हादसे के बाद पीड़िता के चाचा महेश सिंह ने एक्सीडेंट के मामले में बीजेपी से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत अन्य के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया था। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को सेंगर के ख़िलाफ़ रेप के मामले में आरोप तय किए थे।
एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में सभी मामले उत्तर प्रदेश से दिल्ली की सीबीआई अदालत को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। 8 अगस्त को सीबीआई ने अदालत में बताया कि विधायक सेंगर के खिलाफ नाबालिग से रेप के पुख्ता सबूत हैं।
19 जून की देर रात बच्ची के साथ बलात्कार और फिर उसकी हत्या। 24 जुलाई को कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई। मात्र 6 कामकाजी दिनों (छुट्टियों को छोड़कर) के भीतर गवाहों गवाही ली गई। 8 अगस्त 2019 को दोषी को मौत की सजा सुनाई गई।
‘‘कॉलेज के चिकित्सकों का दल पीड़िता और उसके वकील का इलाज करने में पूरी तरह से समर्थ है और केजीएमयू के सबसे अच्छे डॉक्टरों की टीम दोनों का इलाज कर रही है।’’ रोगियों के परिजन की भी यही इच्छा है कि दोनों का इलाज लखनऊ में ही कराया जाए।
रिंकू शुक्ला के मुताबिक़, "यह मेरी आदत है। मैंने उन्हें (पुलिसकर्मी) चाय पीने के लिए पैसे दिए होंगे क्योंकि वह वहाँ खड़ा था। मेरा इरादा उन्हें रिश्वत देने का नहीं था। मैं 10-15 दिन पहले जेल के अंदर सेंगर से मिल चुका हूँ।"
अतिरिक्त सरकारी वकील (APP) सुभाष प्रसाद ने बताया कि चूँकि आरोपित नाबालिग है, इसलिए फिलहाल उसे जेल में न रखकर 21 साल की आयु तक सुरक्षा गृह में रखा जाएगा।
ब्यूटी पार्लर में नौकरी के लिए रोज ऑटो से आती-जाती। इसी दौरान ऑटो ड्राइवर 'अमन' से हुई दोस्ती। 'अमन' के साथ कई बार मंदिर भी गई। 'अमन' हाथ में कलावा बाँधता था, कड़ा पहनता था। एक दिन अचानक से पता चला कि वो हिन्दू नहीं बल्कि मुस्लिम है और उसका अमन नहीं बल्कि ख़ालिद है।
वकील मनोज शर्मा के मुताबिक लड़की के परिजनों ने पुलिस से शिकायत की थी। लेकिन, पुलिस ने अपहरण की बजाए गुमशुदगी का मामला दर्ज किया। साथ ही शिकायत में लड़की उम्र 19 साल दर्ज कर दी।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को बाल दुष्कर्म के मामलों की जानकारी देते हुए बताया गया था कि इस प्रकार के मामलों के निपटाने की दर महज नौ फीसदी ही है। और यह हालात पोक्सो कानून लागू होने के सात साल बाद की है।
उन्नाव बलात्कार मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए कहा कि इससे संबंधित सभी केस दिल्ली ट्रांसफर हों। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कोर्ट में CBI के ऑफ़िसर को उपस्थित रहने के लिए भी कहा, जो इस बात की जानकारी देंगे कि इस मामले की जाँच में अब तक क्या हुआ।