Friday, November 29, 2024

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राजदीप भी पलट गए? विपक्ष के EVM दावे को फ़रेब कहा… एट टू राजदीप?

राजदीप ने यहाँ तक कहा कि मोदी के यहाँ से चुनाव लड़ने की वजह से वाराणसी की सीट VVIP संसदीय सीट में बदल चुकी है। जिसका असर वहाँ पर हो रहे परिवर्तन के रूप में देखा जा सकता है।

साला ये दुःख काहे खतम नहीं होता है बे!

जो लोग रवीश की पिछले पाँच साल की पत्रकारिता टीवी और सोशल मीडिया पर देख रहे हैं, वो भी यह बात आसानी से मान लेंगे कि रवीश जी को पत्रकारिता के कॉलेजों को सिलेबस में केस स्टडी के तौर पर पढ़ाया जाना चाहिए।

Google से नहीं, पहले इतिहास पढ़ो तब बहस किया करो: आशुतोष को TV डिबेट में इतिहासकार की राय

आशुतोष को जज्बातों में बहता देखरक एंकर ने कहा, “मैं उस सोच की बात कर रहा, जो कत्ल करती है। चाहे वह सोच राजस्थान के शंभू रैगर की हो या दिल्ली में सिखों की हत्या की हो।” इस पर आशुतोष ने कहा, “जिनकी वो सोच है, वो श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1942 में चिट्ठी लिखते हैं, भारत छोड़ो आंदोलन को कुचल दिया जाए।”

राहुल ने स्वीकारा कि कुछ पत्रकार ‘उनके साइड के हैं’ जो मोदी से कड़े सवाल पूछते हैं

राहुल के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर यह बहस छिड़ गई कि देखिए कॉन्ग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी खुद स्वीकार रहे हैं कि पार्टी के 'पाले हुए' कुछ पत्रकार है जो कॉन्ग्रेस के लिए काम करते हैं।

BJP की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पत्रकारिता के ‘नाराज फूफा’ गायब

नरेंद्र मोदी से सवाल पूछने की प्रबल इच्छा रखकर महागठबंधन की रैली से लेकर चार्टर प्लेन में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ घूमने वाले NDTV के वरिष्ठ पत्रकार कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। विगत 4-5 सालों में देखने को मिला है कि अक्सर यह पत्रकार, शादी-बरात में नाराज फूफा की तरह ही मीडिया और प्राइम टाइम में नजर आते रहे हैं।

एडिटर्स गिल्ड की चुप्पी: लाख गाली खा लें, लेकिन चाटेंगे उन्हीं के… तलवे

चाहे बात रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों पर हमले की हो, या मणिशंकर 'नीच' अय्यर जैसे व्यक्ति द्वारा पत्रकार को 'फ़क ऑफ़' कहने की, गुप्ता जी के लड़के के एडिटर्स गिल्ड को साँप सूँघ जाता है। इसलिए कि ‘दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है।’

‘मस्जिद बन्दर’ = बंदरों की मस्जिद: मोदी का मजाक उड़ाने वाली गालीबाज ट्रोल स्वाति चतुर्वेदी की समझ

गालीबाज ट्रोल ने इस एडिटेड वीडियो से एक बार फिर अपनी बकलोली का परिचय दिया है। वैसे भी अभी फेक न्यूज़ का धंधा मंदा चल रहा है तो ऐसे एडिटेड वीडियो पर अपनी बकलोली को डिफेंड करके अपनी काल्पनिक 'निष्पक्ष' पत्रकारिता का प्रमाण दे रही है।

स्क्रॉल डॉट इन: यहाँ मोदी-विरोध की खबरों का पंक्चर ठीक किया जाता है

जब ट्वॉयलेट पेपर खत्म हो जाता है तो आप ढूँढते हैं कि वो कहाँ रखा हुआ है। इसी क्रम में जब स्क्रॉल वेबसाइट पर यह देखने पहुँचा कि क्या इन्होंने ममता बनर्जी के बंगाल में हो रहे चुनावी हिंसा पर कुछ लिखा है? तो, कुछ नहीं मिला।

‘फैक्ट-चेकर’ ने छिपाया फैक्ट, मीडिया गिरोह ने फैलाया झूठ: मोदी इंटरव्यू पर प्रतीक सिन्हा की ‘नंगई’

आदरणीय(?) प्रतीक सिन्हा जी, इंटरव्यू ऐसे ही होता है- यही नियम है इंटरव्यू का कि कोई भी औड़म-बौड़म सवाल झटके में नहीं पूछा जा सकता। पत्रकारिता के समुदाय विशेष को “ब्रेकिंग न्यूज़” का माल मत परोसिए। यहाँ सबकी पोल-पट्टी खोली जाएगी।

जब राजीव गाँधी ने INS विराट की स्टोरी दबाने के लिए मीडिया का गला घोंटने की ठानी थी

निरूपमा सुब्रह्मण्यन द्वारा इंडियन एक्सप्रेस में लिखे गए लेख की हेडलाइन ही स्पष्ट करती है कि प्रधानमंत्री मोदी आईएनएस विराट पर बात करके हमारे समक्ष सवाल छोड़े हैं ताकि हम पूछें कि वास्तव में अपने पद की शक्तियों का दुरुपयोग किसने किया है?

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