नाराज़ कॉन्ग्रेस विधायक अब्दुल सत्तार ने अपने समर्थकों की मदद से कॉन्ग्रेस दफ़्तर की सारी कुर्सियाँ ही उठवा लीं। उन्होंने कॉन्ग्रेस कार्यालय से 300 के क़रीब कुर्सियों को गायब करा दिया। विधायक के इस रवैये के कारण कॉन्ग्रेस की बैठक राकांपा के दफ़्तर में हुई।
राहुल ने जब यह बोल दिया, और फिर कैलकुलेटर लेकर चिदम्बरम सरीखे जानकार लोग बैठे तो पता चला कि आलू से सोना भी बनने लगे, हर खेत में फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर, उसकी छतों पर भी खेती की जाए, फिर भी इतना पैसा पैदा करना नामुमकिन हो जाएगा।
होली और दीवाली में खोट खोज लेने वाले गैंग को अब आयुध पूजा से भी दिक्कत हो गई है। 28 वर्षीय तेजस्वी को सिर्फ़ इसीलिए बदनाम किया जा रहा है क्योंकि वो हिन्दू रीति-रिवाजों में विश्वास रखता है। आयुध पूजा दक्षिण भारतीय हिन्दू संस्कृति का एक प्रमुख हिस्सा है।
रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “हम साफ करना चाहते हैं कि ये टॉप स्कीम नहीं है, हर परिवार को 72,000 रुपया प्रतिवर्ष मिलेगा। लेकिन ये महिला केंद्रित स्कीम है। ये 72,000 रुपए कॉन्ग्रेस पार्टी घर की गृहणी के खाते में जमा करवाएगी।
इसमें कोई शक नहीं कि अच्छा हास्य-व्यंग्य सच्चाई के इतने करीब होता है कि कई बार दोनों में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी से लोकसभा चुनावों से ठीक पहले ऐसी 'गलती' हो, इसकी संभावना कम है। यह जानबूझकर किया गया मालूम होता है।
जिन परिवारों की आय 12,000 रुपए से कम है, उन्हें हर महीने 12,000 रुपए तक की आमदनी पर ले जाना है - शर्त यही है कि अगर उनकी पार्टी मतलब कॉन्ग्रेस लोकसभा चुनाव में जीतेगी, मतलब राहुल गाँधी पीएम बनेंगे, तभी यह वादा पूरा होगा।
भारतीय हितों के विरुद्ध पाकिस्तान और पाकिस्तान पोषित आतंकवाद के पक्ष में बैटिंग करना यह सोचने पर विवश करती है कि कॉन्ग्रेस ऐसा अनजाने में नहीं, बल्कि सोची-समझी रणनीति के तहत नेहरू की नीति का अनुसरण करते हुए करती है।
कॉन्ग्रेस की चिड़चिड़ाहट का कारण केवल और केवल पीएम मोदी हैं। यह चिड़चिड़ाहट और बौखलाहट किसी न किसी रूप में सामने आती रहती है। इस बार यह झुंझलाहट पी चिदंबरम के रूप में सामने है।
"मेरी कॉन्ग्रेस में जाने की कोई इच्छा नहीं है। मैं कॉन्ग्रेस के लिए प्रचार नहीं करुँगी और मेरी राज बब्बर से कोई मुलाकात नहीं हुई है। मीडिया में जो तस्वीरें चल रही हैं, वो बहुत पुरानी हैं।"
रचनात्मकता की सभी हदें पार करते हुए राहुल गाँधी की इस पारिवारिक पार्टी के सदस्यों को उनसे ये रिक्वेस्ट करते हुए भी दिखाया गया है कि राहुल गाँधी को इस बार अमेठी नहीं, बल्कि केरल की किसी सीट से चुनाव लड़ना चाहिए।