Friday, March 29, 2024
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स्कूल में लड़कियाँ न करें पीरियड्स की बात, छठी के बाद मिले AIDS आदि का ज्ञान: फ्लोरिडा में कानून बनाने की हो रही तैयारी, ड्राफ्ट तैयार

इस जीओपी बिल में उल्लेख है कि एड्स, एसआईटी (यौन संबंधी बीमारी) और स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा सिर्फ छठी से ऊपर वाली क्लास के बच्चों को दी जाए। इस बिल का ड्राफ्ट आने के बाद से इसका विरोध जारी है।

फ्लोरिडा में एक ऐसा कानून बनाए जाने का प्रस्ताव सामने आया है जिसमें छठी क्लास तक की लड़कियों से मासिक धर्म पर कोई बातचीत न किए जाने का प्रावधान है। इस ड्राफ्ट को फ्लोरिडा विधानसभा में प्रस्तुत किया गया है जिसे रिपब्लिक पार्टी के गवर्नर रॉन डीसांटिस का समर्थन प्राप्त है। डीसांटिस लगातार जेंडर, सेक्सुएलिटी से जुड़े विधेयक लाने के लिए चर्चा में रहते हैं। उन्हें एंटी-वोक एजेंडे पर काम करने के लिए भी जाना जाता है।

इस जीओपी बिल में उल्लेख है कि एड्स, एसआईटी (यौन संबंधी बीमारी) और स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा सिर्फ छठी से ऊपर वाली क्लास के बच्चों को दी जाए। इस बिल का ड्राफ्ट आने के बाद से इसका विरोध जारी है। डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रतिनिधि एशले गैंट ने जहाँ पूछा है कि आजकल लड़कियों के पीरियड्स छठी क्लास से पहले ही शुरू हो जाते हैं। ऐसे में क्या लड़कियों को अपने बारे में बात करने से रोक दिया जाएगा? वहीं सोशल मीडिया पर भी इसका विरोध हो रहा है।

लोग इसे घटिया फैसला बता रहे हैं। उनके मुताबिक ऐसे फैसले लोकतंत्र का विरोध करने वाले हैं। एक यूजर इस पर सवाल खड़ा करते हुए कहती है कि ये निर्णय लड़कियों को उनके शरीर पर शर्मिंदा करेगा। 

एक यूजर ने कहा है कि अगर लड़कियों को सही समय पर सेक्स एजुकेशन नहीं दी जाएगी तो वो कम समझ के कारण कैसे कोई फैमिली प्लॉनिंग कर पाएँगी। यूजर्स का ये भी कहना है कि ऐसी चर्चा घरवालों पर छोड़ी जानी चाहिए कि उनके बच्चों को कब इसकी जरूरत है। सरकार या स्कूलों को इसका निर्णय नहीं लेना चाहिए।

न्यूयॉर्क की असेंबली सदस्य युह-लाइन-नियु ने इस खबर को सुनने के बाद कहा कि आखिर मर्द क्यों लड़कियों के लिए कोई निर्णय लेते हैं। फ्लोरिडा में तो लड़की होना ही सुरक्षित नहीं है।

बता दें कि इस बिल को हाउस एजुकेशन क्वालिटी सबकमेटी में बुधवार को 13-5 वोट मिले। इस ड्राफ्ट में अभिभावकों को भी अधिकार दिया गया है कि वो अपने बच्चों को पढ़ाए जाने वाली उन किताबों व सामग्रियों पर आपत्ति जता सकें जो उन्हें अपने बच्चों के लिए सही नहीं लगतीं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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