Wednesday, May 1, 2024

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काशी

ऋतुराज बसंत: ज्ञान, संगीत, कला की उपासना से लेकर काम और मोक्ष का जीवंत उत्सव भी, जानिए पौराणिक-सांस्कृतिक महत्व

बसंत, बसंत पंचमी, मदनोत्सव, सरस्वती पूजा, होली की प्रारम्भिक शुरुआत, श्मशान में मौत के तांडव पर भारी जीवन का उत्सव – ऋतुराज बसंत यह सब कुछ है।

‘काशी मोक्ष की नगरी ही नहीं, जीवनदायिनी भी’: चौथे स्टेज के कैंसर से पीड़ित ब्रिटिश नागरिक पहुँचा विश्वनाथ के द्वार, 13000 km की यात्रा

13 हजार किलोमीटर साइकिल चलाकर अपनी माँ के साथ ब्रिटेन से भारत आए ल्यूक ने कहा कि मुझे यहाँ लोगों ने बहुत प्यार दिया।

180 फीट ऊँचा, 7 मंजिला स्वर्वेद महामंदिर… जुड़ेगी काशी की सांस्कृतिक पहचान: PM मोदी करेंगे 300000 साधकों को सम्बोधित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज स्वर्वेद महामंदिर धाम विहंगम योग के 98वें वार्षिकोत्सव में शामिल होंगे एवं 3 लाख साधकों को सम्बोधित करेंगे।

1000 साल बाद वही काशी, 352 साल बाद वह ज्ञानवापी कूप जिसमें शिवलिंग लेकर कूद गए थे पुजारी; 27 मंदिरों की मणिमाला भी

"आज मंदिर का जो दिव्य और भव्य परिसर सबके सामने है वो बाबा काशी विश्वनाथ की इच्छा और प्रधानमंत्री मोदी के सार्थक और दृढ़ इच्छशक्ति के कारण ही संभव हुआ हैं।"

‘भाषा का गोमुख है काशी’: राजभाषा सम्मेलन में बोले गृहमंत्री अमित शाह, CM योगी ने हिंदी को बताया- राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने...

गृह मंत्री अमित शाह ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "मुझे गुजराती से ज्यादा हिंदी भाषा पसंद है। हमें अपनी राजभाषा को मजबूत करने की जरूरत है।"

107 साल बाद फिर विराजेंगी ‘काशी की रानी’ माँ अन्नपूर्णा, मोदी सरकार ने चोरी की मूर्ति कनाडा से वापस मँगाई

मोदी सरकार के प्रयासों से 107 वर्ष बाद पुनः अपने मूल स्थान काशी में स्थापित होने जा रही हैं हिन्दू समाज की आराध्या माँ अन्नपूर्णा देवी।

PM मोदी ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को दिया दादा से जुड़ा खास तोहफा, ऑस्ट्रेलिया-जापान के PM को भी दिए विशेष गिफ्ट

पीएम मोदी ने कमला हैरिस को उनके दादा की सरकारी नियुक्तियों और सेवानिवृत्ति से जुड़े गजट नोटिफिकेशन को लकड़ी की फ्रेम में सजा कर भेंट किया है।

काशी की 400 साल पुरानी परंपरा: बाबा मसाननाथ मंदिर में मोक्ष की आकांक्षा में धधकती चिताओं के बीच नृत्य करती हैं नगरवधुएँ

काशी की महाशिवरात्रि, रंगभरी एकादशी, चिता भस्म की होली के बाद एक और ऐसी प्राचीन परंपरा जो अपने आप में अनूठी है वह है मणिकर्णिका घाट महाश्मशान में बाबा मसाननाथ के दर पर नगरवधुओं का नृत्य।

भारत की विविधता, संस्कृति, लोक कला, साहित्य को समेटती होली: हर राज्य में उल्लास का अलग है रंग

जहाँ ब्रजधाम में राधा और कृष्ण के होली खेलने के वर्णन मिलते हैं वहीं अवध में राम और सीता के जैसे होली खेलें रघुवीरा अवध में। राजस्थान के अजमेर शहर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर गाई जाने वाली होली का विशेष रंग है।

होली के रंग में जीवन का उल्लास: होलिका, होलाका, धुलेंडी, धुरड्डी, धुरखेल, धूलिवंदन… हर नाम में छिपा है कुछ बहुत खास

आध्यात्मिक रूप से होलिका दहन का मकसद पुराने कपड़ों या वस्तुओं को जलाना ही नहीं है, बल्कि पिछले एक साल की यादों को जलाना है ताकि...

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