सियासत में कूदने से पहले ही प्रभुनाथ का आस्तीन दाग़दार हो चुका था। 1980 में मशरक के विधायक रामदेव सिंह की हत्या हुई थी और आरोप लगा था प्रभुनाथ सिंह पर।
उन्हें जम कर भाजपा का डर दिखाया। इससे वो मुस्लिमों के मसीहा भी बने रहे और यादवों का वोट भी उन्हें मिलता रहा। इस तरह उन्होंने MY समीकरण बना कर राज किया।
अगस्त 12-13, 1992 का दिन। गया जिला का बारा गाँव। माओवादियों ने इलाके को घेरा और 'भूमिहार' जाति के 35 लोग घर से निकाले गए। पास में एक नहर के पास ले जाकर उनके हाथ बाँधे गए और सबका गला रेत कर मार डाला गया। लालू राज में जाति के नाम पर ऐसी न जाने कितनी घटनाएँ हुईं।
चरवाहा स्कूल को चलाने की जिम्मेदारी कृषि, सिंचाई, उद्योग, पशु पालन, ग्रामीण विकास और शिक्षा विभाग को दी गई थी। लालू ने एक तरह से बच्चों पर ज़िंदगी भर के लिए 'चरवाहा' का टैग लगा दिया।
बिहार की राजनीति में सक्रिय ऐसे ही माफियाओं की फेहरिस्त में एक नाम राजन तिवारी का भी है। राजन तिवारी ऐसे बाहुबली हैं, जिनका दबदबा दो राज्यों यूपी और बिहार दोनों जगह रहा है।