पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हिन्दुओं पर लगातार हिंसा के मामले सामने आए। इस बीच ‘अल जज़ीरा’ और AFP जैसे विदेशी मीडिया पोर्टलों ने हिंसक मुस्लिम भीड़ का बचाव किया है। इन्होंने हिन्दुओं के खिलाफ हुई हिंसा को प्रदर्शन करार दिया। इन पोर्टल ने ‘गोएबल्स’ जैसे प्रचार का सहारा लिया, जिसमें झूठ को दोहराने, जनता को गुमराह करने और दुश्मनी पैदा करने जैसे पैंतरे शामिल हैं।
ऑपइंडिया ने मामले को विस्तार से रिपोर्ट किया कि कैसे यहाँ हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया। हिंसा में उनके घर, दुकानों और हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया। 11 अप्रैल, 2025 को जुमे की नमाज़ के तुरंत बाद नए वक्फ कानून के खिलाफ ‘विरोध’ के नाम पर नरसंहार शुरू हुआ। ये अगले दिन भी जारी रहा।
हालत यहाँ तक खराब हो गए कि हज़ारों हिंदुओं को मुर्शिदाबाद में अपने घरों को छोड़कर भागना पड़ा। लोग नावों के जरिए पास के मालदा जिले में पलायन को मजबूर हो गए।
‘अल जज़ीरा’ ने मुस्लिमों को दर्शाया ‘पीड़ित’
13 अप्रैल, 2025 को ‘अल जज़ीरा’ ने ‘मुस्लिम बंदोबस्ती बिल पर घातक विरोध के बाद भारत ने सेना तैनात की’ शीर्षक से एक रिपोर्ट पब्लिश की। रिपोर्ट में असल हिंदू पीड़ितों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, कतर से फंड लेने वाली इस वेबसाइट ने मुस्लिम अपराधियों को ‘पीड़ित’ के रूप में दर्शाया। बड़े पैमाने में हुए दंगों को हाल ही में पारित ‘विवादित विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन’ बताकर इसे मामूली करार दिया।

यहाँ तक की मुस्लिम भीड़ द्वारा की गई हिंसा को ये सुझाव देकर मामूली बताया कि वक्फ संशोधन अधिनियम में ‘धार्मिक बंदोबस्त (वक्फ) के प्रबंधन के लिए मुस्लिमों के अधिकारों को कमजोर कर दिया गया है।’ इस जानलेवा हिंसा को रिपोर्ट करने के लिए ‘विरोधों का बढ़ना’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है।
‘अल जजीरा’ ने अपनी रिपोर्ट में वक्फ में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने पर भी ध्यान केंद्रित किया और कथित ‘धार्मिक भेदभाव’ के खिलाफ मुर्शिदाबाद में मुस्लिमों द्वारा दंगे भड़काने का समर्थन किया।
रिपोर्ट में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा को सही बताते हुए कहा गया है, “मुस्लिमों को डर है कि 1995 के कानून में बदलाव से ऐतिहासिक मस्जिदों, दुकानों, दरगाहों, कब्रिस्तानों और हजारों एकड़ जमीन सहित वक्फ संपत्तियों पर कब्ज़ा, विवाद और विध्वंस का खतरा हो सकता है।”
‘अल जज़ीरा’ ने ‘गोएबल्स’ जैसे प्रोपेगेंडा का सहारा लिया। मुर्शिदाबाद में हुए नरसंहार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कसूरवार ठहराने की कोशिश की। जबकि दंगाई मुस्लिम भीड़ ने हिंदुओं के घरों को आग लगा दी, आजीविका को नष्ट कर दिया, मौत और बलात्कार को धमकियाँ दी और पानी की टंकियों में जहर डाल दिया।
‘अल जज़ीरा’ ने दावा किया है, “प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी के एक दशक के कार्यकाल में उन्होंने देश के बहुसंख्यक हिंदू धर्म के आक्रामक चैंपियन के तौर पर अपनी छवि बनाई है और रिपोर्ट बताती है कि धार्मिक ध्रुवीकरण से उनकी पार्टी को चुनावी लाभ हासिल करने में मदद मिली है।”
कतर से फंड लेने वाले इस आउटलेट ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कॉन्ग्रेस के पक्ष में तर्क देने की कोशिश की, जिन्होंने हिन्दुओं को निशाना बनाने के लिए चरमपंथियों को अनुकूल माहौल दिया। और कहा कि राज्य में वक्फ संशोधन अधिनियम लागू नहीं किया जाएगा और टीएमसी नेता प्रदेश में मुस्लिमों को सक्रिय रूप से शांत करने में लगे हुए हैं।
