Sunday, December 22, 2024
Homeदेश-समाजजिनके पूर्वजों ने किया था शिवाजी महाराज का राजतिलक, वे अयोध्या के भव्य राम...

जिनके पूर्वजों ने किया था शिवाजी महाराज का राजतिलक, वे अयोध्या के भव्य राम मंदिर में कराएँगे रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा: PM मोदी भी बनेंगे साक्षी

अयोध्या के श्रीराम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को रामलला का प्राण-प्रतिष्ठा होगा। इसके लिए तैयारियाँ जोरों-शोरों से हो रही हैं। इस अवसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहेंगे। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 86 साल के पंडित लक्ष्मीकांत मथुरानाथ दीक्षित कराएँगे।

अयोध्या के श्रीराम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को रामलला का प्राण-प्रतिष्ठा होगा। इसके लिए तैयारियाँ जोरों-शोरों से हो रही हैं। इस अवसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहेंगे। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 86 साल के पंडित लक्ष्मीकांत मथुरानाथ दीक्षित कराएँगे। बता दें कि जब महाराष्ट्र के ब्राह्मणों ने छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक करने से मना कर दिया था, तब पंडित दीक्षित के पूर्वजों ने उनका राजतिलक किया था।

पंडित लक्ष्मीकांत मथुरानाथ दीक्षित का छत्रपति शिवाजी महाराज से गहरा नाता है। शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक पंडित गागा भट्ट ने किया था। पंडित लक्ष्मीकांत मथुरानाथ दीक्षित 17वीं शताब्दी के उन्हीं गंग भट्ट उर्फ गागा भट्ट के वंशज हैं। अब ये राम मंदिर में रामलला का प्राण-प्रतिष्ठा वैदिक रीति-रिवाज से कराएँगे।

गंग भट्ट का परिवार सदियों पुरानी परंपराओं और वैदिक अनुष्ठान का ज्ञाता है। उनकी वंशावली में इसका प्रमाण मिला है। मथुरानाथ दीक्षित के मुताबिक, उनका परिवार महाराष्ट्र के सोलापुर का रहने वाला है। बाद में यह परिवार उत्तर प्रदेश के काशी (वर्तमान में वाराणसी) में स्थानांतरित हो गया था।

पंडित लक्ष्मीकांत के बेटे सुनील लक्ष्मीकांत दीक्षित के अनुसार, उनका परिवार महाराष्ट्र के सोलापुर के जेउर गाँव से है। उनके पूर्वज काशी जाकर बस गए थे और वहाँ जाकर उन्होंने हिन्दू परंपराओं और अनुष्ठानों को जीवन समर्पित कर दिया। सुनील के अनुसार, उनके पिता श्रोता, स्मार्ता, यज्ञ, अभिषेक और अन्य अनुष्ठान कराने के विशेषज्ञ हैं।

सुनील लक्ष्मीकांत दीक्षित बताते हैं कि उनके पिता पंडित लक्ष्मीकांत मथुरानाथ दीक्षित ने वेदों और अनुष्ठानों का ज्ञान अपने चाचा गणेश दीक्षित जावजी भट्ट से लिया है। उनके पिता संगवेद विद्यालय में शुक्ल यजुर्वेद में पढ़ाई की और उसी संस्थान में अध्यापन का कार्य भी किया। अब उनकी उम्र 86 वर्ष है।

रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा के लिए पंडित लक्ष्मीकांत और 121 अन्य विद्वान अनुष्ठान कराएँगे। इनमें से 40 से ज्यादा विद्वान काशी के हैं। वहीं, पंडित लक्ष्मीकांत ने रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा कराने का मौका मिलने पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि काशी के महान साधु-संतों के आशीर्वाद के कारण उन्हें यह जिम्मेदारी मिली है और इसका वह निर्वहन करेंगे।

शिवाजी महाराज का कराया था राजतिलक

बता दें कि आज से 344 साल पहले 6 जून 1674 को शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था। भवन सिंह राणा ने अपनी किताब में लिखा है कि जब शिवाजी महाराज को राजतिलक करने की बारी आई तो स्थानीय ब्राह्मणों ने यह कहते हुए राज्याभिषेक करने से मना कर दिया कि वे क्षत्रिय कुल से नहीं आते हैं। ब्राह्मणों का कहना था कि शिवाजी महाराज कुर्मी जाति से आते हैं और राजा बनने का अधिकार सिर्फ क्षत्रियों को है।

हालाँकि, उस दौरान शिवाजी महाराज ने कहा था कि उनका परिवार राजस्थान के सिसोदिया से रक्त संबंध रखता है, लेकिन स्थानीय ब्राह्मण मानने को तैयार नहीं थे। बाद में शिवाजी महाराज ने एक दल महाराणा प्रताप के के राजपरिवार से मिलने के लिए उदयपुर भेजा। उन्होंने भी स्वीकार किया कि शिवाजी महाराज उनके खानदान से संबंध रखते हैं।

बाद में उदयपुर राजपरिवार के सलाह पर उस दल को काशी के मशहूर गंग भट्ट परिवार के भेजा और उन्होंने शिवाजी महाराज का राजतिलक करने को तैयार हुए। उन्होंने महाराष्ट्र पहुँचकर स्थानीय ब्राह्मणों के विरोध के बावजूद शिवाजी महाराज का राजतिलक किया। शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक पूरे वैदिक रीति-रिवाज़ों से हुआ।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -