प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘The Quint’ ने फरीदाबाद में निकिता तोमर की दिनदहाड़े हुई हत्या के दोषियों के पक्ष में बल्लेबाजी शुरू कर दी है। बुधवार (मार्च 24, 2021) को 5 महीने पहले हुए इस हत्याकांड के आरोपितों तौसीफ और रेहान को फास्टट्रैक कोर्ट ने दोषी पाया था। इन्हें 26 मार्च को सजा सुनाई जाएगी। एक अन्य आरोपित अजरुद्दीन को कोर्ट ने बरी कर दिया था। उस पर हथियार सप्लाई करने का आरोप था।
निकिता तोमर के परिवार ने कई बार कहा है कि उस पर इस्लाम अपनाने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। परिवार ने फाँसी की माँग भी की है। लेकिन, ‘The Quint’ जैसे वेबसाइटों ने इस पर प्रोपेगेंडा शुरू कर दिया है। मुस्लिमों द्वारा किए गए अपराध को ढकने के लिए कुख्यात पोर्टल का कहना है कि चूँकि आरोपित मुस्लिम थे, इसलिए निकिता के परिवार ने इसे ‘लव जिहाद’ बताया। साथ ही दक्षिणपंथी वेबसाइटों को भी दोषी ठहराया है।
याद कीजिए जब दिल्ली में एक किसान प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर पर स्टंट करते हुए मरा था और राजदीप के पीछे ‘हुआँ-हुआँ’ करते हुए तमाम मीडिया पोर्टलों ने इसके लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वो पुलिस की गोली से मरा। सब कुछ साफ़-साफ़ वीडियो में दिख रहा था, फिर भी उसके दूर के रिश्तेदारों के बयान के आधार पर झूठे दावे किए गए।
अब यही पोर्टल निकिता तोमर के परिवार पर सवाल खड़े कर रहे हैं, जो कई महीनों से आरोपितों के अत्याचार को झेल रहे थे और एक बार अपहरण के मामले में आरोपितों के परिजनों के आग्रह पर समझौता भी हुआ था। ‘The Quint’ का कहना है कि तौसीफ निकिता के पीछा पड़ा था और स्कूल के समय से ही उसके प्रति आकर्षित था, इसलिए निकिता ने जब उसका प्रस्ताव ठुकराया तो उसने हत्या कर दी।
आखिर ‘लव जिहाद’ ये नहीं है तो फिर क्या है? ऐसे मामलों में मुस्लिमों द्वारा इस्लामी धर्मांतरण के लिए दबाव बनाया जाता है, ये डिफ़ॉल्ट है। ये अंडरस्टूड होता है। क्या वामपंथी पोर्टल को पुलिस और मृतक के परिजनों से ज्यादा पता है? इस खबर में आरोप लगाया गया है कि करणी सेना और देव सेना जैसे संगठनों द्वारा इसे ‘लव जिहाद’ का मुद्दा बनाए जाने के बाद परिवार ने भी ऐसा कहना शुरू कर दिया।
साथ ही अपनी ही अक्टूबर 2020 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि निकिता तोमर के घर के बाहर दक्षिणपंथी इसे कम्यूनल एंगल दे रहे थे। उसके कहना का अर्थ है कि तौसीफ ने भले ही निकिता को धर्मांतरण की धमकी दी हो, लेकिन ये कम्यूनल नहीं है। हाँ, अगर कोई इस चीज का जिक्र करते हुए इसके खिलाफ आवाज उठाता है तो वो कम्यूनल है। आरोपित स्थानीय कॉन्ग्रेस नेताओं के प्रभावशाली परिवार से आता है।
‘The Quint’ सब कुछ मान सकता है कि हत्याएँ होती हैं, अपहरण होते हैं और प्यार में ठुकराने पर बदला लिया जाता है, लेकिन एक अपराध ऐसा है जिसका उसके लिए इस धरती पर कोई अस्तित्व ही नहीं है। जबरन इस्लामी धर्मांतरण नाम की कोई चीज उसके लिए है ही नहीं। निकिता तोमर के पिता ने स्पष्ट कहा था कि अगर ‘लव जिहाद’ के विरुद्ध क़ानून होता तो शायद उनकी बेटी की जान नहीं जाती।
Quint just stopped short of calling #NikitaTomar’s father a bigot, trying to use his daughter’s murder to push the ‘love jihad’ bogey pic.twitter.com/51bi3SNwDI
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) March 25, 2021
वहीं निकिता तोमर के भाई ने कहा था कि अगर हिन्दू की बेटी है तो क्या कोई कुछ भी करेगा, अगर वही मुस्लिम की बेटी होती तो सारा प्रशासन यहाँ इकट्ठा हो जाता। साथ ही सवाल दागा था कि इससे पहले पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, क्या वो उनकी बहन के मरने का इंतजार कर रहे थे? आरोप है कि तौसीफ ने बार-बार निकिता को यही कहा, ‘मुस्लिम बन जा हम निकाह कर लेंगे’, लेकिन लड़की के न झुकने पर उसने हत्या कर दी।
आखिर क्यों ‘The Quint’ हत्या और अपहरण को छोड़ कर अवैध धर्मांतरण वाले आरोप के पीछे ही पड़ा हुआ है? ऐसे ही मेवात में उसके पत्रकारों ने घूम कर पाया कि वहाँ ‘लव जिहाद’ का कोई केस नहीं है और सब कुछ शांत है। वहाँ उसके पत्रकार पेड़ की छाँव में खड़े हुए, सड़क पर चहलकदमी की, आसमान निहारा और चाय-नाश्ता कर के पाया कि ‘लव जिहाद’ पीड़ित कहीं दिख ही नहीं रहे हैं। ये है इनके रिपोर्टिंग का तरीका।
तौसीफ और रेहान का बचाव करना तो बहुत छोटी बात है। उन्होंने हजारों निर्दोषों की जान लेने वाले आतंकी संगठन अल-कायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन तक के ‘मानवीय पक्ष’ को दुनिया के सामने लाने की कोशिश की थी। ‘The Quint’ के लिए लादेन एक ‘अच्छा पति और अच्छा पिता’ था। हो सकता है इसके लिए ‘The Quint’ वालों ने ओसामा की पाँचों पत्नियों से बात की हो। आतंकियों का महिमामंडन करने वालों के लिए तौसीफ तो एक अपराधी भर है।
इसी तरह हैदरबाद में एक महिला डॉक्टर के रेप और हत्या के आरोपितों के महिमामंडन का प्रयास भी ‘The Quint’ ने किया था। उसने आरोपितों के परिजनों के इंटरव्यू लेकर तरह-तरह के आरोप लगाए थे। आज यही मीडिया संस्थान निकिता के परिजनों की बात को गलत बता रहा। ‘The Quint’ ने एक बलात्कार और हत्या के आरोपित के परिजनों से बात कर के जाना कि वो अपराध करने के बाद कितना ‘चिंतित और डरा हुआ’ था।
सीधी बात ये है कि ‘The Quint’ जैसे संस्थान ये पचा ही नहीं पाते कि मुस्लिम अपराध कर सकते हैं, इस्लामी आक्रांता कभी हुआ करते थे या फिर मजहब के नाम पर खून बहाया जाता है। उनकी पहली कोशिश होती है मुस्लिम अपराधी/आतंकी को बचाना। ऐसा न हो पाया तो उसका ‘मानवीय पक्ष’ निकाल कर लाना। ये भी न हो पाया तो अंत में ये साबित करते हैं कि इसका मजहब, इस्लाम या धर्मांतरण से कोई लेना-देना नहीं।