जलील शेख पत्नी फातिमा को वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर कर रहा था। मना करने पर जलील ने 5 अगस्त को उसकी हत्या कर दी। शव को कंबल में लपेट प्लास्टिक की थैली में रख 'बारात घर' के पास फेंक दिया। इसके बाद वह पश्चिम बंगाल भाग गया।
देहरादून के एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया, "अब्दुल शकूर की हत्या की मुख्य वजह सैकड़ों करोड़ की क्रिप्टोकरंसी थी। सभी आरोपी शकूर की टीम के सदस्य थे। उन्होंने शकूर को मारने से पहले प्रेम नगर इलाके के एक घर में उसे यातनाएँ दी थीं।"
पुलिस ने मामले की जाँच के लिए दो टीमें गठित कर दीं हैं, लेकिन उनका कहना है कि अगर हत्या की जानकारी जल्दी मिल जाती तो हत्यारों को जल्दी गिरफ्तार करना आसान होता।
ओवैस ने मोबाइल की लीड को पैकिंग से निकाल लिया था, जिसके बाद दुकानदार ने लीड वापस लेने से मना कर दिया। दुकानदार ने कहा कि सामान खोल दिया है और अब इसे वापस नहीं लेंगे। लेकिन कारी सामान वापस करने पर अड़ा हुआ था। इसी बात को लेकर दोनों के बीच झगड़ा हो गया।
जब्त की गई संपत्ति का स्वामित्व ब्राइट स्टार होटल प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर है, जिसमें 34% शेयर अन्य कंपनी के नाम हैं, जो ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड (BVI) में रजिस्टर्ड है। यह कंपनी संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से संचालित होती है।
बिहार के रक्सौल में एक सिंडिकेट इसी काम में लगा था। आलम 5 साल से इस धंधे में लगा है। 2016 में नोटबंदी के बाद जाली नोटों के कारोबार पर रोक लगी थी। लेकिन, बीते एक साल में फिर से इस धंधे में तेजी दिख रही है।
निक़ाह के समय दहेज के रूप में 10 लाख रुपए दहेज के तौर पर दिए थे। लेकिन, चाँद बी द्वारा एक बेटी को जन्म दिए जाने के बाद ससुराल वालों ने उसके घर से और 5 लाख रुपए की माँग की। रहमान ने इस राशि के भुगतान से इनकार कर दिया। इसके बाद उसकी बेटी के साथ ससुराल वालों ने मार-पिटाई शुरू कर दी।
पुलिस अधिकारी इस शर्मनाक कृत्य को अंजाम देने वाले लोगों के बारे में जानकारी साझा करने से बच रही है। पुलिस का कहना है कि सभी ऐंगल से जॉंच जारी है। बताया जाता है कि कालिख पोतने वालों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारे भी लगाए थे।
रात को करीब 12:30 बजे एक दर्जन से ज्यादा युवक मुन्नूलाल के घर पहुँचे। उनके बेटे सुमित ने जैसे ही दरवाजा खोला युवकों ने हमला बोल दिया। बचाव में आए मुन्नूलाल और उनके छोटे बेटे सचिन को भी युवकों ने पीटा और फरार हो गए।
इन पत्रकारों के द्वारा निशाने पर लिए गए अधिकारियों के ख़िलाफ़ कंटेंट्स को व्हाट्सप्प और फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर फैलाया जाता था। एफआईआर में दर्ज किया गया है कि इन्होने 'अभिव्यक्ति की आज़ादी' का ग़लत फायदा उठाते हुए आधारहीन ख़बरें चलाईं।