सवा सौ वर्षो से भी अधिक पुरानी पार्टी के लिए इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि वह भारत में अपने लिए एक अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर पा रही पर यूरोप के नौ देशों में एक साथ अध्यक्ष नियुक्त कर ले रही है।
डॉ. हर्षवर्धन ने राहुल गाँधी की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस को अपनी लीडरशिप में बड़े बदलाव के बारे में विचार करना चाहिए।
दिलचस्प बात यह है कि जब सोरेन एक बैठक की प्रतीक्षा कर रहे थे, तब सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी तमिलनाडु के नए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मिलने चले गए, जो द्रमुक के प्रमुख हैं।
जहाँ यूजर्स उन्हें सोनिया गाँधी को लेकर इतनी महत्तवपूर्ण जानकारी देने के लिए तंज भरे अंदाज में आभार दे रहे हैं। वहीं राहुल गाँधी को लेकर बताया जा रहा है कि कैसे उन्होंने बेवजह वाह-वाही लूट ली।