Friday, November 22, 2024

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लिंगलहरी कन्हैया को फ़ोर्ब्स ने 20 प्रभावशाली व्यक्तियों में किया शामिल, गिराई अपनी साख

कन्हैया को 22% वोट मिले, इसीलिए वो सूची में हैं। वो 34% वोट से हारे, ये क्यों छिपाया गया? फोर्ब्स की सूची में 8 भारतीयों में से 5 ऐसे हैं, जो पीएम मोदी के आलोचक हैं। इस सूची को किस आधार पर तैयार किया गया है, फोर्ब्स ने नहीं बताया। जो भी मोदी के ख़िलाफ़ बोले, ब्रांडिंग कर दो।

उस रात लुटियन मीडिया होती तो हत्या खबर न होती, सरदार की गालियों पर प्राइम टाइम होता

JNU उपद्रव के बाद मीडिया द्वारा खुद को विक्टिम दिखाना। पुलिस-प्रशासन को विलेन बता, सोशल मीडिया पर लिखना। अगर यही सारे पत्रकार नक्सलियों द्वारा गला रेत लाश टाँगने की रिपोर्टिंग करने गए होते तो खबर गायब हो जाती और प्राइम टाइम होता अर्द्धसैनिक बल वाले सरदार की गाली और रिपोर्टरों की चाशनी में लिपटे प्रोपेगेंडा पर।

न्यूजलॉन्ड्री और अजेंडाबाज अभिनंदन: हीनभाव से ग्रस्त, नक्सल हिमायती जो साइट से हिन्दूघृणा बाँटता है

न्यूजलॉन्ड्री के एक पूर्व कर्मचारी ने CEO अभिनंदन सेखरी के बारे में कहा कि हिन्दुओं पर हुए अपराधों को दबाना, मुसलमानों पर हुए अपराधों में 'हिन्दू कनेक्शन' निकालना, सहकर्मियों को गाली देना, चिल्लाना और आम आदमी पार्टी के लिए अजेंडा चलाना, सेखरी का SoP है।

बिग BC के इक़बाल अहमद, पत्रकार की तरह लिखो, मजहबी मत बनो, चीजें बेहतर दिखेंगी

IIT, फैज, CAA, मोदी-शाह विरोध... मतलब गिरोह विशेष के लिए फेक न्यूज फैलाने का भरपूर मसाला। ऐसे में सिर्फ BBC ही इसमें क्यों आगे रहे! मीडिया के तमाम बड़े नामों ने 'फैज की नज्म हिंदू विरोधी' के टाइटल से खबर चलाई। किसी ने भी सच जानने की कोशिश नहीं की।

ऑपइंडिया टॉप 10: साल भर की वो खबरें जो सबसे ज्यादा पढ़ी गईं, जिसे वामपंथियों ने छुपाया

वर्ष 2019 जाने वाला है और इसी के साथ ऑपइंडिया हिन्दी के भी एक साल पूरे हो रहे हैं। इस साल राजनीति और समाज से ले कर न्यायपालिका और मीडिया से जुड़ी कई ऐसी खबरें थीं, जिन्हें पाठकों ने खूब पढ़ा और पसंद किया। 2020 में हम और भी उत्साह से बने रहेंगे आपके साथ।

पाकिस्तान परस्त दंगाइयों को जब SP ने समझाया, तो NDTV ने उसे ‘मुस्लिमों को धमकाया’ कह कर दिखाया

फैज की "हम देखेंगे... बस नाम रहेगा अल्लाह का" वाले पर इसी मीडिया गिरोह ने संदर्भ की बात करते हुए लेख पर लेख दे मारे। तो क्या दंगे-आगजनी की जगह पुलिस के निर्णय संदर्भ से परे हो जाते हैं? उसकी व्याख्या क्यों नहीं! क्योंकि ये आपके नैरेटिव को सूट नहीं करता।

देशी कट्टे से पुलिस पर गोली चला कर होती है UPSC की तैयारी! अपने ‘शहीद दंगाई हीरो’ के बचाव में मीडिया

मोहित की जान की क़ीमत नहीं है क्योंकि वो 'योगी की पुलिस' का हिस्सा हैं। वहीं सुलेमान UPSC की तैयारी करने वाला एक 'आदर्श' छात्र है, जो किसी क़ानून के पारित होने के बाद उसे पढ़ कर नोट्स नहीं बनाता बल्कि देशी कट्टा लहराते हुए आगजनी करने निकल पड़ता है। मीडिया का हीरो कौन?

कहानी एक अब्दुल की जिसे टीवी एंकर दंगाई बनाता है… उसकी मौत से फायदा किसको?

अब्दुल गिर जाता है, उसकी आँखों के सामने स्कूल जाती रजिया का चेहरा घूमता है, उसके माता-पिता की तस्वीर नाचती है, उसकी आँख बंद होने लगती है, लोग उसके ऊपर लात रख कर भाग रहे होते हैं। भीड़ छँटने के बाद अब्दुल मरा हुआ पाया जाता है।

नाखून कटा के शहीद बन रहा था हिन्दू-विरोधी IPS अब्दुर रहमान, लोगों ने खोली पोल

IPS अब्दुर रहमान पर पुलिस भर्ती के दौरान फर्जीवाड़े का आरोप है। महाराष्ट्र सरकार ने जाँच के आदेश दिए थे। 2007 की पुलिस भर्ती परीक्षा में मराठी में लिखना अनिवार्य था, लेकिन अब्दुर रहमान ने 'विशेष समुदाय' के लोगों को उर्दू में लिखने की अनुमति दी थी। साथ ही महिला अभ्यार्थियों का कोटा होने के बावजूद भी उनकी भर्ती नहीं की थी।

नागरिकता विधेयक पर ही BJP को मिली दोबारा सत्ता, बिना घोषणापत्र पढ़े ही शेखर गुप्ता फैला रहे झूठ-भ्रम

शेखर गुप्ता ने दावा किया कि नागरिकता संशोधन विधेयक वह नहीं है, जिसके लिए भाजपा को वोट दिया गया था। जबकि थोड़ा सा गूगल कर लेते तो उनके जैसे 'वरिष्ठ' पत्रकार को लोकसभा चुनाव 2019 में BJP का घोषणापत्र मिल जाता, जिसमें साफ-साफ लिखा है कि...

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