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रवीश कुमार
अलीगढ़ और रवीश: शाह ने नोचा इंटरनेट का तार, मोदी ने तोड़ा टावर, नहीं हो रहा दुखों का अंत
अलीगढ़ मुद्दे के साम्प्रदायिक न होने की वजह से अब भारत का समुदाय विशेष शर्मिंदा नहीं हैं, न ही बॉलीवुड की लम्पट हस्तियाँ शर्मिंदगी के बोझ से मेकअप पिघला पा रही हैं, न ही पत्रकारों में वो मुखरता देखने को मिल रही है कि वो अपनी बेटी से नज़रें नहीं मिला पा रहे कि वो उनके लिए कैसा समाज छोड़े जा रहे हैं।
यूट्यूब पर लोग KRK, दीपक कलाल और रवीश को ही देखते हैं और कारण बस एक ही है
रवीश अब अपने दर्शकों से लगभग ब्रेकअप को उतारू प्रेमिका की तरह ब्लॉक करने लगे हैं, वो कहने लगे हैं कि तुम्हारी ही सब गलती थी, तुमने मुझे TRP नहीं दी, तुमने मेरे एजेंडा को प्राथमिकता नहीं माना। जब मुझे तुम्हारी जरूरत थी, तब तुम देशभक्त हो गए।
साला ये दुःख काहे खतम नहीं होता है बे!
जो लोग रवीश की पिछले पाँच साल की पत्रकारिता टीवी और सोशल मीडिया पर देख रहे हैं, वो भी यह बात आसानी से मान लेंगे कि रवीश जी को पत्रकारिता के कॉलेजों को सिलेबस में केस स्टडी के तौर पर पढ़ाया जाना चाहिए।
मोदी-शाह प्रेस कॉन्फ़्रेंस, रवीश-राजदीप, राहुल गाँधी की बचकानी हरकतें, और सोनिया का मिशन 272
पिछले दिनों की कुछ खबरों पर चर्चा जिसमें आज हुए BJP प्रेस कॉन्फ्रेंस, राहुल गाँधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस, मीडिया के समुदाय विशेष के लोगों के ट्रोल बन कर सिमट जाने की बात और सोनिया गाँधी के मिशन 272 की बात शामिल है।
BJP की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पत्रकारिता के ‘नाराज फूफा’ गायब
नरेंद्र मोदी से सवाल पूछने की प्रबल इच्छा रखकर महागठबंधन की रैली से लेकर चार्टर प्लेन में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ घूमने वाले NDTV के वरिष्ठ पत्रकार कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। विगत 4-5 सालों में देखने को मिला है कि अक्सर यह पत्रकार, शादी-बरात में नाराज फूफा की तरह ही मीडिया और प्राइम टाइम में नजर आते रहे हैं।
रवीश का रूहअफजा – ठन्डे शरबत का गरम मामला
रवीश जी ने बताया कि भाजपा की रैली में आमरस और गठबंधन की रैली में रूहअफजा की माँग रहती है। उसके बाद से वे केवल रूहअफजा की सप्लाई ही करते हैं, क्योंकि उसका रंग लाल होता है, और जब हर ग्लास में रूहअफजा भरते हुए लाल सलाम कहते हैं तो उनकी आत्मा को ठंडक मिलती है।
रवीश ‘कौन जात हो’ के कठिन सवाल चार्टर्ड प्लेन और 100 रुपए के दलित पानी बोतल में खो गए
रवीश वास्तविकता में मुश्क़िल सवाल न तो सामने वाले से पूछते हैं और न ही खुद से… उन्हें बड़े जहाज़, मंच पर जाकर फोटोबाजी और महँगे प्रसाधन से भी परहेज नहीं। ऐसे में मोदी जी को भी बिना झिझक… प्रधानमंत्री रहते रवीश के सामने बैठ कर कहना चाहिए - 'पांडे जी तुम भी कम नहीं हो बे… हें हें हें'!
रवीश कुमार SP-BSP के मंच पर कौन सा ‘कठिन सवाल’ पूछने गए थे? कौन जात हो वाला?
पिछले साल रवीश कुमार द्वारा संचालित एक कार्यक्रम में, सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा था कि उन्हें उस पत्रकार की हत्या नहीं करने का पछतावा है जिसने उनकी आलोचना की थी। रवीश कुमार ने अखिलेश यादव की सहनशीलता की प्रशंसा करते हुए उस शो की शुरुआत की थी।
रवीश कुमार इतना ज्ञान क्यों बाँच रहे हैं? एंकर तो आप भी बना दिए गए हैं, मैनेज तो आप भी हो रहे हैं
शब्दों का इस्तेमाल गलत कार्य के लिए मत कीजिए। किसी दिन उँगली जवाब दे देगी और गला सूख जाएगा। कई बार ऐसा होता है कि ज्ञान का इस्तेमाल गलत कार्य के लिए हो तो वह ज्ञान गायब हो जाता है।
मोदी इंटरव्यू के दौरान कपड़े फाड़कर ‘पछड़ा-पछड़ी’ करना चाहते हैं रवीश, उन्हें पागल होना है
रवीश कुमार चाहते हैं कि कोई पत्रकार लाइव इंटरव्यू के दौरान पीएम के जवाब के बाद टेबल पर एक करारा मुक्का मारे और अपनी कुर्सी को नीचे पटक डाले। रवीश की इच्छा है कि मोदी का इंटरव्यू लेनेवाला पत्रकार उनके जवाब के दौरान अपने ही मुँह पर माइक दे मारे।