Sunday, May 19, 2024

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पत्रकारिता के (अ)नैतिक प्रतिमान सिद्धार्थ वरदराजन से और उम्मीद भी क्या है

हर खबर में इन्हें ‘एंगल’ ही यह दिखता है कि कैसे मोदी को गरियाने मिल जाए। यही इनका पत्रकारिता का (अ)धर्म है, यही इनकी (अ)नैतिक जिम्मेदारी है।

मोदी का चेहरा अच्‍छा नहीं था, इसलिए पत्‍नी ने छोड़ा: कॉन्ग्रेस MLA जमीर अहमद खान

जमीर अहमद खान ने कहा ने मोदी का चेहरा अच्छा नहीं था, इसीलिए पत्नी ने त्याग दिया। ऐसे चेहरे पर वोट देना चाहिए क्या लोगों को?

सागरिका जी, बता तो देतीं कि भारत में ‘अफ़्रीकी तानाशाह’ कौन है?

आपके आका सचमुच में इस सरकार की सही वाली कुछ खामियों की बात कर लेते तो मोदी को हराने के लिए ही आपको अफ्रीका से निंदा भी ‘इम्पोर्टेड’ न इस्तेमाल करनी पड़ती।

एक बेकार, नकारा विपक्ष लोकतंत्र को बर्बाद करने की क्षमता रखता है

राजनैतिक मजबूरियों का कवच पहनकर किसी के पाप नहीं धुलते। अगर किसी प्रधानमंत्री के शासनकाल में घोटाले हुए, समझौतों में देश की सुरक्षा को नकारा गया, तो वो प्रधानमंत्री साक्षात दशरथपुत्र रामचंद्र ही क्यों न हों, पाप के भागीदार वो भी हैं।

सेना का राजनीतिकरण मोदी कर रहा है या विपक्ष? इस वैचारिक जंग में पुराने क़ायदों को तोड़ना ज़रूरी है

रैलियों में यह बोला जाएगा, बार-बार बोला जाएगा क्योंकि हाँ, भारत के नागरिकों को पहली बार महसूस हो रहा है कि पाकिस्तान या बाहरी आतंकी मनमर्ज़ी से हमला कर के भाग नहीं सकते। यह सरकार उनकी सीमाओं को लाँघ कर निपटाएगी, बार-बार।

प्रिय चुनाव आयोग, ये हो क्या रहा है?

टीवी चैनलों के एंकर जो कर रहे हैं, क्या वो प्रोपेगेंडा नहीं है। हर रात चालीस मिनट तक सरकार की हर योजना को बेकार बताना भी प्रोपेगेंडा ही है। आखिर चुनाव आयोग इसके लेवल प्लेइंग फ़ील्ड का निर्धारण करेगा कैसे? क्या मीडिया संस्थानों के लिए कोई तय क़ायदा है जहाँ चुनाव आयोग सुनिश्चित कर सके कि इतने मिनट इस पार्टी की रैली, और इतने मिनट इस पार्टी की रैली कवर की जाएगी?

मोदी की सारी रैलियों पर रोक, चुनावों तक जलदस्यु बन कर रहें: EC और SC

पहले विवेक ओबरॉय अभिनीत मोदी फिल्म पर रोक लगवाने के बाद विपक्षी दलों को यह तर्क सूझा कि अगर फिल्म पर रोक लगवाई जा सकती है, तो फिर आदमी पर क्यों नहीं। इसके तुरंत बाद ही गिरोह सक्रिय हो उठा।

काँचा इलैया जी, धूर्तता से सने शब्दों में आपका ब्राह्मण-विरोधी रेसिज़्म निखर कर सामने आता है

काँचा इलैया जैसे NGO-वादी, victimology पर आधारित मुफ़्त की रोटी तोड़ने वाले एक-दो साल के लिए शांत हो जाएँ, जातिवाद प्राकृतिक मौत मर जाएगा।

वैक्सिंग है मोदी की ‘चमक’ का राज़, हम तो मुँह धोकर चले आते हैं: कुमारस्वामी

इससे पहले अल्पेश ठाकोर ने भी मोदी के चेहरे की चमक पर हमला बोला था, और दावा किया था कि ₹4,00,000 के 5 मशरूम रोजाना खाते हैं।

A-SAT पर कॉन्ग्रेस में प्राथमिक ज्ञान का अभाव, ऐसे टेस्ट से पहले लंबी ग्लोबल प्लानिंग की ज़रूरत: PM

पीएम मोदी ने 'मिशन शक्ति' को लेकर विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कोई भी परीक्षण बस ऐसे ही नहीं हो जाता, इसके लिए एक लंबी प्रक्रिया होती है।

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