ISIS के सरगना अबु बकर अल बगदादी की मौत का श्रेय अभी तक जहाँ अमेरिका को दिया जा रहा था, वहीं इसी बीच एक तथाकथित बुद्धिजीवी शाहिद सिद्दीकी ने कहा है कि बगदादी को अमेरिका ने नहीं मारा बल्कि उसे और उसकी विचारधारा को मुस्लिमों ने मारा है।
शाहिद सिद्दीकी ने अपने ट्विटर पर लिखा, “बगदादी मरा क्योंकि पूरे विश्व के मुस्लिमों ने उसे खारिज कर दिया था और उसकी जहरीली मानसिकता के ख़िलाफ़ लड़ाई की थी। उसने अपनी राजनीति साधने के लिए इस्लाम पर कब्जा कर लिया था, वो 21वीं सदी में इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन था। अमेरिका ने उसे नहीं मारा बल्कि ये मुस्लिम हैं, जिन्होंने उसे नकारा एवं उसकी विचारधारा को मारा।“
Baghdadi died because Muslims all over the world rejected & fought his toxic ideology. He had hijacked Islam to suit his politics & was the biggest enemy of Islam in 21st century. It’s not Americans but Muslims who rejected & killed his ideology.
— shahid siddiqui (@shahid_siddiqui) October 30, 2019
हालाँकि, अपने ट्वीट में शाहिद बगदादी और उसकी विचारधारा के ख़िलाफ़ स्पष्ट नजर आए, लेकिन फिर भी उनकी बातों में विरोधाभास दिखाई दिया। क्योंकि पहली बात तो बगदादी की विचारधार का अभी तक अंत नहीं हुआ है और न ही वो आतंकवादी संगठन अभी समाप्त हुआ है, जिसका वो नेतृत्व करता था। इसलिए ये घोषित करना बहुत जल्दबाजी होगी कि बगदादी को किसने मारा।
इसके बाद उनके ट्वीट में बताया गया कि पूरे विश्व के सभी मुस्लिमों ने उसे और उसकी जहरीली विचारधारा को नकारा… जबकि साल 2015 के PEW के सर्वे को देखा जाए तो पता चलता है कि सीरिया के 21% लोग जो ISIS को सपोर्ट करते हैं, उसके अलावा लिबिया के 7%, नाइजिरिया के 14%, ट्यूनिशिया के 13%, मलेशिया के 11% और पाकिस्तान के 9% लोग भी ISIS को समर्थन करते हैं। इसका मतलब है कि पूरे विश्व में अच्छी-खासी तादाद में ऐसे मुस्लिम हैं, जिन्हें ISIS की विचारधारा से फर्क पड़ता है।
इसके अलावा ये समझने वाली चीज है कि ISIS केवल कट्टरपंथी इस्लाम का चेहरा नहीं है, बल्कि ये कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद का एक चेहरा है। जिसके आधार पर तालिबान, अलकायदा, बोको हराम, अल शबाब जैसे संगठन भी उपजे हैं। ये सभी अलग-अलग देशों में सक्रिय हैं और खूँखार रूप ले चुके हैं। इसलिए सिद्दीकी का ये तर्क कि सभी मुस्लिमों ने बगदादी की विचारधारा को नकारा इसलिए वो मरा… ये पूर्ण रूप से गलत है।
इस ट्वीट के कारण सोशल मीडिया पर यूजर्स सिद्दीकी का काफी मजाक उड़ा रहे हैं। लोगों का पूछना है कि वे एक ओर नई दुनिया उर्दू (शाहिद सिद्दीकी नई दुनिया उर्दू के चीफ एडिटर हैं) के जरिए बगदादी के प्रति अपनी संवेदना प्रकट कर रहे हैं और अंग्रेजी पाठकों को दर्शाने के लिए कुछ और ही बोल रहे हैं।
Really Shahid Bhai? You sounded very sympathetic to #AbuBakrAlBaghdadi in Nayi Duniya Urdu over the past so many years. A different presentation to your English audience? By the way, when did Islam not support Takfiri ideology? https://t.co/hv04W6mQTz
— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) October 30, 2019
एक यूजर ने कहा कि जिस तरह से सिद्दीकि अपने तर्क दे रहे हैं, उसके अनुसार तो हाफिज सईद और मसूद अजहर का समर्थन करते हैं, क्योंकि वे तो अभी तक जिंदा हैं।
Going by his logic, Muslims support Hafiz Saeed and Masood Azhar as they are not killed yet. https://t.co/TNwuu5sxAp
— Abhinav Khare (@iabhinavKhare) October 30, 2019
खैर बता दें कि शाहिद सिद्दीकी अक्सर इस तरह की बातें गढ़ने के लिए पहचाने जाते हैं। जिसका हालिया उदाहरण अभी कमलेश तिवारी मामले में भी देखा गया था, जहाँ वो कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद का मुद्दा छोड़कर हिंदुत्व ब्रिगेड पर नफरत फैलाने संबंधी आरोप मढ़ते नजर आए थे।