यूनिवर्सिटी पर यहूदी प्रोफ़ेसर और छात्रों के साथ भेदभाव करने का आरोप भी लगाया है।

ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि यूनिवर्सिटी का यह रवैया अमेरिका के कानूनों का उल्लंघन है। इसी पर कदम उठाते हुए उन्होंने यूनिवर्सिटी की फंडिंग तत्काल प्रभाव से रोकरोक दी है। उसको अलग से दी जाने वाली 9 अर्ब डॉलर की फंडिंग रोकने पर भी विचार चल रहा है।

यह फैसला लेने से पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन से कई बड़े बदलाव करने को कहा था। उन्होंने कहा था प्रशासन को उन छात्रों को पहचानना होगा जो आतंकियों के समर्थक हैं, इसके अलावा यूनिवर्सिटी के भीतर आतंक की वकालत बंद करने को भी ट्रंप ने कहा था।

यूनिवर्सिटी में एडमिशन प्रक्रिया में भी सुधार करने की माँग ट्रंप ने की थी। शुक्रवार (11 अप्रैल, 2025) को हार्वर्ड ने यह माँगे मानने से इनकार कर दिया। आतंक समर्थक छात्रों को ढूँढने को यूनिवर्सिटी ने स्वतंत्रता पर हमला बताया। इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने यह फैसला लिया।

इस बीच हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के कुछ प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया है। प्रोफेसरों का कहना है कि ये यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता पर हमला है और असंवैधानिक है। प्रोफेसरों के दो ग्रुप ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मैसाचुसेट्स की फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में केस दर्ज कराया है। इसमें कहा गया है कि यूनिवर्सिटी की फंडिंग रोकना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।

गौरतलब है कि इजरायल और हमास के बीच युद्ध के दौरान हार्वर्ड में कई रैलियाँ निकाली गई थीं। इनमें अमेरिका के इजरायल से दोस्ती तोड़ने को कहा गया था। कई जगहों पर यहूदियों को गैस चैम्बर में डाल कर मार देने की बातें भी कही गईं थी। राष्ट्रपति ट्रंप के सत्ता में आने के बाद ऐसे तत्वों पर कार्रवाई हो रही है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर हाल के दिनों में यह भी आरोप लगे हैं कि यहाँ गैर यहूदी और गैर माइनॉरिटी को वरीयता दी जा रही है। ट्रंप प्रशासन ने ऐसे रिवर्स डिस्क्रिमिनेशन वाले कार्यक्रमों को खत्म करने की मांग की है और दाखिले के लिए पूरी तरह मेरिट बेस्ड सिस्टम अपनाने को कहा है।

ट्रंप प्रशासन का मानना है कि हार्वर्ड जैसी जानी-मानी यूनिवर्सिटी को जवाबदेह होना चाहिए और जब ये निष्पक्ष नहीं हैं तो उन्हें सरकारी फंडिंग नहीं दी जानी चाहिए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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