AFP ने दंगाइयों के अपराध को ‘घातक विरोध’ करार दिया
समाचार ‘एजेंसी फ़्रांस प्रेस’ (AFP) ने भी एक वायर कॉपी प्रकाशित की थी, जिसमें नए वक्फ कानून का विरोध करने वाली उन्मादी मुस्लिम भीड़ द्वारा मुर्शिदाबाद में हिंदुओं के खिलाफ की गई हिंसा की भयावहता को कम करके दिखाया।
मुर्शिदाबाद के सुनियोजित दंगों को ‘घातक विरोध’ की तरह पेश किया। हिंसा को उचित ठहराने के लिए एक आधार तैयार किया गया, जिसमें दावा किया गया कि विरोध प्रदर्शन एक ऐसे कानून के खिलाफ थे, जिसने ‘मुस्लिमों के स्वामित्व वाली संपत्तियों के प्रबंधन के तरीके’ को बदल दिया।

न्यूज एजेंसी ने रिपोर्ट में दावा किया, “वक्फ संशोधन अधिनियम के चलते विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे, जिसे इसी महीने बहस के बावजूद पारित किया गया था।”
विपक्षी नेताओं का हवाला देते हुए AFP ने वक्फ संशोधन अधिनियम की एक गलत छवि प्रस्तुत की, जिससे ‘विरोध प्रदर्शन’ करना जरूरी हो गया और कानून के अधिनियम के बाद हुई हिंसा के लिए एक आधारभूत तर्क को और अधिक प्रासंगिक बना दिया गया।
एजेंसी ने दावा किया, “पुलिस ने मुर्शिदाबाद जिले में शुक्रवार (11 अप्रैल, 2025) को हज़ारों प्रदर्शनकारियों पर आँसू गैस के गोले भी फेंके गए। पुलिस ने शनिवार (12 अप्रैल, 2025) को AFP को बताया कि एक बच्चे सहित तीन लोगों की मौत हो गई।” एजेंसी ने ये गलत धारणा दी कि कानून प्रवर्तन अधिकारी केवल ‘प्रदर्शनकारियों (वास्तव में दंगाइयों)’ के खिलाफ घातक बल को इस्तेमाल कर रहे हैं।
AFP की रिपोर्ट में मुर्शिदाबाद में हिंसा को लेकर मोदी सरकार पर भी निशाना साधा गया। एजेंसी ने दावा किया,”प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के एक दशक ने उन्हें देश के बहुसंख्यक हिंदू धर्म के चैंपियन के रूप में अपनी छवि बनाने का मौका दिया है। उनकी सरकार ने भारत के मुस्लिम बहुल भारतीय अवैध रूप से कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर की संवैधानिक स्वायत्तता को रद्द कर दिया और उस जमीन पर मंदिर के निर्माण का समर्थन किया, जहाँ सदियों से एक मस्जिद खड़ी थी, जिसे 1992 में हिंदू चरमपंथियों ने गिरा दिया था।”
AFP की यह रिपोर्ट पाकिस्तान के कई बड़े मीडिया पोर्टलों जैसे डॉन, जियो और ‘द न्यूज इंटरनेशनल‘ में भी हूबहू प्रकाशित हुई। इन पोर्टलों ने भी मुर्शिदाबाद की हिंसा को ‘प्रदर्शन’ कहकर पेश किया और हिन्दुओं पर हुए हमलों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया।
मुर्शिदाबाद में हिंदूओं के साथ हुई हिंसा
- मुर्शिदाबाद जिले के सूटी और शामशेरगंज इलाकों में शुक्रवार (11 अप्रैल, 2025) को जुमे की नमाज के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा, तोड़फोड़, आगजनी और हिन्दू समुदाय के लोगों पर हमले की घटनाएँ सामने आईं। यह सब वक्फ संशोधन कानून के विरोध के नाम पर हुआ लेकिन इसके पीछे सुनियोजित हिंसा की आशंका जताई जा रही है।
प्रदर्शन के नाम पर उग्र भीड़ ने पहले शांतिपूर्ण नारेबाज़ी की लेकिन जल्द ही हालात बेकाबू हो गए। हिंसक भीड़ ने एक हिन्दू दंपति की मिठाई की दुकान को पूरी तरह से तहस-नहस कर डाला। दुकान का नाम था ‘सुभा स्मृति होटल’। दुकान मालिक आँसू बहाते हुए बस इतना ही कह सके, “यहीं मेरी मिठाई की दुकान थी…” उनकी पत्नी ने रोते हुए कहा, “सारा सामान, दुकान में रखे पैसे, सब लूट लिया… अब हम खाएँगे क्या?”
