मोबाइल गुलेल, जी हाँ मोबाइल गुलेल! रिक्शे पर लोहे के एंगल को वेल्डिंग कर के बनाई गई। इसे मोबाइल गुलेल कहा जाता है। जहाँ चाहे, वहाँ ले जाओ और हिंसा को अंजाम दो। हिंदू घरों को टारगेट कर इस मोबाइल गुलेल से पेट्रोल बम की बोतलें, बड़े-बड़े पत्थर फेंके गए।
दिनेश की हत्या तब की गई, जब वो अपने बच्चों के लिए दूध लेने निकले थे। उनका एक बेटा 7 साल का तो दूसरा मात्र 1.5 साल का है। दिनेश को गोली राजधानी स्कूल के छत पर जमा दंगाइयों ने मारी।
"उनके नंबर से मेरे पास फोन आया। उधर से कोई और बोला और पूछा कि यह किसका नंबर है? मैंने कहा मेरे पति का... मैं कुछ लोगों को लेकर घटनास्थल की ओर दौड़ी तो देखा कि एक दुकान के सामने वह घायल पड़े हुए हैं मैं देखते ही बेहोश हो गई।"
पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से दखल की अपील की है। साथ ही दावा किया है कि हालात अभी भी सामान्य नहीं हुए हैं। लोगों में अब भी भय का माहौल है।
"कमरे के अंदर आओ तो मेरे बेटे राहुल को लेकर ही आना, नहीं तो वापस चले जाना।" एक मॉं के इस सवाल का जवाब मेरे पास नहीं था। आपके पास भी नहीं होगा। इसलिए इस दंगाई भीड़ की पहचान जरूरी है ताकि कल कोई राहुल फिर बेमौत मारा न जाए।
नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में कैसे और कब क्या हुआ, ये सब हम आपके समक्ष लाए हैं। इस दंगों के मुख्य किरदार कौन हैं और मीडिया ने कैसे पक्षपाती रवैया अपना कर पीड़ित हिन्दुओं के साथ अन्याय किया, ये सब यहाँ आपको हम बताएँगे। पूरे प्रकरण की क्रोनोलॉजी समझिए, टाइमलाइन जानिए।
इस विडियो में आप देख सकते हैं कि किस तरह 'NO NRC, NO CAB' लिखी हुई दुकानें आगजनी से बच जाती हैं और ठीक उनके बगल में मौजूद हिन्दुओं की दुकानें जिन पर ऐसा नहीं लिखा होता चुन-चुन कर फूँक दी जाती हैं। ऐसा एक जगह नहीं, कई इलाक़ों में हुआ।
कॉन्ग्रेस जैसे राजनैतिक दल पहले समुदाय विशेष को भड़काते हैं, फिर तुष्टिकरण को सत्ता का जरिया बनाते हैं। इसके बाद मुस्लिम नेता ऐसे मौके का नाजायज ‘फायदा’ उठाने के लिए पहले अलग संविधान, फिर अलग देश की माँग करने लगते हैं।
दंगाई भीड़ पूरी तैयारी के साथ आई थी। कुछ ने हेलमेट पहन रखे थे। कइयों ने अपना चेहरा छिपा रखा था। विकास ने बताया कि जब मुस्लिम भीड़ वापस चली गई, तब घायल हिन्दुओं को अस्पताल ले जाया जा सका।
ऑपइंडिया की टीम ने कई विडियो और फोटो जुटाए हैं, जो इस रिपोर्ट में संलग्न हैं। तबाही के इस मंजर में हिन्दुओं का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। इससे उबरने में उन्हें काफ़ी समय लग जाएगा। लोग अभी भी घरों में दुबके हुए हैं।