12 अप्रैल को एक पत्र प्रधान सचिव आपदा प्रबंधक विभाग को जारी किया गया था। पत्र के माध्यम से बताया गया था कि बिहार शरीफ स्थित शेखना मस्जिद में 14 से 15 मार्च तक तबलीगी मरकज का एक सम्मेलन हुआ था, जिसमें बिहार के करीब 640 लोगों ने हिस्सा लिया था।
4 अप्रैल को एक कोरोना पॉजीटिव मिलने के बाद पूरे इलाके को सील कर स्क्रीनिंग करवाने का फैसला किया गया। 40 हजार लोग इसके दायरे में थे। लेकिन, 25 मुस्लिम परिवारों की मनमानी ने पूरी कवायद पर ही पानी फेर दिया है।
बिहार में चलाए जा रहे अभियान के तहत बिहार पुलिस ने मंगलवार को विभिन्न जिलों में मौजूद तबलीगी जमात से जुड़े 57 विदेशी जमातियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इन जमातियों को पुलिस ने मस्जिद में छिपने, पुलिस को सूचना न देने और वीजा नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
पुलिस के अनुसार जेल भेजे गए जमातियों का वीजा जून तक वैध था, लेकिन सभी टूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे ऐसे में वह मजहबी प्रचार नहीं कर सकते थे। ये सरासर कानून का उल्लंघन है। इन सब के खिलाफ इसी मामले में एफआईआर दर्ज किया गया है।
राज्य के सभी सरकारी, गैर सरकारी कार्यालय एवं परिसर, सभी स्वास्थ्य संस्थान, सभी शैक्षणिक संस्थान, थाना परिसर आदि में किसी भी प्रकार का तंबाकू पदार्थ, सिगरेट, खैनी, गुटखा, पान मसाला, जर्दा आदि के उपयोग को पूर्णत: प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया गया है।
“राजद विधायक फैयाज अहमद का फिलहाल नाम नहीं आया है, लेकिन हम जानते हैं कि ये सब कुछ उसके कहने पर ही हो रहा है, क्योंकि उसका दायाँ हाथ सरपंच फकरे आलम है और पुलिस प्रशासन फकरे आलम से मिली हुई है। हम तो बस प्रधानमंत्री के कहने पर दीया जला रहे थे। क्या प्रधानमंत्री की बात का पालन करना इतना बड़ा गुनाह है कि हमारी माँ की हत्या कर दी जाएगी? और प्रशासन भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है।”
लॉकडाउन से गरीबों की रोजी-रोटी पर आए संकट को देखते हुए मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार अब अप्रैल से जून तक का राशन भी नि:शुल्क देगी। आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए सरकार कुछ उद्योगों को काम शुरू करने की शर्तों के साथ छूट दे सकती है। दवा, खाद्य प्रसंस्करण, बेकरी, ईंट-भट्टे और निर्माण उद्योग के लिए रोडमैप तैयार किया जा चुका है।
ग्रामीणों का दावा है कि पुलिस ने समुदाय विशेष से कहा कि वे ₹2 लाख दे दें तो मामला रफा-दफा कर दिया जाएगा। ग्रामीणों को सूचना मिली कि अंत में ₹60,000 पर सब तय हुआ। पत्रकारों को पहले ही कह दिया गया था कि वो वीडियो कहीं नहीं भेजें।
मृत बच्चे के पिता का कहना है कि जहानाबाद सदर अस्पताल में डॉक्टरों ने रिशू को पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल रेफर कर दिया। लेकिन एंबुलेंस का कोई इंतजाम नहीं किया, जबकि अस्पताल में दो-तीन एंबुलेंस खड़ी थीं। लॉकडाउन के कारण वे खुद भी किसी निजी गाड़ी का इंतजाम नहीं कर पाए।
प्रवासियों की कठिनाई को देख कर 'मगध-मित्र' का सोशल मीडिया पर जन्म हुआ। इसका उद्देश्य राजनैतिक दलों की सीमाओं से उठ कर, जिस राज्य अथवा शहर में जिस किसी वालंटियर या स्वयंसेवक समूह का कार्यक्षेत्र हो, उससे वहाँ फँसे श्रमिकों तक सहायता पहुँचाना था।