Tuesday, April 23, 2024
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सिख सैनिकों को भड़काया, कश्मीर में अलगावाद का समर्थन: SFJ के खतरनाक इरादे, 36 साल पहले ऐसे ही ‘खोए’ थे 574 जवान

मानवाधिकारों की वकालत करने वाले समूह के नाम पर शुरू किया गया संगठन 'SFJ' पाकिस्तान सहित विदेशी धरती से संचालित होने वाले ‘खालिस्तानी आतंकवादी समूहों’ का फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन है।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) द्वारा दायर चार्जशीट में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है कि अमेरिका आधारित ‘सिख फॉर जस्टिस’ (SFJ/Sikh for Justice), जो कि एक खालिस्तान समर्थक संगठन है, भारतीय सेना में शामिल सिख समुदाय के भीतर भारत-विरोधी भावनाओं को भरने का प्रयास करता रहा है। इस खुलासे में पता चला है कि SFJ इन सिख सैनिकों को देश के खिलाफ विद्रोह करने के लिए भी उकसा कर देश की सुरक्षा को खतरे में डालने की कोशिश करता रहा है।

NIA के अनुसार, “SFJ भारतीय सेना में शामिल सिख सैनिकों को उकसाने के साथ-साथ कश्मीर के युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और भारत के लिए कश्मीर के अलगाव को खुले तौर पर समर्थन देने की कोशिश कर रहा है।”

SFJ नेता और आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू, खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर और बब्बर खालसा इंटरनेशनल के प्रमुख परमजीत सिंह उर्फ ​​पम्मा सहित 16 आरोपितों के नाम वाली चार्जशीट में यह भी दावा किया गया है कि SFJ कश्मीरी युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश कर रहा है और खुले तौर पर कश्मीर के अलगाव को समर्थन दे रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एनआईए के प्रवक्ता ने बताया कि जाँच एजेंसी, और अन्य केंद्रीय एजेंसियों द्वारा सौंपे गए डोजियर के आधार पर, एसएफजे के मुख्य संरक्षक – गुरपतवंत सिंह पन्नु, हरदीप सिंह निज्जर और परमजीत सिंह उर्फ ​​पम्मा को गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत ‘आतंकवादी’ के रूप में नामित किया गया है।

प्रवक्ता के अनुसार, फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, यू-ट्यूब और कई अन्य वेबसाइटों पर अनेकों सोशल मीडिया अकाउंट लॉन्च किए गए थे जिनका उपयोग युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, शांति और सद्भाव को बिगाड़ने और आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने के लिए किया जा रहा था।

केंद्रीय जाँच एजेंसी ने बुधवार (दिसंबर 08, 2020) को यूएपीए के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा के 16 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की, जो कथित रूप से भारत में धर्म और क्षेत्र के बहाने देशद्रोही गतिविधियों और शत्रुतापूर्ण दुश्मनी में शामिल थे।

एनआईए के एक अधिकारी के अनुसार, मामले की जाँच से पता चला है कि मानवाधिकारों की वकालत करने वाले समूह के नाम पर शुरू किया गया एसएफजे पाकिस्तान सहित विदेशी धरती से संचालित होने वाले ‘खालिस्तानी आतंकवादी समूहों’ का फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन है।

अधिकारी ने कहा, “यह अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे विभिन्न देशों में ‘मानवाधिकार सुरक्षा समूह’ की आड़ में अपने कार्यालय चलाने वाला एक अलगाववादी संगठन था।”

स्वर्ण मंदिर पर सेना की कार्रवाई से नाराज 574 भगौड़े सिख सैनिक हुए थे गिरफ्तार- न्यूयॉर्क टाइम्स

SFJ संगठन को लेकर NIA का खुलासा न्यूयॉर्क टाइम्स की एक खबर को पुख्ता करता है। जून 12, 1984 के दिन अमेरिकी समाचार पत्र ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, भारतीय सेना ने ऐसे 574 सिखों को गिरफ्तार किया था, जो खालिस्तानी चरमपंथी भिंडरावाले के कब्जे से स्वर्ण मंदिर को आजाद कराने के लिए चलाए गए ऑपरेशन से नाराज होकर भारतीय सेना से भाग निकले थे। सम्भव है कि यह SFJ संगठन के षड्यंत्रों का ही नतीजा था जो भारत को अपने जाँबाज सिख सैनिकों को खोना पड़ा।

इस रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वोत्तर भारत में सेना छोड़कर गए 500 से 600 सिख सैनिकों को तीन स्थानों पर गिरफ्तार किया गया, जिनमें एक एनकाउंटर में 26 सिख चरमपंथी मारे गए थे। उसी समय, उत्तर में और पश्चिम में, बॉम्बे (अब मुंबई) के पास भी ऐस घटनाएँ सामने आई थीं। इस रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ ने रामगढ़ और नई दिल्ली के बीच कई जगहों पर 574 गिरफ्तारियों की सूचना दी।

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, “ये वो भगौड़े सिख सैनिक थे जो सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थल, पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर पर पिछले मंगलवार और बुधवार को भारतीय सेना के हमले के बाद गुस्से में बिहार राज्य के रामगढ़ चले गए थे। ये सैनिक भारत भर से अमृतसर जा रहे अन्य सिखों में शामिल हो गए।”

गौरतलब है की यह रिपोर्ट जिस घटना का जिक्र करती है वह भारतीय सेना द्वारा खालिस्तानी चरमपंथियों से स्वर्ण मंदिर को आजाद करने को लेकर चलाए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार है जिसे लेकर सिख समुदाय के एक वर्ग के भीतर सत्ता पख के प्रति जबरदस्त आक्रोश भी रहा और इसके चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी को अक्टूबर 31, 1984 उन्हीं के सिख सुरक्षाकर्मियों ने गोली मारकर हत्या कर दी।

भारत सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, इस ऑपरेशन में 83 सैनिक तथा 493 आम नागरिक व चरमपंथी मारे गए। इस कार्यवाही में 86 से अधिक नागरिक, 249 सैनिक घायल हो गए जबकि 1592 को गिरफ्तार किया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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