Friday, April 26, 2024

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‘भगवान राम-कृष्ण में आस्था नहीं, पिंडदान नहीं’: बौद्ध अंबेडकर के 22 शपथ, इस्लाम की घृणा को लेकर भी किया था आगाह

डॉ अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को हिंदू धर्म में अपनी आस्था त्यागकर बौद्ध धर्म अपना लिया। ऐसा माना जाता है कि यह तिथि सम्राट अशोक के बौद्ध धर्म में परिवर्तन से जुड़ी है।

NASA ने कर दिया साइंस का नाश: ‘मिशन अंबेडकर’ के ट्वीट को पूर्व क्रिकेटर वेंकटेश प्रसाद ने किया बोल्ड

नासा के ट्वीट पर प्रतिमा रॉय की तस्वीर देखने के बाद मिशन अंबेडकर ने लिखा था कि साइंस का नाश कर दिया है NASA ने।

श्रीराम दलितों की आस्था का केंद्र: राम मंदिर निर्माण के लिए अंबेडकर महासभा ट्रस्ट ने दान की चाँदी की ईंट

"समाज के अन्य वर्गों की तरह दलित समाज भी अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर काफी उत्साहित है। दलित समाज आभारी है कि..."

‘हिंदुओं को नापसंद करने के चलते मुसलमानों के पाले में खड़े होना बड़ी भूल होगी’ – कह गए थे आंबेडकर, पढ़िए

“इस्लाम में राष्ट्रवाद का कोई चिंतन नहीं है। इस्लाम में राष्ट्रवाद की अवधारणा ही नहीं है। वह राष्ट्रवाद को तोड़ने वाला मजहब है।” - आंबेडकर...

‘हमें बंदूक-पिस्तौल खरीदना है, 50% सब्सिडी दे सरकार’ – 20 लाख बहुजनों के लिए चंद्रशेखर की ‘नौटंकी’

“सरकार नागरिकों की संरक्षा, सुरक्षा के लिए पूरी तत्पर और प्रभावी रूप से प्रतिबद्ध है। इस प्रकार के बयान और माँगों का उद्देश्य केवल नौटंकी है।”

पूना पैक्ट: समझौते के बावजूद अंबेडकर ने गाँधी जी के लिए कहा था- मैं उन्हें महात्मा कहने से इंकार करता हूँ

अंबेडकर ने गाँधी जी से कहा, “मैं अपने समुदाय के लिए राजनीतिक शक्ति चाहता हूँ। हमारे जीवित रहने के लिए यह बेहद आवश्यक है।"

बाबासाहब आंबेडकर के घर ‘राजगृह’ में जम कर तोड़फोड़: CCTV तोड़ कर भाग निकले 2 अज्ञात

2 लोग बाबासाहब आंबेडकर के दादर स्थित 3 मंजिला ऐतिहासिक परिसर 'राजगृह' में घुस गए और तोड़फोड़ मचाई। दोनों आरोपितों की अब तक पहचान नहीं हो सकी है।

सरकार नहीं, मुल्ला-मौलवियों की बातें मानते हैं मुस्लिम: जमातियों की हरकतों से याद आई बाबा साहब की कही बातें

जमातियों की हरकतों को देखें तो आज यही पता चलता है। उन्होंने इस्लाम के नाम पर मेडिकल सलाहों को धता बताया और इस्लामी रीति-रिवाजों का अनुसरण करने के चक्कर में देश से पहले मजहब को रखा, जो आम्बेडकर की बातों को आज भी सत्य सिद्ध करती है।

‘क्रीमी लेयर’ और सामाजिक न्याय का अपहरण

अगर आरक्षण के प्रावधानों से पिछड़ों-दलितों-वंचितों का सशक्तीकरण होता है, तो उन लाभार्थियों की भावी पीढ़ियों को क्रीमी लेयर में शामिल करके भविष्य में आरक्षण लाभ से वंचित क्यों नहीं किया जाना चाहिए? ऐसा करने से ही आरक्षण जैसे संवैधानिक प्रावधान का लाभ त्वरित गति से नीचे तक पहुँचेगा और आरक्षण के क्षेत्र में भी 'ट्रिकल डाउन' की सैद्धान्तिकी सचमुच फलीभूत होगी।

बाबासाहब आजादी से पहले ही भाँप गए थे वहाबियों के खतरे को, चंद कॉन्ग्रेसी नेताओं ने दबा दी थी उनकी आवाज

"मुस्लिमों के लिए हिंदू काफिर है। मुस्लिमों की दृष्टि में काफिर सम्मान के योग्य नहीं होता है, उसकी कोई सामाजिक स्थिति भी नहीं होती है। अत: जिस देश में काफिरों का शासन हो, वह स्थान म्मुस्लिमों के लिए दारुल-हर्ब है। ऐसी स्थिति में यह सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं बचती कि मुस्लिम गैर-मुस्लिम के शासन को स्वीकार नहीं कर पाएँगे। इसलिए भारत और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की पूर्ण अदला-बदली ही क्षेत्र में शांति व सौहार्द रख सकती है।''

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