कमाल की बात यह है कि बीते सोमवार को चोर मूर्ति को चुराकर ले गया था और शुक्रवार को दोपहर में खुद ही भागा-भागा मूर्ति लौटाने मंदिर पहुँच गया। उसकी पूरी कहानी बेहद दिलचस्प है
माँ दुर्गा और भगवान श्रीराम के भक्तों को अलग-अलग देखते हुए क्षेत्र और श्रद्धा के नाम पर उन्हें लड़ने की कोशिश में लगे नंदी क्या यह नहीं जानते कि बंगाली रामायण के लेखक ने दुर्गा पूजा को बंगाल के घर-घर तक पहुँचाया? कृत्तिवासी ओझा के बारे में नहीं पता?