Wednesday, November 20, 2024

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हिन्दूफोबिया

पहले घटिया ‘सेक्युलर’ एड बना कर लव जिहाद को किया मेनस्ट्रीम, अब फर्जी हिंसा की धमकी की बात कर रहा Tanishq

एक तो 'Tanishq ने विज्ञापन वीडियो बना कर 'लव जिहाद' का महिमामंडन किया, ऊपर से अब वो स्पष्टीकरण जारी कर के हिन्दुओं को ही हिंसक दिखा रहा है।

Tanishq नहीं… इस धनतेरस #VocalForLocal, स्थानीय सुनार को मिले दीपावली मनाने का मौका

स्थानीय सुनार को भी मौका दीजिए! इस धनतेरस में उसे भी तो दीपावली मनाने का मौका मिलना चाहिए ना? हॉलमार्क जैसे मानकों से लैस कई सुनार...

हिंदू-मुस्लिम एकता पर बने ‘5 Best विज्ञापन’… लेकिन सबमें सिर्फ हिंदू ही नेगेटिव और कट्टर क्यों?

कुल 5 विज्ञापनों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हिंदुओं को लेकर एड एजेंसी किस तरह की तस्वीर समाज में परोस रही है।

चरसी वामपंथनों के नाम: ‘बड़ा प्यारा एड था’ से शुरू ‘संघी साले मूर्ख होते हैं’ पर खत्म (चरसी वामपंथी भी पढ़ें)

चरसी वामपंथनों को 4-5 शब्द गिन कर आते हैं, धनिया की तरह छींटती रहती हैं। तनिष्क पर 'उम्मीद' देखने वाले आदर्श नगर के राहुल को भूल जाते हैं।

Tanishq Vs गदर: सिनेमा हॉल पर 500 की भीड़ का पेट्रोल बम से हमला, पलट गई थीं शबाना आज़मी

कोई तथाकथिक लेखक कहते हैं कि “जिनकी स्वर्ण खरीदने की औकात ही नहीं, वो तनिष्क का बहिष्कार ना करें” तो भारत की उनकी समझ पर हँसी आती है।

हिन्दुओं को कोने में ढकेलना बंद करो, 101वीं गलती पर सुदर्शन चले तो तहजीब की गजलें मत गाना

हिन्दू बच्चियों से 'लव' और 'रेप जिहाद', 70+ हिन्दुओं की मजहबी भीड़ द्वारा लिंचिंग... ये 'bleed Hindus with thousand cuts' की नीति है।

मंदिर में छेड़खानी, मस्जिद मतलब शांति: सलीम-जावेद का रामगढ़, जहाँ ‘रहीम चाचा’ ही एकलौते बेदाग मानुष

1975 में आई रमेश सिप्पी की बॉलीवुड फिल्म 'शोले', जिसकी कहानी सलीम-जावेद ने लिखी थी। यहाँ हम इसी फिल्म का पोस्टमॉर्टम करेंगे।

राजस्थान: मंदिर पर अवैध कब्जे का विरोध करने वाले पुजारी को 6 लोगों ने पेट्रोल से आग लगा कर मार डाला

अवैध कब्जे का विरोध करने पर राजस्थान में राधा गोविन्द मंदिर के एक 50 वर्षीय पुजारी बाबूलाल वैष्णव को एक भू-माफिया और उसके साथियों ने जिन्दा जला दिया।

बिग बॉस और राधे माँ: स्वयंभू हिन्दुवादी चेहरों को पेश कर धर्म का उपहास करने की एक और स्क्रिप्ट क्यों?

बिग बॉस में हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाने वाले स्वयंभू चेहरे ही क्यों पेश किए जाते है? मजहब विशेष के ऐसे चेहरे क्यों नजर नहीं आते?

लड़ाई अन्याय से या हिन्दू राष्ट्र से? विरोध करने वाले बुद्धिजीवी ढपलीबाज गैंग… पहले तय कर लो, करना क्या है

क्या इस धर्म (हिंदू) को नष्ट करना आसान है? सदियों से प्रयास हो रहे हैं, 1-2 हथौड़ा आप भी चला कर देख लीजिए और हो जाए तो अवश्य सूचित करिए।

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