कॉन्ग्रेस इस समय बड़े ही विचित्र ऊहापोह में फँसी दिख रही है। राहुल गाँधी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहते हैं। लेकिन कोई लेने को तैयार ही नहीं। इसी बीच राजस्थान में गुटबाजी और कर्नाटक में दल-बदल का संकट भी...
अधिकतर ट्विटर यूजर्स ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि ज़रूर ये भाजपा के ही लोग हैं, क्योंकि वे नहीं चाहते कि राहुल गाँधी कॉन्ग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दें। ट्विटर यूजर्स ने लिखा कि भाजपा तब तक जीत के प्रति आश्वस्त है, जब तक राहुल कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष हैं।
अपने शहर की बेरुखी और राज्य में कॉन्ग्रेस के ख़राब प्रदर्शन से नाराज़ बब्बर ने आलाकामन को अपना इस्तीफा भेज दिया। महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने भी प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है। अब तक 13 बड़े कॉन्ग्रेस नेता इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश से 22 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जिसमें से 21 उम्मीदवार ना सिर्फ चुनाव हारे, बल्कि उनकी जमानत भी जब्त हो गई। इन 21 उम्मीदवारों में कॉन्ग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद भी शामिल हैं।
"मैं महाराज सिंधिया से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हूँ। गुना-शिवपुरी सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार की वजह ईवीएम में गड़बड़ी भी हो सकती है।" इमरती देवी के बाद कई अन्य नेताओं ने भी बग़ावती तेवर दिखाए।
चुनाव में हार की समीक्षा करने के लिए बुलाई गई बैठक में राहुल गाँधी नेताओं के पुत्रमोह को लेकर जमकर भड़के। इस दौरान राहुल के निशाने पर मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम थे।
अशोक चव्हाण के नेतृत्व में राज्य का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य में कॉन्ग्रेस में सिर्फ 2 सीटें मिली थी, तो वहीं, इस बार के चुनाव में महज 1 सीट से ही संतोष करना पड़ा। अशोक चव्हाण खुद अपनी सीट भी नहीं बचा पाए।
देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम काफी भावुक हो गए। उन्होंने राहुल गाँधी से भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि वो अध्यक्ष पद न छोड़ें। अगर वो अध्यक्ष पद से इस्ताफा देंगे, तो दक्षिण भारत के कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता आत्महत्या कर लेंगे।
एक बार फिर कॉन्ग्रेस में वर्ष 2014 की ही तरह इस्तीफ़ा देने और अस्वीकार कर दिए जाने का शिष्टाचार निभाया गया है। कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी द्वारा कॉन्ग्रेस कार्यकारिणी समिति को इस्तीफ़ा को इस्तीफ़ा सौंपा गया और कमेटी द्वारा इसे नामंजूर कर दिया गया है।
दिग्विजय सिंह को भोपाल सीट से विजयी बनाने के लिए महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद ने कुल 5 क्विंटल मिर्च डालकर एक विशाल हवन किया था और वहीं प्रतिज्ञा ली थी कि अगर कॉन्ग्रेस ये सीट हारती है, तो वह इसी हवनकुण्ड में समाधि ले लेंगे।