Friday, November 15, 2024
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‘ये इमरजेंसी है’: ‘शांतिदूत’ जुबैर की गिरफ़्तारी पर कॉन्ग्रेस और राजदीप-राना अय्यूब गिरोह ने पीटी छाती, कविता कृष्णन ने हिन्दुओं को सुनाया भला-बुरा

राणा अय्यूब, जो भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा के खिलाफ इस्लामी भीड़ को 'ईशनिंदा' के नाम पर उनके खिलाफ भड़का रही थी। वहीं उन्हें जब किसी दूसरे के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए कार्रवाई की जाती दिखी, तो अचानक से आपातकाल याद आने लगा।

दिल्ली पुलिस ने AltNews के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को हेट स्पीच और दुश्मनी फैलाने के मामले में गिरफ्तार कर लिया है। उस पर IPC (भारतीय दंड संहिता) की धारा-153 (ऐसे कृत्य जिससे दंगे और उपद्रव होने की आशंका हो) और धारा-295 (किसी समाज द्वारा पवित्र मानी जाने वाली वस्तु का अपमान करना) लगाई गई है। वहीं फेक न्यूज़ फैलाने और हिन्दू विरोधी खबरों के लिए कुख्यात मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ़्तारी के बाद लिबरल और वामपंथी गिरोह उसके बचाव में उतर आया है। ट्विटर पर #FreeZubairNow का हैशटैग भी ट्रेंड करने लगा है।

यहाँ हम आपको ऐसे ही कुछ लोगों के ट्विटर पर निकले भड़ास, समर्थन और लामबंदी से परिचय करा रहे हैं जो अक्सर ज़ुबैर और उसके तथाकथित मीडिया पोर्टल ऑल्ट न्यूज़ द्वारा फैलाये जा रहे झूठ और हेट स्पीच पर मौन रहते आए हैं।

राणा अय्यूब, जो भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा के खिलाफ इस्लामी भीड़ को ‘ईशनिंदा’ के नाम पर उनके खिलाफ भड़का रही थी। वहीं उन्हें जब किसी दूसरे के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए कार्रवाई की जाती दिखी, तो अचानक से आपातकाल याद आने लगा।

अपने ट्वीट में, अय्यूब ने लिखा, “भारत के प्रधान मंत्री आपातकाल की भयावहता के बारे में बात करते हैं जबकि उन्होंने भारत में लागू कर दिया है।”

“इंडिया टुडे के संपादक राजदीप सरदेसाई ने ANI को रीट्वीट करते हुए मोहम्मद ज़ुबैर के समर्थन में लिखा, “तो मोहम्मद जुबैर, जिसने हेट स्पीच के कई मामलों को उजागर किया था, अब उन्हें खुद हेट स्पीच का आरोप लगा कर गिरफ्तार किया गया है। यहाँ तक ​​कि जिन लोगों का उन्होंने खुलासा किया उनमें से कई खुलेआम घूमते हैं। चिलिंग इफेक्ट!”

कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर ने लिखा, “भारत की कुछ फैक्ट-चेकिंग सेवाएँ, विशेष रूप से ऑल्ट न्यूज़, जिसने दुष्प्रचार से भरे हमारे पोस्ट ट्रुथ राजनीतिक वातावरण में कई खुलासे किए। जो भी कोई अपराध करता है, वे हर झूठ का पर्दाफाश करते हैं। उनकी गिरफ्तारी सच्चाई पर प्रहार है, उन्हें तत्काल रिहा किया जाना चाहिए।”

वहीं वामपंथी कविता कृष्णन ने भी ऑल्ट न्यूज़ के को-फाउंडर प्रतीक सिन्हा का ट्वीट शेयर करते हुए लिखा, “ध्यान दें कि दिल्ली पुलिस, आप हिन्दू-वर्चस्ववादी नेताओं को नहीं छुएँगे जो खुलेआम भाषण देते हैं और अपने समर्थकों को मुसलमानों को गोली मारने के लिए उकसाते हैं। लेकिन आपकी पुलिस ज़ुबैर जैसे लोगों को गिरफ्तार कर लेगी। जो एक पत्रकार (जो मुस्लिम है) जो फर्जी खबरों और हेट स्पीच को धैर्यपूर्वक उजागर करने के लिए समर्पित है।

मीरा संघमित्रा ने कविता कृष्णन का ट्वीट शेयर करते हुए लिखा, “कितनी बड़ी शर्म की बात है कि हफ्तों तक ऑनलाइन नफरत और धमकियों का सामना करने के बाद, ऑल्ट न्यूज़ के पत्रकार ज़ुबैर को अभी दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि हिंदू वर्चस्ववादी जो सांप्रदायिक जहर उगलते हैं और हिंसा के घृणित कृत्यों में लिप्त होते हैं, वे ‘कानून के लम्बे हाथों से अछूते रहते हैं!” साथ ही #FreeZubairNow का हैशटैग भी लगाया।

जहाँ वामपंथी और लिबरल ज़ुबैर को लेकर हो-हल्ला मचा रहे हैं वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो ज़ुबैर का काला चिट्ठा सामने रख रहे हैं कि किस तरह से यह फेक न्यूज़ फैलाते सैकड़ों बार पकड़ा गया है। या फिर किसी आपराधिक मामले को वाइट वाश करता हुआ। कह के पहनो नामक ट्विटर यूजर ने ऑल्ट न्यूज़ के फेक न्यूज़ की एक लिस्ट ही जारी कर दी है।

वहीं राजदीप सरदेसाई के ट्वीट के जवाब में पीसफुल नामक किसी ट्विटर यूजर ने ज़ुबैर के पुराने स्क्रीनशॉट शेयर करते पूछा, “ये क्या है रेड फ्लैग?”

गौरतलब है कि मोहम्मद जुबैर को विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने के लिए गिरफ्तार किया गया है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ये कार्रवाई की है। उस पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का आरोप है। खुद को फैक्ट-चेकर बताने वाले मोहम्मद जुबैर के समर्थन में वामपंथी गिरोह भी सामने आ गया है। कविता कृष्णन जैसों ने दिल्ली पुलिस को भला-बुरा कहना शुरू कर दिया है। उसके प्रतीक सिन्हा ने दावा किया है कि जाँच वाला मामला 2020 का था।

प्रतीक सिन्हा ने लिखा, “जुबैर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सोमवार (27 जून, 2022) को कॉल किया था। ये 2020 के एक मामले में जाँच को लेकर था। हालाँकि, उसे उच्च न्यायालय द्वारा गिरफ़्तारी से राहत प्रदत्त है। आज शाम के 6:45 बजे उसे किसी अन्य मामले में उठा लिया गया, जिसके लिए पहले से कोई नोटिस नहीं दिया गया। हमारे बार-बार निवेदन के बावजूद हमें FIR की कॉपी नहीं दी जा रही है।” हालाँकि, इसकी बात में कितनी सत्यता है इसे कहा नहीं जा सकता।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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