वामपंथी पत्रकार रोहिणी सिंह ने पत्रकार दीपक चौरसिया को लगभग लताड़ लगाते हुए कहा कि शाहीन बाग में मुस्लिम महिलाएँ विरोध-प्रदर्शन कर रही थीं और आप (दीपक चौरसिया) वहाँ अपनी आवाज़ बुलंद करने गए थे!
गोदी मीडिया, सरकार मीडिया को धमका रही है, देश में आपातकाल आ गया है, लोग लिखने से डर रहे हैं... इन सारे जुमलों के बीच पत्रकारों पर हुए हमलों की ताजा लिस्ट देखिए। समझिए कि ये हमले कौन और कहाँ कर रहा है। कौन मीडिया को लिखने से रोक रहा है, कौन उन्हें धमका रहा है।
पाकिस्तान की रिपोर्टर नायला इनायत ने पाकिस्तान की जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री जरताज गुल का एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है। इस वीडियो में ज़रताज गुल पकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की खूबसूरती और उनकी 'किलर स्माइल' का जिक्र करती हुई देखी जा रही हैं।
ट्विटर पर कनव शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने, जो कि 'A.T. Kearney' नाम की एक कम्पनी में मैनेजमेंट कंसल्टेंट के तौर पर काम करते हैं (उनके ट्विटर द्वारा प्राप्त जानकारी) ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए एक ओला कैब ड्राइवर के प्रति अपनी नफरत को जाहिर किया है।
"मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी कि ऐसे शब्द पेन पर छपे थे। जब दूकानदार दुकान पर पहुँचे, तो एक मुस्लिम लड़के ने पेन देखा और वो वहाँ से चला गया। एक अन्य व्यक्ति दुकान पर आया, उसने पेन की तस्वीर ली और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया।"
इरेना ने दावा किया कि हेल्थज़ोन के लगभग 50 प्रतिशत ग्राहक मुस्लिम हैं। हालॉंकि इरेना के ट्वीट के बाद कई लोगों ने साहनी के साथ एकजुटता दिखाई और लोगों से इसकी सदस्यता के लिए साइन अप करने की अपील की।
मोहम्मद इरफान नामक एक युवक ने भी
इस वीडियो को शेयर किया है। जिसने अपने ट्वीट में लिखा है कि उसने शाहीन अब्दुल्ला एवं जामिया और जेएनयू के छात्रों के साथ मिलकर दिल्ली मेट्रो के अंदर नारे लगाए।
"मुझे नौकरी से निकाल दिए जाने की खबर उन लोगों तक पहुँच गई, जो ऐसा चाहते थे। फिर वो लोग सोशल मीडिया पर जश्न मनाने लगे। मुझे रिजाइन करवा कर वास्तव में उस अस्पताल ने बहुत कुछ खोया है, जो पहले से ही कम स्टाफ की समस्या से गुजर रहा है।"
RJD के राज्यसभा सांसद अशफाक करीम ने CAA और NRC के विरोध में खड़े होकर भाषण देना शुरू ही किया था और भाषण देते हुए महज 17 सेकेंड ही बीता था कि उनकी पैंट ही खुलकर गिर गई।
AAP ने इस वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन लिखा कि केजरीवाल इस इंतज़ार में हैं कि बीजेपी दिल्ली में मुख्यमंत्री के पद पर किसका नाम आगे करेगी। लेकिन सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस पर उन वादों के बारे में पूछ डाला, जो पाँच साल पहले सत्ता पर क़ाबिज़ होने से पहले किए गए थे, जिनका अब कुछ अता-पता नहीं है।