Tuesday, November 26, 2024
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मुस्लिम नरसंहार के लिए मोदी सरकार कर रही कोरोना का इस्तेमाल: अरुंधति ने विदेशी मीडिया के जरिए फैलाया झूठ

अरुंधति अपना वही पुराना 'हिन्दू-मुस्लिम विवाद' और 'मुस्लिमों पर अत्याचार' वाला राग लेकर बैठ गईं और कहा कि कोरोना के कारण भारत की 'पोल खुल गई' है। उन्होंने दावा किया कि भारत न सिर्फ़ कोरोना वायरस, बल्कि घृणा और भूख से भी बेहाल है।

घनघोर वामपंथन अरुंधति रॉय को भारतीय मीडिया में अब कवरेज नहीं मिल रहा है। ऐसे में उन्होंने अपना प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए एक जर्मन मीडिया संस्थान का सहारा लिया। ‘डीडब्ल्यू न्यूज़’ को इंटरव्यू देते हुए अरुंधति ने न सिर्फ़ भारत में कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर अफवाह फैलाई, बल्कि मोदी सरकार को बदनाम करने के चक्कर में लोगों के बीच डर का माहौल बनाने का भी प्रयास किया। बिना किसी सबूत के उन्होंने भारत में कोरोना के आँकड़ों को ग़लत बताना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि ये आधिकारिक आँकड़े मोदी सरकार के हैं, वो इस पर जरा भी विश्वास नहीं करतीं।

इसके बाद अरुंधति अपना वही पुराना ‘हिन्दू-मुस्लिम विवाद’ और ‘मुस्लिमों पर अत्याचार’ वाला राग लेकर बैठ गईं और कहा कि कोरोना के कारण भारत की ‘पोल खुल गई’ है। उन्होंने दावा किया कि भारत न सिर्फ़ कोरोना वायरस, बल्कि घृणा और भूख से भी बेहाल है। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण मुस्लिमों के ख़िलाफ़ घृणा में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों को भी मुस्लिमों के नरसंहार करार दिया और कहा कि उसके बाद से ही घृणा में बढ़ोतरी हुई है। वो यहाँ तक झूठ बोल बैठीं कि दिल्ली में हुए दंगे सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर अत्याचार के रूप में हुए थे।

जमातियों को बचाने के लिए पगलाई हैं अरुंधति रॉय

दरअसल, अरुंधति रॉय का ये बयान तबलीगी जमात वालों को बचाने की मुहिम सी लगती है, जिन्होंने देश भर में कोरोना फैलाया। दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ में हज़ारों लोगों का जुटना और फिर लॉकडाउन तोड़ने वाली हरकत छिपी नहीं है। जगह-जगह मोहल्ले में पुलिस और मेडिकल टीम पर हमले हुए। इसलिए, अरुंधति एक ऐसा नैरेटिव बनाना चाह रही हैं, जैसे मुस्लिमों पर ही अत्याचार हुआ हो। ताज़ा हिंसा की घटनाओं को देखें तो स्पष्ट है कि कई कट्टरपंथी इसे ‘काफिरों को दिए सज़ा’ के रूप में देख रहे हैं।

तबलीगी जमात का मुख्यालय भारत में कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया। जमातियों ने पुलिस व प्रशासन के साथ सहयोग नहीं किया। जमातियों को खोजने गई पुलिस पर हमले हुए। उनके मोहल्लों में मेडिकल टेस्ट करने गए स्वास्थ्यकर्मियों को खदेड़ दिया गया। इन सबका दोषी कौन है? क्या अरुंधति रॉय इसे ही ‘समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ अत्याचार’ मानती हैं? दिल्ली दंगों को लेकर उनके दावे झूठे हैं, क्योंकि ताहिर हुसैन जैसों की हरकतों पर उन्होंने चुप्पी साध ली। दिल्ली में हुए दंगे शाहीन बाग़ और जाफराबाद में मुस्लिम भीड़ द्वारा सड़कों पर कब्ज़ा किए जाने और स्थानीय लोगों को लगातार परेशान करने के बाद हुआ। पेट्रोल बम भी उन्होंने ही फेंके।

अरुंधति का दावा है कि मोदी सरकार कोरोना की आड़ में मीडिया को दबा रही है। युवा नेताओं को गिरफ़्तार किया जा रहा है और विरोधियों को कुचला जा रहा है। वो राजद छात्र नेता हैदर की ओर इशारा कर रही थीं, जिसे दिल्ली दंगों में उसकी भूमिका के कारण गिरफ्तार किया गया है। अरुंधति दंगा करने वालों पर कार्रवाई का विरोध करती हैं। साथ ही वे जिन पत्रकारों और कथित एक्टिविस्ट्स की बात कर रही हैं, उनमें से कई हिंसा फैलाने के आरोपित हैं। किसे नहीं पता कि भीमा-कोरेगाँव हिंसा मामले में जो आज जेल में हैं, वो भी एक्टिविस्ट्स ही कहे जाते हैं।

विदेशी मीडिया के सहारे अरुंधति का प्रोपेगेंडा

साथ ही अरुंधति इसके बाद आरएसएस को गाली बकने लगीं। उन्होंने कहा कि भाजपा और संघ भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। यहाँ तक कि वो हिटलर के नाजी काल से मोदी सरकार की तुलना करने लगीं और कहा कि जैसे जर्मनी में उस दौर में यहूदियों के नरसंहार के लिए तिकड़म आजमाए जाते थे, ठीक उसी तरह आज कोरोना का इस्तेमाल भारत में किया जा रहा। जबकि, मुल्ला-मौलवियों ने ही अधिकतर सरकारी दिशा-निर्देशों को धता बताते हुए मेडिकल सलाहों का मखौल उड़ाया। मोदी सरकार कोरोना से प्रभावी तरीके से निपट रही है, ऐसे में अरुंधति का ‘नाजी कार्ड’ खेलना वामपंथियों का पुराना पेशा है।

ये वामपंथी ‘नरसंहार’ जैसे शब्द का ऐसे प्रयोग करते हैं, जैसे किसी को एक थप्पड़ लगने का मतलब भी यही हुआ। उन्होंने झूठा आरोप लगाया कि मोदी सरकार समुदाय विशेष के लिए डिटेंशन सेंटर बनवा रही है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे अरुंधति रॉय फिक्शन लिखते-लिखते कथा-कहानियों की दुनिया में ही जीने लगी हैं। अरुंधति रॉय फेक न्यूज़ फैलाने वाले और झूठे फैक्ट चेकिंग करने वाले ‘ऑल्टन्यूज़’ को भी डोनेशन देती रही हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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