मौलाना साद को बचाने की मुहिम शुरू हो गई है। मीडिया ने ‘उच्चस्तरीय सूत्रों’ के हवाले से उसके वीडियो से छेड़छाड़ का शिगूफा छेड़ा है। छेड़छाड़ करने वाला तबलीगी जमात का ही सदस्य था।
‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने दावा किया है कि दिल्ली पुलिस को ऐसा लगता है कि मौलाना साद के वायरल वीडियो छेड़छाड़ किया गया है। इस वीडियो में वह जमातियों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने को कह रहा है।
‘इंडियन एक्सप्रेस’ का कहना है कि मौलाना साद ने जो स्पीच दी थी, उसके वीडियो के साथ तबलीगी जमात के ही किसी सदस्य ने छेड़खानी की है। मीडिया संस्थान ने उच्चस्तरीय स्रोत के हवाले से ऐसा दावा किया है। कहा गया है कि दिल्ली पुलिस ने निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज़ के एक सदस्य के पास से एक लैपटॉप जब्त किया है, जिसमें से 350 ऑडियो क्लिप्स मिले हैं।
ये सभी ऑडियो क्लिप्स तीन तरह के हैं। कुछ ऑरिजनल वीडियो हैं। कुछ उनका बदला हुआ रूप है जो जमातियों को भेजा जाता है। कुछ ऐसे हैं जिन्हें यूट्यूब पर अपलोड किया जाता है। इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर की मानें तो ऐसा कोई ऑडियो क्लिप नहीं मिला है, जिसमें मौलाना साद जमातियों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने और इस्लाम में इस पर पाबंदी होने की बात कही है।
ख़बर की मानें तो दिल्ली पुलिस को लगता है कि कम से कम 20 ऑडियो क्लिप्स को साथ में मिला कर एक नया क्लिप तैयार किया गया, जो वायरल हुआ। इन सारे क्लिप्स को फॉरेंसिक परीक्षण के लिए भेजे जाने की बात कही गई है। अगर ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की लॉजिक के हिसाब से सोचें तो यूट्यब पर डाले गए मौलाना साद के सारे क्लिप्स एडिटेड और डॉक्टर्ड हैं। हालाँकि, ये कोई बहुत बड़ी तकनीक नहीं है।
अगर वीडियो एडिटेड था तो मौलाना ने पुलिस को बताया?
किसी भी ऑडियो या वीडियो क्लिप के साथ छेड़छाड़ कर उसे दूसरे रूप में पेश किया जा सकता है। लेकिन, मीडिया के इस ‘मौलाना साद को बचाओ’ मुहिम से ये नहीं साबित हो जाता कि मौलाना साद वायरल वीडियो में जो भी कह रहा है, वो सब कुछ एडिटेड है। हर वीडियो या ऑडियो को अपलोड करने से पहले एडिट किया जाता है और 350 ऑडियो क्लिप्स का मिलना यही बताता है कि मरकज़ में भी ये सामान्य प्रक्रिया थी।
मौलाना साद का ऑडियो क्लिप किसी अन्य यूट्यब चैनल पर नहीं बल्कि मरकज़ के आधिकारिक यूट्यब चैनल से रिलीज किया गया था। अब ये कैसे हो सकता है कि मौलाना साद के अंतर्गत काम करने वाला व्यक्ति ही उनके सारे वीडियो को उनके ही चैनल पर छेड़छाड़ कर अपलोड करे? असल में ये सब इसीलिए किया जा रहा है ताकि साद को निर्दोष साबित किया जा सके। ये दिखाया जा सके कि ऐसा उन्होंने नहीं कहा है।
Tablighi FIR: Police probe indicates Maulana Saad audio clip was doctored
— Tufail Ahmad (@tufailelif) May 9, 2020
The audio clip mentioned in the FIR against Maulana Saad had suggested that he had asked Tablighi Jamaat members not to follow social distancing norms https://t.co/hb7VZm3dqb via @IndianExpress
