Sunday, September 1, 2024

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पत्रकारिता का समुदाय विशेष

FT संपादक ने किया आजम खान के बेहूदा बयान का समर्थन, दक्षिणपंथी पत्रकार ने लताड़ा

लायोनेल बार्बर अपने समाचारपत्र फाइनेंशियल टाइम्स की ओर से भारत के आम चुनावों को कवर कर रहे हैं। इसी दौरान अपने एक दौरे पर, लिखते हुए उन्होंने जयाप्रदा पर आजम की टिप्पणी का उल्लेख किया और लिखा, "कोई बुरा कथन नहीं है, हालाँकि इसके लिए खान पर अस्थाई प्रतिबंध लगा दिया गया।”

राहुल गाँधी ने माँगी माफी, वामपंथी-कॉन्ग्रेसी ‘चश्मे’ वाला पत्रकार-गैंग फैला रहा झूठ

सिंह के ट्वीट के जवाब में गुणशेखर ने लिखा कि उन्हें कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के हलफ़नामे में खेद का कोई उल्लेख नहीं मिला। उनके इस ट्वीट के जवाब में लोगों ने स्क्रीनशॉट दे-देकर उन्हें खेद का उल्लेख दिखाना शुरू कर दिया।

‘लिबरलों’ की ट्रोलिंग से Vistara ने किया ट्वीट डिलीट, मेजर जनरल के अभिनंदन का किया था ‘गुनाह’

पत्रकारिता के समुदाय विशेष का पसंदीदा देश है पाकिस्तान- और उसके खिलाफ मेजर जनरल बख्शी दो-दो युद्ध लड़ चुके हैं। यही नहीं, कारगिल के युद्ध में उनके सैन्य नेतृत्व का अभिनन्दन करते हुए उन्हें विशिष्ट सेवा पदक से भी नवाजा गया था। उनके बड़े भाई भी 1965 के युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए थे।

Vistara एयरलाइन्स ने भूतपूर्व मेजर जनरल का किया सम्मान, ‘लिबरल’ ट्रॉल्स को लगी मिर्ची

मेजर जनरल बख्शी पाकिस्तान और आतंकवादियों के प्रति अपने कठोर रुख के लिए सम्मानित हैं, और इसीलिए ‘लिबरल’ धड़े में उन्हें नापसंद भी किया जाता है। लेकिन उनके यात्रा करने मात्र से विस्तारा में आगे से हवाई यात्रा न करने की धमकी देना तो पागलपन है भाई!

भाजपा के खिलाफ़ हिंसा बदस्तूर जारी, भाजपा नेता के दफ्तर पर हमला, मीडिया खामोश

यह पिछले 8 दिनों में भाजपा पर हिंसक हमले की सातवीं घटना है, पर मीडिया पूरी तरह ‘मौन-संहिता’ का पालन कर रहा है।

7 दिन, 6 हमले, 5 हत्याएँ: संघी ही ‘फासिस्ट’, और संघी ही असुरक्षित

मुख्यधारा की मीडिया ने हमेशा की तरह मौन व्रत ले रखा है। किसी-किसी मामले में बोलना पड़ भी रहा है तो एक-एक शब्द इतनी कंजूसी से निकल रहा है कि मानों शोक जताने पर भी आचार संहिता लगी हुई है। न अब कहीं असहिष्णुता फ़ैल रही है, न ही प्राइम-टाइम डिबेट चल रहा है।

70000 ‘बेचारे शांतिदूत’ असम से उड़नछू, पत्रकारिता का समुदाय विशेष अब देगा जवाब?

‘बेचारे रोहिंग्या’ का narrative बुनने वाले ‘अदृश्य’ अवैध अप्रवासियों द्वारा किए गए संभावित गुनाह की गठरी अपने सर बाँधेंगे? क्योंकि यही सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक इस समूह के अधिवक्ता बन जाते हैं। और इसलिए बन जाते हैं क्योंकि यह घुसपैठिए ‘समुदाय विशेष’ से होते हैं।

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