"कांग्रेस दिशाहीन पार्टी है। यहॉं कोई नेतृत्व नहीं है, कोई सोच नहीं है। मैं भाजपा से अलग नहीं हुआ था। मैं मैहर को जिला बनाने के लिए सीएम कमलनाथ से संपर्क में था। मैं भाजपा का था और भाजपा में ही रहूँगा।"
सड़कों के मामले में कॉन्ग्रेसी सरकारों का रिकॉर्ड संदेह ही पैदा करता है। वादे के लालू की तरह छलावा साबित होने की आशंका ज्यादा है। मध्य प्रदेश में जब दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में 10 साल कॉन्ग्रेस सत्ता में रही थी तो सड़क और गड्ढों का फर्क मिट गया था।
सिंधिया ने अब राज्य सरकार की ट्रांसफर और पोस्टिंग पर सवाल उठाए हैं। सरकार पर तंज कसते हुए कहा, “ट्रांसफर- पोस्टिंग का क्या हाल है वो तो सब जानते ही हैं। मैं आपसे ये कहूँगा कि आप काम पर ध्यान दें।”
जीएम डामोर के सांसद चुने जाने के कारण उपचुनाव हो रहा है। इससे पहले जून में विजयवर्गीय ने कहा था कि कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुरेश पचौरी ने उनसे कमलनाथ सरकार को गिराने के लिए सम्पर्क किया था।
मृतका के पिता के मुताबिक 20 अगस्त को उस्मान की अम्मी मुन्नी ने धमकी देते हुए कहा था कि राजीनामा नहीं किया तो जान से मार देंगे। पुलिस ने उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। आत्महत्या से पहले भी मुन्नी ने पीड़िता को धमकी दी थी।
चुनाव के दौरान राहुल गॉंधी ने अडानी को एक रुपए प्रति मीटर की दर से 35 हजार एकड़ जमीन देने का आरोप मोदी पर लगाया था। अब उन्हीं अडानी को लुभाने के जतन में कॉन्ग्रेस सरकार लगी है।
ज्योतिरादित्य की गिनती भी उन नेताओं में होती है जो राहुल के करीबी रहे हैं। तो क्या अगली बारी उनकी ही है? जिस दौर में नेताओं को निष्ठा बदलने में पल भर की देरी नहीं लगती है, उस वक़्त में ज्योतिरादित्य के लिए तो यह दादी के घर वापसी जैसा ही होगा।
इन ट्वीट्स के बाद सोशल मीडिया में लोग मध्य प्रदेश की राजनीति पर चुटकी लेने से नहीं चूके। लोगों का कहना है कि दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच ही एक-दूसरे को गलत दिखाने की होड़ लगी हुई है।