इतना ही नहीं, ‘श्री हरि हिन्दू होटल एंड लॉज’ नामक एक और प्रतिष्ठान को भी निशाना बनाया गया। समाचार एजेंसी ANI ने इसके नुकसान की तस्वीरें साझा की हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, हिंसक तत्वों ने कई हिन्दू मंदिरों को भी नुकसान पहुँचाया और मूर्तियों को खंडित किया। ‘रिपब्लिक बांग्ला’ चैनल द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में तृणमूल कांग्रेस के सांसद खलीलुर रहमान यह स्वीकार करते नजर आए कि जंगीपुर इलाके में एक मंदिर तोड़ा गया है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, “अल्पसंख्यक बहुल इस जिले में कई हिन्दू परिवारों के घरों और दुकानों को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया।” रिपोर्ट में यह भी कहा गया, “हिंसा के दौरान एक एम्बुलेंस को भी नहीं बख्शा गया। उसे आग के हवाले कर दिया गया और उसके ड्राइवर की बेरहमी से पिटाई की गई।” एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, “हम डर के मारे अपने घरों में छुपे हुए थे। मैंने अपने माता-पिता, पत्नी और बच्चों को अंदर ही बंद कर रखा था।”
उन्होंने साफ तौर पर बताया कि हमला करने वाले कोई बाहरी नहीं बल्कि आसपास के ही लोग थे। इसी बीच एक सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है, जिसमें एक दंगाई को एक हिन्दू परिवार की गाड़ी तोड़ते हुए देखा जा सकता है।
ANI से बात करते हुए एक और पीड़ित ने बताया, “इन्होंने बाइक जला दी, हमारा सामान लूट लिया और दुकानों में आग लगा दी।” उन्होंने कहा कि पूरी रात वे सो नहीं पाए। “हम जागते रहे, डरते रहे। जब हिंसा हो रही थी, तब इलाके में कोई पुलिस नहीं थी। जो पुलिस आई भी वो अपनी जान बचाकर भाग रही थी। अब देखना है कि सरकार हमें मुआवजा देती है या नहीं।”
आज तक से बातचीत में एक व्यापारी की पत्नी मनजू भगत नाम की महिला ने बताया, “वे लोग सामने के दरवाज़े से अंदर आने की कोशिश कर रहे थे। जब नहीं आ पाए तो पीछे के दरवाज़े से घुसने लगे।” उन्होंने बताया, “हमारे घर में बाइक तोड़ दी गई, सामान फेंका गया और कुर्सी, गद्दा, टीवी जैसे कीमती सामान तक लूट ले गए।”
मनजू ने अपने दर्द को साझा करते हुए कहा, “हम पूरा परिवार ऊपर छत पर छुपा हुआ था। भगवान का नाम ले रहे थे कि कैसे भी ये लोग हमारे घर से चले जाएँ। उस वक्त मेरी बेटी के साथ कुछ हो जाता तो मैं क्या करती?”