जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हिंदुओं को निशाना बनाकर किए गए आतंकी हमले पर वैश्विक मीडिया की कवरेज ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस बीच, अमेरिकी संसद की हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के बहुमत पक्ष (House Foreign Affairs Committee Majority) ने न्यूयॉर्क टाइम्स को आड़े हाथों लिया है। कमेटी ने ट्वीट करके कहा कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने पहलगाम में हुए हमले को आतंकी हमला कहने के बजाय ‘मिलिटेंट्स’ यानी उग्रवादियों द्वारा हमला बताया, जो पूरी तरह गलत है।
हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ने साफ कहा कि चाहे भारत हो या इजरायल, आतंकवाद को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स हकीकत से कोसों दूर है। कमेटी ने न्यूयॉर्क टाइम्स की हेडलाइन को ठीक करते हुए लिखा, “यह साफ-साफ आतंकी हमला था।”
Hey, @nytimes we fixed it for you. This was a TERRORIST ATTACK plain and simple.
— House Foreign Affairs Committee Majority (@HouseForeignGOP) April 23, 2025
Whether it’s India or Israel, when it comes to TERRORISM the NYT is removed from reality. pic.twitter.com/7PefEKMtdq
बता दें कि पहलगाम में आतंकियों ने 28 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी, जिसमें से अधिकतर पर्यटक थे। पीड़ितों ने बताया कि हमलावरों ने पुरुषों की पैंट खोलकर यह चेक किया कि उनका खतना हुआ है या नहीं। जिनका खतना नहीं हुआ, उन्हें हिंदू समझकर गोली मार दी गई। आईडी कार्ड चेक किए गए और पूछा गया कि ‘मुस्लिम हो?’
इस हमले में 28 लोग मारे गए, जबकि न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में 24 लोगों के मारे जाने की बात कही। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले को क्षेत्र में नागरिकों पर सालों में सबसे खराब हमला बताते हुए इसे ‘आतंकी हमला’ करार दिया और दोषियों को सजा दिलाने का वादा किया।
लेकिन इस घटना को वैश्विक मीडिया ने जिस तरह से पेश किया, उसने कई सवाल खड़े कर दिए। ऑपइंडिया पहले ही अपनी रिपोर्ट में बता चुका है कि किस तरह से अल जजीरा, बीबीसी, न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट और पाकिस्तानी मीडिया डॉन जैसे बड़े संस्थानों ने आतंकियों को आतंकी कहने से परहेज किया। अल जजीरा ने आतंकियों को ‘सशस्त्र व्यक्ति’ और ‘बंदूकधारी’ कहा। उसने “आतंकी हमला” शब्द को डबल कोट में लिखा, जैसे कि उसे इस शब्द पर भरोसा ही न हो।
पाकिस्तानी मीडिया डॉन ने भी आतंकियों को ‘बंदूकधारी’ लिखा और जम्मू कश्मीर को ‘भारत अधिकृत कश्मीर’ कहकर भारत का हिस्सा मानने से इनकार किया। डॉन ने पहलगाम को ‘मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्र’ करार दिया और हमले की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकी संगठन ‘कश्मीर रेजिस्टेंस’ को ‘लिटिल नोन ग्रुप’ कहकर छोटा दिखाने की कोशिश की।
वाशिंगटन पोस्ट ने भी आतंकियों को ‘बंदूकधारी’ कहा और लिखा कि हमला ‘बिना किसी भेदभाव’ के किया गया, जबकि पीड़ितों ने साफ बताया कि हमला धर्म के आधार पर किया गया। वाशिंगटन पोस्ट ने यह भी लिखा कि भारत सरकार ने मुस्लिम बहुल इलाकों में असहमति को दबाने के लिए सख्त कार्रवाई की, जो इस हमले से ध्यान हटाने की कोशिश लगती है।
बीबीसी ने भी जम्मू कश्मीर को ‘भारत प्रशासित कश्मीर’ लिखा और आतंकवाद को ‘अलगाववादी विद्रोह’ कहकर हल्का करने की कोशिश की। बीबीसी ने यह भी दावा किया कि जम्मू कश्मीर में 5 लाख भारतीय सैनिक तैनात हैं, जो अतिशयोक्ति लगता है। बीबीसी ने आतंकियों को ‘चरमपंथी’ और ‘बंदूकधारी’ कहकर संबोधित किया। जर्मन मीडिया डीडब्ल्यू ने भी ‘भारत प्रशासित कश्मीर’ और ‘बंदूकधारी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया।

यह पहली बार नहीं है जब वैश्विक मीडिया ने आतंकवाद को हल्का दिखाने की कोशिश की हो। भारत में आतंकवाद को लेकर पहले भी कई बार ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जो आतंकियों का बचाव करते नजर आते हैं। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान आतंकवाद को सही तरीके से पेश करने से पीछे हटते हैं और सिर्फ अपने हितों को ध्यान में रखकर काम करते हैं।