मरकज़ के आधिकारिक चैनल पर अपलोड किया गया वो वीडियो अभी भी वहाँ मौजूद है। अगर उसमें कुछ ऐसी गड़बड़ी होती तो क्या मौलाना साद उसे देखने के बाद हटाने को नहीं कहता? मीडिया ये दिखाना चाहती है कि साद ने ऐसा कुछ नहीं कहा, उसके पीछे कुछ लोग पड़े हुए हैं जो उसे बदनाम करना चाहते हैं। कॉन्ग्रेस समर्थक तहसीन पूनावाला और तथाकथित पत्रकार तुफैल अहमद ने भी इस ख़बर को शेयर किया है।
The Police Probe has said that the Tablihi Jamaat tapes were doctored. All those news channels that completely castigated them will they , should they now on AIR NOT apologize? https://t.co/uf4UT7otEe
— Tehseen Poonawalla Official (@tehseenp) May 9, 2020
तहसीन ने तो जमातियों के हरकतों की निंदा करने वालों से सार्वजनिक माफ़ी तक माँगने की अपील कर दी। यहाँ सवाल तो ये भी उठता है कि जब मौलाना साद ने ऐसा कुछ कहा ही नहीं था तो फिर वो भगा-भागा क्यों फिर रहा है? वो जाँच में सरकारी एजेंसियों का सहयोग क्यों नहीं कर रहा? मौलाना साद के विरुद्ध दिल्ली पुलिस ने आईपीसी की धारा 304 (हत्या की श्रेणी में न आने वाली गैर इरादतन हत्या) के तहत मामला दर्ज किया था।
अगर मौलाना साद सही है तो भाग क्यों रहा है?
पुलिस की चेतावनी के बावजूद मरकज़ में महजबी कार्यक्रम होते रहे, भीड़ जुटती रही और एक समय तो क़रीब 2500 लोग इमारत में मौजूद थे। इनमें से कई ने विभिन्न राज्यों की यात्रा की, जहाँ मुस्लिम इलाक़ों में इन्हें खोजने गई पुलिस और जाँच हेतु गए पुलिसकर्मियों पर हमले हुए। मौलाना साद को सीपीसी के सेक्शन 91 के तहत कई बार नोटिस दी जा चुकी है। मौलाना साद से पुलिस ने कुछ आवश्यक दस्तावेज भी माँगे हैं।
मौलाना साद के बारे में पहले कहा गया था कि उसने कोरोना वायरस के आलोक में ख़ुद को क्वारंटाइन कर लिया है। अब ये बात सामने आई है कि वो जमातियों का समर्थन जुटा रहा है और अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए लोगों से सम्पर्क करने में लगा हुआ है। उसके किसी सघन मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र में छिपे होने की आशंका है, ताकि वो गिरफ़्तारी से बच जाए। वो दिल्ली के आसपास ही किसी जमाती के घर में छिप कर बैठा है।
मौलाना साद एक बड़े वर्ग में प्रभाव रखने वाला मौलवी है, फिर भी वो शुरू से भाग क्यों रहा है? इसी से पता चलता है कि वो वीडियो फेक नहीं थे। उनके साथ छेड़छाड़ नहीं की गई थी। मौलाना साद अगर सही होता तो क्या वो पुलिस को उस जमाती के बारे में सूचना नहीं देता, जिसने कथित रूप से उसके वीडियो के साथ एडिटिंग की। इससे पता चलता है कि कोरोना जैसी महामारी फ़ैलाने वाले जमातियों के दाग धोने के लिए ये सब किया जा रहा है।
जब से जमातियों की हरकतों के बारे में सच्चाई सामने आई, तभी से लिबरल और सेक्युलर बुद्धिजीवियों का एक बड़ा वर्ग उसे बचाने में लगा हुआ है। कोई किसी मंदिर में भीड़ होने की कोई पुरानी तस्वीरें खोज कर लाता है तो कोई शराब ख़रीदने के लिए लगी लंबी लाइन की जमातियों से तुलना करता है। जबकि असलियत ये है कि भारत में जमातियों के कारण ही कोरोना के मामले बढ़े हैं। उन्होंने ही पूरे देश में ये महामारी फैलाई।