विषय
इतिहास और गाथा
सुप्रीम कोर्ट का फैसला तो 2019 में आया। राम मंदिर के लिए लेकिन संघर्ष तो 500 वर्षों का रहा है। इतिहास और गाथाएँ उससे भी पहले की। अपने आराध्य पर किसी ने अटूट आस्था रखी तो किसी ने भीष्म प्रतिज्ञा ली। किसी ने नौकरी छोड़ी तो किसी ने राजनीति कर मार्ग प्रशस्त किया।
राम मंदिर के लिए जिन-जिन ने अपना जीवन खपाया, अयोध्या के संघर्ष में जिन खबरों ने मचाई हलचल, रामलला से जुड़ी जो भी है गाथा-किंवदंति… सब कहानी है यहाँ।
अयोध्या कांड: रथी आडवाणी, सारथी मोदी… और राम मंदिर की वह लहर जिसने खोद दी ‘सेक्युलरों’ की कब्र
अजीत झा -
इस यात्रा ने सत्ता में भाजपा को स्थापित करने के बीज बोए। आज उसकी जड़ें इतनी फैल गई हैं कि जो नेहरू कभी राम को बेदखल करने पर अमादा थे, आज उनकी ही राजनीति के वारिस मंदिर-मंदिर प्रदक्षिणा को मजबूर हैं। बाकायदा मुनादी की जाती है उनके जनेऊधारी हिन्दू होने की।
‘अंग्रेज तो इसे राम का जन्मस्थान मान चुके थे, रिकॉर्ड में घपला कर जोड़ा बाबरी मस्जिद’
भारतीय इतिहास लेखन के “Big Four” रोमिला थापर, इरफ़ान हबीब, आरएस शर्मा और डीएन झा ने इस मामले में प्रपंच रचा। डॉ. जैन ने बताया कि इन्हें पता था कि अदालत ने पोल खुल सकती है तो पेशी के लिए अपने छात्रों को भेजते रहे और बाहर अपनी लेखनी से झूठ की पालकी ढोते रहे।
‘मैंने ढाँचा तोड़ा था, हम वहाँ जाएँगे और मंदिर बनाएँगे’: साध्वी प्रज्ञा ठाकुर
साध्वी प्रज्ञा ने कहा, “मैंने ढाँचे पर चढ़कर तोड़ा था। मुझे गर्व है कि ईश्वर ने मुझे अवसर दिया और शक्ति दी और मैंने यह काम कर दिया। अब वहीं राम मंदिर बनाएँगे।”