अप्रैल में शेहला रशीद का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें शेहला कह रही थीं कि सारे अमीर व्यक्ति शाम को होटल में बैठकर एक साथ बीफ खाते हैं और दारू पीते हैं। इसके बाद वह कई लोगों के निशाने पर आ गई थीं।
"तुम बिहारी हो?" हाँ में जवाब देते ही वह गाली देने लगा। आरोपित ने रवि राज से कहा- "यह दिल्ली है, सलीके से रहा करो।" इसके बाद विजय ने रवि राज को फिर दाे थप्पड़ मारे, कान पकड़ उठक-बैठक लगवाने के बाद यह हिदायत भी दी कि आगे कभी भी मिलो तो नाक रगड़कर प्रणाम करना।
मीणा अभी मुनिरका में किराए पर रहते हैं। वो शादीशुदा हैं और उनकी 3 बेटियाँ भी हैं। मीणा मानते हैं कि परिवार की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने में वह ख़ासे व्यस्त रहे लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं नियमित शिक्षा के लिए किसी कॉलेज में एडमिशन न ले पाने का दुःख ज़रूर था। उन्होंने जब जेएनयू के शैक्षिक वातावरण को देखा, तब उनकी यह इच्छा फिर से जाग उठी। वह अपनी ड्यूटी के दौरान व उसके बाद प्रवेश परीक्षा की तैयारी करते थे।
छात्रसंघ अध्यक्ष एन साई बालाजी ने विवि प्रबंधन पर अकादमिक गतिविधियों से निलंबित करने का आरोप लगाया है। इस बारे में जेएनयू की फ्रीलांस प्रोटेस्टर शेहला रशीद ने ट्वीट कर के जानकारी दी है।
2014 से वह व्यक्ति देश का पीएम है, लेकिन एक मंदबुद्धि, नशेड़ी, पागल उसे बिना किसी सबूत के चोर कह रहा है, उस पीएम को इतनी गालियाँ दी गईं कि गालियों का शब्दकोश भी शर्मिंदा हो जाए, लेकिन उस व्यक्ति ने जब एक तथ्य मात्र कह दिया, तो लुटियंस के पालतू शर्मिंदा हो गए।
कम्युनिस्ट वे होते हैं, जो समाज की बराबरी के लिए काम करते हैं, दुनिया में सबके हको-हुकूक का झंडा बुलंद करते हैं, धर्मनिरपेक्ष समाज की स्थापना करते हैं, वगैरा-वगैरा। यह नैरेटिव नहीं 'जहर' है जो गढ़ा गया है, षड्यंत्र के तहत स्थापित किया गया है।
तथाकथित लौह-महिला इंदिरा ने वामपंथी शिक्षा नीति के उस विष-बेल को बाकायदा सींचकर इतना जड़ीभूत कर दिया कि आज हम जो रोमिला, चंद्रा, हबीब आदि की विषैली शिक्षाएँ देख रहे हैं, वही मुख्यधारा बन चुकी है, यहाँ तक कि आर्य-आक्रमण का सिद्धांत, सभी तरह से खारिज होने के बाद भी पढ़ाया जा रहा है।
गिरिरज सिंह ने प्रशासन को भी निशाने पर लिया और कहा कि जब उनके द्वारा कोई बयान दिया जाता है, तो उस पर चुनाव आयोग एवं प्रशासन द्वारा तुरंत संज्ञान लेता है। लेकिन जब शेहला रशीद द्वारा हिंदू भावनाओं को भड़काया गया तब सारे विरोधी लोग कहाँ हैं?
ट्वीटर यूजर द्वारा किया गया ये दावा पूरी तरह से निराधार और बेबुनियाद है। सच्चाई तो ये है कि इस वीडियो या फिर इस मुद्दे को किसी मेनस्ट्रीम मीडिया ने इसलिए कवर नहीं किया, क्योंकि आज सूरत में भाजपा समर्थकों द्वारा कोई बाइक रैली नहीं की गई थी।
JNU वामपंथी की हालिया गतिविधियों के तार अगर एक सिरे से जोड़ते हुए देखा जाए, तो पता चलता है कि ये कोई विद्यार्थी या नेता या समाजवादी नहीं, बल्कि सिर्फ और सिर्फ एक शहरों में रहने वाला अनपढ़, कूप-मण्डूक, गतानुगतिक है, जिसे किसी भी हाल में क्रांति की तलाश थी और समय आने पर उसने अपनी क्रांति को परिभाषित भी कर डाला है, जिसका उदाहरण ऑन डिमांड आस्तिकता वाली शेहला राशिद है।